
बिलासपुर : हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में 16 साल की प्रेग्नेंट छात्रा का अबॉर्शन कराने का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट ने उसके भ्रूण का डीएनए कराने का भी कहा है, ताकि आरोपी को सजा मिले. मामला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले का है. खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले की रहने वाली दसवीं कक्षा की रेप पीड़िता छात्रा प्रेग्नेंट हो गई थी.
इससे परेशान उसके पिता ने टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी अधिनियम की धारा 3 औक नियम 9 के तहत अपनी बेटी का अबॉर्शन कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई. हाईकोर्ट में उनके एडवोकेट समीर सिंह और रितेश वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए उनकी बेटी की बेहतर जीवन जीने के लिए उसका अबॉर्शन कराने की अनुमति मांगी. मामले की पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस एनके व्यास ने सीएमएचओ को छात्रा का मेडिकल बोर्ड से जांच कराकर रिपोर्ट पेश करने कहा था.
अबॉर्शन के साथ हो होगा भ्रूण को डीएनए टेस्ट
मेडिकल रिपोर्ट में डॉक्टरों की टीम ने कोर्ट को बताया कि किसी भी गर्भवती लड़की या महिला का अबॉर्शन 25 हफ्ते के भीतर किया जा सकता है. इससे गर्भवती की जान का खतरा नहीं रहता. मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय के वेकेशन कोर्ट में हुआ. इस दौरान याचिकाकर्ता के एडवोकेट ने सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला दिया और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर लड़की का अबॉर्शन कराने की अनुमति मांगी. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने गर्भवती नाबालिग छात्रा को 2 जून को अबॉर्शन कराने का आदेश सीएमएचओ राजनांदगांव को दिया है. साथ ही उसके भ्रूण को डीएनए टेस्ट कराने के लिए सुरक्षित रखने का आदेश दिया है.
जानें क्या है मामला
दरअसल, दसवीं की छात्रा से एमपी के बालाघाट के खेम सिंह साहू ने पहले दोस्ती की, फिर शादी करने का वादा कर बीते दिसंबर महीने में लड़की के गांव पहुंचा और उसे अपने साथ भगाकर ले गया. मामले की रिपोर्ट पर पुलिस ने उसकी तलाश कर उसे गिरफ्तार कर लिया. लड़की ने युवक पर दुष्कर्म का आरोप लगाया, जिस पर पुलिस ने अपहरण के साथ ही दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट के तहत जुर्म दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया. इधर लड़की गर्भवती हो गई. जिससे परेशान होकर पिता ने हाईकोर्ट की शरण ली थी.