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क्या डॉ. एस.आर. इंचुलकर की किस्मत अब खुलेगी…?
शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय बिलासपुर में इन दिनों कुछ बातें चर्चा में है. वर्तमान प्राचार्य डॉ. रक्षपाल गुप्ता शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में 28 फरवरी 2025 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. डॉ.गुप्ता के स्थान पर डॉ.प्रवीण कुमार जोशी प्रोफेसर द्रव्यगुण विभाग रायपुर को पदस्थ किए जाने की चर्चा है. ज्ञात हो कि श्री जोशी वर्तमान में अधीक्षक चिकित्सालय के प्रभारी है. इनको प्राचार्य के प्रभार में बिलासपुर भेजने की सुनियोजित कोशिश रायपुर में पदस्थ विभागीय अधिकारियों द्वारा की जा रही है.
बताया जा रहा है कि डॉ. प्रवीण कुमार जोशी 06 वर्ष पूर्व वरिष्ठता पद क्रम सूची में (Seniority List) 08वें नंबर पर प्रोफेसर थे, तत्कालीन संचालक द्वारा सभी वरिष्ठ प्रोफेसरों को दरकिनार करते हुए उन्हें आयुर्वेद चिकित्सालय रायपुर में अधीक्षक का प्रभार दे दिया गया. उस समय क्या वरिष्ठ 07 प्रोफेसर प्रशासनिक कार्य करने में असमर्थ थे अथवा उनके द्वारा अधीक्षक का कार्यभार नहीं लेने संबंधी शासन को सहमति का पत्र दिया गया था? इस मामले की गंभीरता से जांच की जानी चाहिए थी, लेकिन नहीं हुई. डॉ. जोशी पर ये भी आरोप है कि वे अपना शैक्षणिक कार्य छोड़कर महाविद्यालय में बाकी कार्य करते हैं जैसे-रविवार एवं अन्य दिवस में भी शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के परिसर में रहने वाले अधिकारियों के आवास पर दैनिक श्रमिक (Daily wages) के कर्मचारियों को भेजकर सफाई करवाना, गार्डन की मरम्मत करवाना, मिट्टी-मुरूम डलवाना, पौधे लाकर देना यहां तक कि दैनिक श्रमिकों से अन्य घरेलू कार्य भी करवाना शामिल है. दैनिक वेतनभोगी (Daily Wages) कर्मचारियों को रखने का अधिकार इनको दिया गया है जिसमें कमीशनखोरी की बातें समाने आ रही है.
इसके अतिरिक्त चिकित्सालय अधीक्षक के प्रभार में रहते हुए औषधि की खरीदी, चिकित्सालय को मिलने वाली ग्रांट के दुरूपयोग कर उच्च अधीकारियों तक पहुँचाना और कभी-कभी उन्हें महंगे गिफ्ट के माध्यम से उपकृत करना भी डॉ.जोशी की प्राथमिकता बताई जाती है. स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं से प्रायोगिक परीक्षाओं के लिए सौदे बाजी करने का आरोप भी इन पर लगते रहा है. यदि राज्य सरकार आयुर्वेद शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और कार्य संस्कृति को उच्चस्तर पर रखना चाहती है तो दागियों को महाविद्यालय के प्राचार्य पद पर पदस्थ किए जाने के पूर्व सूक्ष्म जांच जरूरी है. शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय बिलासपुर में प्राचार्य की पदस्थापना के लिए आवश्यक है कि सभी पहलू की जांच कर योग्य व्यक्ति को पदस्थ किया जाय.
उन पर ये भी आरोप है कि चिकित्सालय में रोगियों एवं पेंशनरों को मिलने वाली महंगी दवाईयों को यहां के कुछ शिक्षकों के घर भेजते हैं जिसे वे निजी प्रेक्टीस के दौरान उपयोग करते हैं. साथ ही इनका नाम विभिन्न समितियों में जानबूझकर भ्रष्टाचार करने की उद्धेश्य से शामिल किया जाता है. जहां वित्तीय लेन-देन हो जैसे CGMSC से औषधि द्रव्य की खरीदी, यंत्रशस्त्र उपकरणों की खरीदी, आयुर्वेद महाविद्यालय में होने वाले खेलकूद राशि (Sports Fund) में भी गड़बड़ी कर कमीशन खाने का गंभीर आरोप है. ये कई वर्षों से स्नातक (B.A.M.S) छात्र-छात्राओं से पैसे लेकर पेपर में अच्छे नंबर दिलाने का का कार्य भी करते हैं. उसी प्रकार स्नातकोत्तर (M.D.) में स्वयं के विभाग के छात्र-छात्राओं से प्रायोगिक परीक्षा के लिये मोटी रकम की वसूली की जाती है. रकम प्राप्त होने पर लिखित एवं प्रायोगिक परीक्षा के परिणामों में उन्हें उच्च स्थान पर रखा जाता है. अगर पिछले 7 वर्षों के स्नातकोत्तर (M.D.) के छात्र-छात्राओं की अंकसूची का परीक्षण किया गया तो भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है. उपरोक्त भ्रष्टाचार के कारण ही कई होनहार छात्र अच्छे नंबरों के बावजूद वरियता श्रेणी में पिछड़ जाते है.
प्रोफेसर जोशी पर ये भी आरोप है कि इनके विभाग में लगभग 28 स्नातकोत्तर (M.D.) के छात्र-छात्राएं हैं. इनमें से कुछ ही छात्र महाविद्यालय के शिक्षण समय सुबह 10.30 से संध्या 5.00 बजे तक उपस्थित होते हैं, बाकी छात्र अवकाश स्वीकृति के बिना ही हर माह विभागाध्यक्ष (डॉ. प्रवीण कुमार जोशी) को एक बड़ी रकम या गिफ्ट प्रदान करके अनुपस्थित रहते हैं. उन्हीं छात्रों के अनुपस्थित के बावजूद भी शासन द्वारा मिलने वाला स्टाइपेंड निकालने हेतु उनकी उपस्थिति पूर्ण भेजी जाती है. जो चिंता का विषय है. इस क्रिया कलाप की जांच परिसर में उपस्थित (P.G. Block) में लगे सीसीटीवी कैमरे से की जा सकती है, क्योंकि Biometry Machine में अनुपस्थिति रहने पर भी उपस्थिति दर्ज की जा सकती है.
डा.जोशी पर ये भी आरोप है कि संचालनालय एवं मंत्रालय में किसी भी विभाग में विशेषकर अवरसचिव कार्यालय चिकित्सा शिक्षा विभाग में वित्तीय लेनेदन कर संबंधित फाइल को आगे बढ़ाने का कार्य इनके द्वारा किया जाता है. इस विषय को पुख्ता करने के लिए (मंत्रालय एवं संचालनालय में एंट्री गेट में लगे कैमरे में इनकी गतिविधियां देखी जा सकती है और ये भी पता किया जा सकता है कि कार्यालयीन समय में ये मंत्रालय एवं सचालनालय में किस कारण विचरण करते हैं.
डा.जोशी वरिष्ठता सूची (Seniority List) में वर्तमान में 06वें स्थान पर हैं और चर्चा इस बात कि है आखिरकार इन्हें बिलासपुर आयुर्वेद महाविद्यालय में प्राचार्य पद के प्रभार में क्यों भेजा जा रहा है? छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वरिष्ठता पदक्रम सूची बनाने के नियम का आखिरकार क्या औचित्य है? हाल ही में ये बात भी सामने आई है कि बिलासपुर आयुर्वेद महाविद्यालय निर्माण हेतु शासन द्वारा नई भूमि का अधिग्रहण किया गया है, इस भूमि में महाविद्यालय के कंस्ट्रक्शन में लगने वाली मटेरियल की खरीदी करने की संभावनाएं हैं. जिनका मूल्य करोड़ों रूपए में आंका जा सकता है. अत: कुछ भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों के गठबंधन ने इन्हें वहां भेजने के लिए उपयुक्त समझा ताकि महाविद्यालय के निर्माण कार्य एवं खरीदी में बहुत बड़ी रकम कमीशनखोरी के माध्यम से प्राप्त कर सके.
क्या संचालक आयुष, सचिव स्वास्थ्य विभाग, स्वास्थ्य मंत्री एवं छत्तीसगढ़ शासन क्या इस गंभीर षड्यंत्र की ओर ध्यान देगा जहां जाति का डर दिखाकर लोगों को इनके कुचक्र के खिलाफ शिकायत करने से डराया-धमकाया जाता है. जनविश्वास से हाल ही में बनी विष्णुदेव सरकार ने जिम्मेदारी संभाली है और सुशासन स्थापति करना उनका उद्धेश्य है. ऐसे में षड्यंत्रपूर्वक डॉ. इंचुलकर जैसे प्रोफेसर की वरीयता को दरकिनार कर, भ्रष्टाचार एवं कुचक्रों से सने हुए एक चेहरे डॉ.जोशी को प्राचार्य प्रभार दिया जाना क्या न्यायोचित है. हालांकि डा. इंचुलकर एक दो मामलें मे सरकारी आचरण संहिता के उल्लघंन के मामले में आरोपी है फिर भी हर व्यक्ति का सपना होता कि समय रहते उन्हें सम्मान मिले. क्या सरकार इमानदारी से शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय बिलासपुर में प्राचार्य का प्रभार देकर डॉ. इंचुलकर को सम्मान देने में सफल होगी.