
उत्तराखंड में गठित एसआईटी का कहना है कि पुलकित आर्य का कथित तौर पर हत्या करने का मकसद अंकिता पर हमलों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए दबाव डालने के अपने प्रयासों को छुपाना था, जिसके लिए अंकिता लगातार इंकार कर रही थी.
ऋषिकेश- अंकिता भंडारी की कोहनी,उसकी छोटी उंगली और रिंग फिंगर में मामूली चोटें थीं और उसकी पीठ पर एक गहरा चोट का निशान. 18 सितंबर की रात 9 से 9.40 बजे के बीच अंकिता की मौत हुई थी.
चिल्ला नहर के पास नदी का एक निचला पैरापेट – जहां वह रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करती थी और उसे आखिरी बार रिसॉर्ट के तीन युवकों के साथ देखा गया था- इलाके के युवाओं के लिए एक आम हैंग-आउट की जगह है. लेकिन रात में यही सुनसान इलाका उसके लिए मौत का गढ़ बन गया.
उत्तराखंड पुलिस ने कहा कि अंकिता को गहरी, मटमैली नदी में धकेल दिया गया था. उन्होंने कहा कि उसके शरीर पर लगे खरोंच और चोटों के निशान शायद गिरने की वजह से थे.
कथित हत्या के बाद उसके साथ रहने वाले तीन लोगों ने उसकी मौत को गायब होने की सिलसिलेवार ढंग से कहानी गढ़ी. इसमें रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य (घटना के बाद भाजपा से निकाले गए नेता विनोद आर्य का बेटा) और उनके दो स्टाफ सदस्य सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता इसमें शामिल थे.

दो दिन बाद 20 सितंबर को मामले के मुख्य आरोपी आर्य गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराने के लिए राजस्व उप निरीक्षक के ऑफिस पहुंचे, जिनके अधिकार क्षेत्र में यह रिसॉर्ट क्षेत्र आता है. राजस्व उप निरीक्षक राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में पुलिस के रूप में भी दोहरी भूमिका निभाते हैं.
पुलिस ने कहा कि आर्य ने 19 सितंबर यानी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करने से एक दिन पहले कथित तौर पर अपना फोन पानी में फेंक दिया था ताकि पुलिस को कोई सबूत न मिल पाए. रिजॉर्ट में लगे सीसीटीवी कैमरे भी काम नहीं कर रहे थे. कुल मिलाकर आरोपी ने मामले में मदद करने वाले सभी सबूतों को नष्ट कर दिया.
लेकिन हत्या के लगभग तीन हफ्ते बाद उत्तराखंड पुलिस ने गवाहों के साथ-साथ मैनुअल और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों का ढेर इकट्ठा किया है. जो साफ-साफ आरोपियों के खिलाफ एक मजबूत मामला बनाते दिख रहे थे. गुप्ता की उम्र 19 साल है, जबकि भास्कर और आर्य 30 के आस-पास के हैं.
हत्या का मकसद
मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के पूछताछ अधिकारियों ने बताया कि पुलिस को मिले सबूत बताते हैं कि तीन लोगों ने कथित हत्या को छिपाने के लिए सुनियोजित तरीके से कहानी गढ़ी थी.
पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी), एसआईटी का नेतृत्व कर रही पी रेणुका देवी बताया की, पौड़ी गढ़वाल के गंगा भोगपुर गांव में वनंत्रा रिसॉर्ट के चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगे थे, जो एक साल से ज्यादा समय से खराब पड़े हैं. लेकिन नदी के चारों ओर लगे कैमरों ने उस रात जो कुछ भी हुआ उसे कैप्चर कर लिया है.
रात करीब 9 बजे अंकिता, आर्य, भास्कर और गुप्ता दो बाइक पर सवार होकर चिल्ला नदी के पास नदी के एक छोटे से पुल कोडिया पुल पर पहुंचे. पुलिस के मुताबिक, इन तीनों ने अंकिता को अपने साथ ले जाने के लिए उसके साथ कोई जोर-जबरदस्ती की हो, उसके कोई संकेत नहीं मिले हैं. लेकिन रात 9.40 पर जब ये वहां से निकले तो सिर्फ तीन लोग थे. अंकिता उनके साथ नहीं थी.
फुटेज अंकिता के फोन रिकॉर्ड से भी मेल खाता है. पुलिस के अनुसार, अंकिता के फोन की आखिरी रिकॉर्डिंग नदी के पास की है लेकिन जिस जगह अंकिता को नदी में फेंका गया था, वह जगह कैमरे में साफ नजर नहीं आती है. और इसी आधार पर आर्य, भास्कर और गुप्ता बचने का प्रयास कर रहे हैं, जिन्होंने अंकिता को पानी में फेंक दिया था?
आर्य कथित तौर पर अंकिता को वनंत्रा में आने वाले गेस्ट्स के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसने मना कर दिया. उसे चुप कराने का उसका मकसद कथित तौर पर यह सुनिश्चित करना था कि वह उसे बेनकाब न कर दे.
हालांकि रिसॉर्ट में किसी भी सीसीटीवी फुटेज के नहीं मिलने के कारण कोई यहां किसी भी तरह के विवाद का वैचारिक सबूत नहीं मिले हैं. लेकिन अंकिता की प्राइवेट चैट के कुछ अंश, जो पहले मीडिया के एक वर्ग द्वारा रिपोर्ट की गए थे और रिसॉर्ट के कर्मचारियों के बयान बताते हैं कि आर्य के इस रिजोर्ट में क्या कुछ चल रहा था. राजस्व अधिकारी ने पुलिस के इस मामले को और मजबूत कर दिया. बयानों का विवरण अभी भी गुप्त रखा गया है. वनंत्रा रिसॉर्ट के एक पूर्व कर्मचारी अभिनव ने बताया कि 18 सितंबर की दोपहर को आर्य ने अंकिता के साथ मारपीट की थी.
उन्होंने कहा, हमने ऊपर की मंजिल से देखा कि मैम अंकिता चिल्ला रही थी. पुलकित ने हमें ऊपर जाने के लिए कहा. वह रो रही थी और मदद के लिए चिल्ला रही थी, मेरी मदद करो, मेरी मदद करो, मुझे यहां से जाने दो. मैं जाना चाहती हूं, लेकिन पुलकित ने उसका हाथ पकड़ा और उसे कमरे के अंदर खींच लिया.’
अभिनव ने उन चार मेहमानों का भी जिक्र किया जो कुछ समय के लिए रिसॉर्ट में आए थे. लेकिन पुलिस अभी तक उन मेहमानों का पता नहीं लगा पाई है.
पुलिस का कहना है कि एक दिन के ये अकेला उदाहरण, यह दावा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं कि रिसॉर्ट वेश्यावृत्ति और विशेष मेहमानों के लिए ड्रग्स का केंद्र था.
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, आरोपियों से व्यक्तिगत रूप से कई बार वीआईपी गेस्ट के बारे में पूछा गया है. लेकिन ऐसा कोई वीआईपी गेस्ट नहीं है. हम अभी भी काम पर हैं. अगर कुछ सामने आता है, तो हम उस एंगल से भी पूछताछ करेंगे.
रिसॉर्ट के गेस्ट रिकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि सितंबर के महीने में उनके पास मुश्किल से चार से पांच मेहमान थे. हालांकि, एंट्री रजिस्टर से कोई पुख्ता सबूत नहीं मिलता है क्योंकि रिसोर्ट के मालिक या मैनेजर की मर्जी के मुताबिक एंट्रीज को छोड़ा जा सकता है.