
छत्तीसगढ़ विधानसभा में मामले की गूंज
भिलाई- पिछले 8 वर्षो से लंबित महिला प्रोफेसर डॉ.सरोज परहाते के साथ हुए दुर्व्यवहार संबंधित मामले को विधानसभा में उठाते हुए पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने विशाखा समिति द्वारा की गई जांच में दोषी पाए गए अधिकारी के खिलाफ आज पर्यंत कार्रवाई न होने पर असंतोष व्यक्त करते हुए यह पूछा कि वर्तमान सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई कर रही है.
भावना बोहरा ने प्रश्न किया कि वर्ष 2018 में कांग्रेस शासन के दौरान शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय रायपुर में पदस्थ संविदा प्रोफेसर अनीता शर्मा द्वारा वर्तमान प्राचार्य जी.आर. चतुर्वेदी के खिलाफ दुर्व्यवहार करने की शिकायत की गई थी, जिसकी जांच विशाखा समिति द्वारा तत्कालीन समिति अध्यक्ष डॉ. सरोज परहाते की अध्यक्षता में की गई, जिसमें प्राचार्य जी.आर. चतुर्वेदी और उनके सहयोगी सेवानिवृत्त शांति किशोर मांझी को दोषी पाया गया था. लेकिन आज तक दोषियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई है? उन्होंने आरोप लगाया कि दोषी प्राचार्य को दंडित न कर उल्टे विशाखा समिति की अध्यक्ष डॉ.सरोज परहाते को ही जांच समिति से हटा दिया गया. विधायक के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि इस मामले में तीन दिन के भीतर कार्रवाई की जाएगी.
इस प्रकरण में प्रश्न यह उठता है कि इतने सालों के दौरान दोषी ठहराये गए डॉ.जी.आर.चतुर्वेदी और उनके सहयोगी शांति किशोर मांझी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? देखना यह भी है कि स्वास्थ्य मंत्री द्वारा की गई घोषणा के अनुसार तीन दिन के भीतर क्या कार्रवाई होती है.
वैसे प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग का बड़ा बुरा हाल है. विभाग में भ्रष्टाचार इस कदर व्याप्त है कि चिकित्सकों एवं कर्मचारियों को नकली पत्रकार भी ब्लैकमेल कर रहे हैं. ऐसे ही एक मामले में कवर्धा के चार फर्जी पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है. यह स्पष्ट है कि अधिकारीगण पूरी तरह भ्रष्टाचार और हेराफरी में लिप्त हैं, इसीलिए ये आसानी से भयादोहन के शिकार हो जाते हैं. दवा एवं उपकरण खरीदी में भारी घोटाला सामने आ चुका है जिसमें आपूर्तिकर्ता की गिरफ्तारी हुई है किंतु किसी अधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया गया है. ऐसी चर्चा है कि शासन-प्रशासन में बैठे वरिष्ठ अधिकारी और पदाधिकारीगण इस घोटाले के दोषी अधिकारियों को बचाने के पूरे प्रयास कर रहे हैं. जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली विष्णुदेव सरकार अब तक तो अपने दावे पर खरी नहीं उतरी है. आगे चलकर क्या होगा यह भविष्य के गर्भ में है. इतना तो स्पष्ट है कि सरकार किसी भी दल की हो भ्रष्टाचार पर रोक लगना और भ्रष्टारियों के खिलाफ समुचित कार्रवाई होना असंभव सा लगने लगा है.
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