
जानिए उनके जीवन से जुड़ी बातें
रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर उन्हें नमन किया है. सीएम साय ने कहा है कि शिवाजी महाराज ने साहस और पराक्रम की अद्भुत मिसाल पेश की. वे एक कुशल रणनीतिकार के रूप में भी जाने जाते हैं. उन्होंने अपनी कुशल नीतियों से अनुशासित सेना और सुगठित प्रशासनिक व्यवस्था बनाई. श्री साय ने कहा कि छत्रपति शिवाजी का शौर्य और आत्मविश्वास से भरा व्यक्तित्व आज भी हजारों लोगों को प्रेरित करता है.
शिवाजी महाराज का जीवन परिचय
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को मराठा परिवार में हुआ था. छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम शिवाजी भोंसले था. उनके पिता शाहजी भोंसले और माता जीजाबाई थी. उस दौर में भारत मुगल आक्रमणकारियों से घिरा हुआ था. दिल्ली सल्तनत ने दिल्ली समेत पूरे भारत पर कब्जा कर लिया था.
मुगलों के खिलाफ शिवाजी का पहला युद्ध
हिंदुओं पर संकट आया तो शिवाजी महाराज ने महज 15 वर्ष की आयु में हिंदू साम्राज्य को स्थापित करने के लिए पहला आक्रमण किया. शिवाजी ने बीजापुर पर हमला किया और कुशल रणनीति व गोरिल्ला युद्ध के जरिए बीजापुर के शासक आदिलशाह को मौत के घाट उतार दिया. साथ ही बीजापुर के चार किलों पर कब्जा कर लिया था.
शिवाजी को बनाया था बंदी
जब शिवाजी के पराक्रम, गोरिल्ला युद्ध में पारंगत होने और युद्ध में कुशल रणनीति से जुड़े किस्से बढ़ने लगे तो औरंगजेब डर गया और संधि वार्तालाप के लिए शिवाजी महाराज को आगरा बुलाया. औरंगजेब ने छल से शिवाजी को बंदी तो बना लिया लेकिन वह ज्यादा दिन उनके कब्जे में न रहे और फल की टोकरी में बैठकर मुगल बंदीगृह से भाग निकले. इसके बाद उन्होंने मुगल सल्तनत के खिलाफ जंग छेड़ दी.
मराठा साम्राज्य के सम्राट
1674 में उन्होंने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी. इस दौरान उन्हें औपचारिक रूप से छत्रपति या मराठा साम्राज्य के सम्राट के रूप में ताज पहनाया गया. उस दौर में फारसी भाषा का ज्यादा उपयोग होता था, इसलिए शिवाजी ने अदालत और प्रशासन में मराठी व संस्कृत के उपयोग को बढ़ावा दिया. बाद में 3 अप्रैल 1680 को गंभीर बीमारी के कारण शिवाजी महाराज ने पहाड़ी दुर्ग राजगढ़ में अपने प्राण त्याग दिए. उनके योगदान के कारण देश के वीर सपूतों में से एक छत्रपति शिवाजी महाराज को ‘मराठा गौरव’ कहा जाता है.