
स्व सहायता समूह की महिलाएं बना रहीं गोबर से मूर्तियां
दुर्ग- दुर्ग जिले में बसा एक छोटा सा गांव सिरसाखुर्द, जहां महिलाएं गोबर से मूर्तियां तैयार कर रही हैं. ये महिलाएं न सिर्फ ये खास मूर्तियां तैयार करती हैं बल्कि मांग के अनुसार बाजारों में भी उपलब्ध करा रही है. सिरसाखुर्द गांव की ये महिलाएं जय बजरंग स्व सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं. महिला समूह द्वारा गौतम बुद्ध, छत्तीसगढ़ का लोगो, राधा कृष्ण, गणपति और आदिवासी कलाकृति को गोबर के माध्यम से आकार दे रही हैं. बारह महिलाओं का यह समूह इन मूर्तियों की वजह से काफी चर्चा में है. दुर्ग जिले के सिरसाखुर्द गांव को अब लोग मूर्ति कला गांव के नाम से जानने लगे हैं. गांव की महिलाएं साथ मिलकर इन मूर्तियों को तैयार करती हैं.
महिला स्व सहायता समूहों से जुड़ी ये महिलाएं गोबर से मूर्तियां बनाने के साथ-साथ त्यौहार के लिए देवी-देवताओं की मूर्तियां, दीयेे, शुभ-लाभ जैसी कई सामग्रियां बना रही हैं. जब उनसे पूछा गया कि ये मूर्तियां कैसे बनती है, तो इस पर जय बजरंग स्व-सहायता समूह की हेमलता सावें बताती है कि पहले गोबर से कंडे बनाते हैं, फिर उन्हें सुखाकर कूटते हैं. उसके बाद चक्की में पीसते हैं. पीस कर इसमें चिकना मुलतानी मिट्टी का मिश्रण डालकर पानी से गुंदा जाता है और अंत में सांचे में डाल कर मूर्तियां तैयार की जाती है. गोबर से मूर्ति बनाने में 15 दिन का समय लगता है. उन्होंने बताया कि 12 सदस्यों वाला जय बजरंग स्व-सहायता समूह ने नागपुर में मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया है. प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत समूह की महिलाओं द्वारा मूर्तियां तैयार कर उसे स्थानीय बाजार में विक्रय कर आय अर्जित कर रही हैं जो उनके जीविका का साधन है.
उन्होंने बताया कि पुरई में भेंटदृमुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री को स्व सहायता समूह की तरफ से गोबर से बनी मूर्ति भेंट की थी. गोबर से बने होने के कारण यह इकोफ्रेन्डली है. मूर्ति के नष्ट हो जाने पर इसे गमले या बगीचे में डाला जा सकता है. इससे पर्यावरण को भी नुकसान नही होगा और खाद का भी काम करेगा. इन महिलाओं के हुनर की सराहना कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने भी की.