
राऊत नाचा के श्रृगांर सामाग्री सहेज कर रखी गई
विलुप्तप्राय लोक संस्कृति का अनमोल धरोहर
छत्तीसगढ़ आजतक- आधुनिकता की चकाचौंध में लोग धीरे धीरे अपनी मूल संस्कृति से विरक्त होते जा रहे हैं. खासकर लोक संस्कृति विलुप्तप्राय है या फिर सिनेमा व इंटरनेट के दुष्प्रभाव से विकृत रुप में सामने आ रही है.
इस दर्द से दुर्ग जिला के एक गांव के जागरुक युवक इतने अधिक व्यथित हुए कि अपने पुरखों की इस विरासत को सहेजने नई पीढ़ी के लिए महती बीड़ा उठा लिया. उनकी इस अभिनव पहल ने ग्राम भानपुरी में देवारी की शान राउत नाचा की विलुप्तप्राय श्रृंगार सामग्रियों व परिधान के अनूठे संग्रहालय को जन्म दिया. दिवाली के दिन स्थापित सुरता के कुरिया नामक दुर्ग संभाग का इस इकलौते लोककला संग्रहालय से इस पर्व पर न सिर्फ राउत नाचा की शुरुआत होती वरन यह आसपास के गांवों के लोगों के आकर्षण का केंद्र भी बना रहता है.
जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर पर स्थित भानपुरी अपनी कलाप्रियता कारण कलाग्राम के रुप में पहचान बना रहा है. जागरुक ग्रामीणों ने गांव के गौठान में नवप्रयोग करते हुए 2 साल पूर्व छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति की पहचान राउत नाचा की विलुप्त हो रही पारंपरिक श्रृंगार सामग्रियों और और वेशभूषा का अनूठा संग्रहालय विकसित किया है. 2 साल पूर्व मातर के दिन यादव समाज के गांव के चरवाहा स्व. भुनेश्वर, तिजउ यादव की स्मृति में गृह एवं संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू द्वारा उद्घाटित इस लोक संग्रहालय की स्थापना श्री जानकी वल्लभ आदर्श गौठान द्वारा की गई थी. यहां राउत नाचा की वर्षों पुरानी पारंपरिक श्रृंगार सामग्री 32 साल पुराने बांसगीत लोक वाद्ययंत्र व 22 वर्ष पुरानी बांसुरी सहित खुमरी, फुलेसर लाठी, घूमर, सोहई, गाय की घंटी, घुंघरु, हाथ कड़ा, तेल वाली लकड़ी, गमछानुमा टावेल और पारंपरिक) वेशभूषा संजोकर रखी गई हैं.
गौठान अध्यक्ष अनिल देशमुख बताते हैं कि गोवर्धन पर्व पर पूजा व नाचा गौठान के हालनुमा कक्ष में स्थापित आकर्षक लोक संग्रहालय के द्वार पर स्थापित नंदी की प्रतिमा की पूजा हर साल दिवाली पर ग्रामीण करते हैं, इसके बाद गोवर्धन व मातर में पूजा होती है. फिर यहां से राउत
नाचा की शुरुआत होती है, जो देवउठनी एकदाशी तक गांव में चलता है. गौठान अध्यक्ष अनिल देशमुख बताते हैं कि आधुनिक संस्कृति के चलते विलपुत लोक काल राउत नाचा से नई पीढ़ी को अवगत कराने संग्रहालय गांव के जागरूक युवओं व समाज के लोगों के प्रयास से बना है. यहां यादव समाज का 6 गांव का सम्मेलन भी हो चुका है. संग्रहालय देखने दीवाली पर आसपास के गांव के लोग भी आते हैं. जिला पंचायत व जनपद सीईओ सराहना कर चुके हैं. इसे संजोने में सरपंच राजूलाल देशमुख सहित चंद्रकांत यादव, दिनेश यादव, भूपेंद्र यादव,नरेश यादव, खिलावन, सनत यादव, अमर यादव, नंदू यादव, लुकेश देशमुख, उमेंदी ठाकुर, होमेन्द्र, भानुप्रताप, हेमंत देशमुख, रूपेन्द्र साहू, प्रदीप देशमुख , दीपक यादव आदि जागरूक ग्रामीणों का योगदान है.