
सर प्लस बिजली का होगा सदुपयोग, पैदा होंगे रोजगार के नए अवसर
दुनिया और देश की तरह ही हमारे प्रदेश छत्तीसगढ़ में भी बढ़ती आबादी के साथ ही वाहनों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. पिछले 3-4 सालों में तो दुपहिया से लेकर चार पहिया वाहनों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. वर्तमान में दुपहिया, तिपहिया और चार पहिया वाहनों की संख्या 66 लाख 20 हजार से भी अधिक है. आने वाले समय में इनकी संख्या में और बढ़ोतरी होनी है, जाहिर है वाहनों की बढ़ती तादाद के कारण हमारे प्रदेश में भी प्रदूषण बढ़ेगा और पेट्रोल व डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण वाहन धारकों का बजट बिगड़ेगा. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने भविष्य के यातायात साधन इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करने और इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2022 को मंजूरी दी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने निकट भविष्य में धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ राज्य को इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन हब के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया है. यदि यह सपना साकार होता है तो निश्चित रूप से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और छत्तीसगढ़ की सरप्लस बिजली का सदुपयोग होगा.
समय की मांग है इलेक्ट्रिक वाहन
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि के कारण आज दुनिया के तमाम देश इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करने लगे हैं. भारत जैसी विशाल आबादी वाले देश में पारंपरिक वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है. नवीजनक सरकार को पेट्रोल व डीजल के आयात पर भारी विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है. वाहनों की यह बढ़ती संख्या प्रदूषण भी बढ़ा रही है, जिसका लोगों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है, ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ रहा है. ऐसे में बढ़ते वाहनों के लिए पेट्रोल व डीजल की बढ़ती मांग में कमी लाने और प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन समय की मांग है. इससे अक्षय ऊर्जा का उपयोग बढ़ेगा, जिसकी मात्रा में कोई कमी नहीं है. घरेलू और कृषि कार्य के लिए हम सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालीन योजनाएं बनाएं तो इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पर्याप्त बिजली हमारे पास होगी. खासतौर पर छत्तीसगढ़ राज्य जो बिजली के मामले में सरप्लस है, यहां इलेक्ट्रिक वाहनों का और उसकी उत्पादन इकाइयों का संचालन बेहद आसान होगा और छत्तीसगढ़ बहुत जल्द इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन हब बन जाएगा.
छत्तीसगढ़ में है अनंत संभावनाएं
इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन और अधिकतम उपयोग की छत्तीसगढ़ में अनंत संभावनाएं हैं. चूंकि छत्तीसगढ़ बिजली के मामले में सर प्लस राज्य है और देशभर में छत्तीसगढ़ एकमात्र ऐसा प्रदेश है जहां बिजली सबसे सस्ती है और उस पर भी राज्य सरकार रियायत दे रही है. छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रिक वाहनों के उद्योग के लिए अनुकूल वातावरण है, श्रम शक्ति भी उपलब्ध है. यही वजह है कि यहां पूंजी निवेश के लिए उद्योगपति आकर्षित हो सकते हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन के लिए राज्य सरकार ने जो नई ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) नीति लागू की है, वह देश की सर्वश्रेष्ठ ईवी नीति है. राज्य सरकार ने घोषणा की है कि इस प्रदेश को ईवी उत्पादन हब के रूप में विकसित करने के लिए उद्यमियों को मशीनरी व प्लांट लगाने के लिए उनकी कुल लागत का 25% अनुदान दिया जाएगा. इसके साथ ही ईवी निर्माताओं अपना प्लांट लगाने के लिए 500 से 1000 एकड़ जमीन भी उपलब्ध कराई जाएगी ताकि ईवी पार्क विकसित हो.
पूंजीगत सब्सिडी के साथ प्रोत्साहन
छत्तीसगढ़ की नई ईवी नीति के तहत सरकार ने ईवी निर्माताओं के लिए पूंजीगत सब्सिडी के साथ ही उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए भी कई तरह की रियायत देने का फैसला किया है. इसके तहत राज्य जीएसटी में छूट दी जाएगी. राज्य सरकार पहले 300 फास्ट चार्जिंग स्टेशन के चार्जिंग उपकरणों/मशीनरी पर चुनिंदा एनर्जी ऑपरेटर को प्रति स्टेशन अधिकतम 10 लाख रूपये तक 25% अनुदान देगी. नई नीति के अंतर्गत राज्य सरकार प्लग एंड प्ले आंतरिक बुनियादी ढांचे सामान्य सुविधाओं और आवश्यक बाहरी बुनियादी ढांचे के साथ इलेक्ट्रिक वाहन पार्क स्थापित करेगी. प्रस्तावित ईवी पार्क में स्टार्टअप के लिए एक एक्यूवेशन सेंटर बनाने की भी योजना बनाई गई है. इलेक्ट्रिक वाहन, उसमें लगने वाली बैटरी तथा उसके कलपुर्जे व चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने वाले उद्यमियों को पूंजीगत सब्सिडी के साथ ही उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कुछ अन्य रियायत भी प्रदान की जाएगी.
4 लाख ईवी खरीदने का लक्ष्य
नई ईवी नीति के अंतर्गत राज्य सरकार ने आगामी 5 सालों में लगभग 4 लाख ईवी वाहनों की खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसकी शुरुआत भी कर दी गई है. नगरीय निकायों के लिए सैकड़ों की संख्या में तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहन खरीदी जा चुके हैं, जिन्हें महिलाएं भी चला रही है. वहीं हजारों की संख्या में निजी रूप से लोग ई-रिक्शा और ऑटो-रिक्शा खरीद कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. राज्य सरकार ने आगामी पांच वर्षों के भीतर 15% हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक वाहनों की करना तय किया है. चाहे यह वाहन प्राइवेट उपयोग के लिए हो या फिर कमर्शियल. राज्य सरकार कमर्शियल और नॉन कमर्शियल दोनों तरह के इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए संकल्पित है.
रोड टैक्स में 100 प्रतिशत छूट
इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने नई ईवी नीति के तहत शुरू के 2 वर्षों तक रोड टैक्स में 100% छूट देने का प्रावधान किया है. इसके बाद अगले 2 वर्षों तक 50% छूट दी जाएगी और उसके बाद 1 साल तक रोड टैक्स में 25% छूट प्रदान की जाएगी. यही नहीं बल्कि बैटरी के साथ बेचे जाने वाले पंजीकृत वाहन 100% मूल प्रोत्साहन के पात्र होंगे. वहीं बगैर बैटरी के बेचे जाने वाले इलेक्ट्रिक वाहन 50% प्रोत्साहन राशि के पात्र होंगे. नई नीति के तहत ईवी की खरीद पर रजिस्ट्रेशन शुल्क में भी छूट दी जाएगी. जाहिर है इस तरह की छूट वाली रियायत से ईवी की खरीद व बिक्री बढ़ेगी. नई ईवी नीति के तहत सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अधिकाधिक इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग के लिए ईवी किराए पर लेने को वरीयता दी जाएगी.
प्रदेश में पैदा होंगे रोजगार के अवसर
इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने के साथ ही छत्तीसगढ़ में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. सवारी और मालवाहक ई-रिक्शा व ऑटो-रिक्शा अभी भी हजारों लोगों को रोजगार दे रहे हैं. आगे चलकर इस क्षेत्र में रोजगार के और नए अवसर सृजित होंगे. नई ईवी नीति के अंतर्गत पब्लिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सार्वजनिक और निजी ऑपरेटरों को आमंत्रित करने का निर्णय किया गया है. जिन्हें प्रदेश के सभी शहरों में राष्ट्रीय राजमार्गों व राज्य राजमार्गों के किनारे चार्जिंग और बैटरी स्वैपिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए न्यूनतम किराए पर जमीन उपलब्ध कराई जाएगी. इसकी सूची बनाने का काम राज्य इलेक्ट्रिक मानव विकास निगम को सौंपा गया है. प्रदेश के विभिन्न शहरों और कस्बों में सड़क किनारे स्थित पेट्रोल और डीजल पंप में फास्ट चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए भी सरकार प्रोत्साहित करेगी. नगरीय क्षेत्रों में फ्लाईओवर के नीचे दुपहिया वाहनों के लिए पार्किंग के साथ ही चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा. इसके अलावा सरकारी कार्यालयों के पार्किंग स्थलों में भी चार्जिंग पॉइंट बनाए जाएंगे. आवासीय और गैर आवासीय भवन मालिकों को भी चार्जिंग स्टेशन की स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
सौर ऊर्जा का उपयोग आवश्यक
यद्यपि छत्तीसगढ़ बिजली के मामले में सर प्लस राज्य है इसलिए यहां इलेक्ट्रिक वाहनों का यहां तक कि बसों और ट्रकों का भी संचालन सुगमता पूर्वक हो सकता है. किंतु इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ने के बाद विद्युत संकट की संभावना को नकारा नहीं जा सकता. दुपहिया से लेकर चार पहिया तक सभी इलेक्ट्रिक वाहनों को न्यूनतम दर पर पर्याप्त बिजली उपलब्ध हो इसके लिए विद्युत उत्पादन बढ़ाने के साथ ही घरेलू व कृषि कार्य में विद्युत का कम उपयोग सुनिश्चित करना होगा इसके लिए सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करने के लिए वृहद योजना बनानी होगी. छत्तीसगढ़ में सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है किंतु इसे और गति देने की आवश्यकता है. सौर ऊर्जा का उपयोग करने वाले मध्यम वर्ग के लोगों व किसानों को और ज्यादा सब्सिडी देनी होगी तभी बात बनेगी.