
छत्तीसगढ़ के रेस्टोरेंट और होटलों के मेन्यू में भी बोरे बासी को किया गया शामिल
रायपुर : खानपान और रहन सहन संस्कृति से जुड़ा मुद्दा है. छत्तीसगढ़ में कहावत है कि जैसे खाए अन्न वैसा होय मन. यह कहावत बिलकुल छत्तीसगढ़ में सही उतरती है. बोरे-बासी एक सरल और सहज भोजन है. वैसे ही छत्तीसगढ़ के लोग भी सीधे-साधे लोग हैं, इसलिए कहा जाता है कि छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के सीधे साधे श्रमिकों और किसानों का मान बढ़ाने के लिए मजदूर दिवस के दिन लोगों से बोरे-बासी खाने की अपील की है. यह अपील लोगों को भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से जोड़ने का भी काम कर रही है. राज्य में छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक वैभव को पिछले चार सालों में नया क्षितिज मिला है. राज्य में मनाए जाने वाले ठेठ छत्तीसगढ़िया त्योहारों का मान बढ़ा है. मुख्यमंत्री निवास में तीजा, पोरा हरेली त्योहारों को मनाए जाने से लोगों में गर्व की अनुभूति हुई है.
मुख्यमंत्री ने इसी कड़ी में एक अनूठी पहल शुरू की है उन्होंने कहा है कि किसानों और श्रमिकों का मान बढ़ाने के लिए बोरे बासी तिहार मनाएं. मजदूर दिवस के दिन अमीर गरीब सभी लोग मजदूरों के पसंदीदा भोजन बोरे बासी खाकर लोगों में आपसी समरसता और भाईचारे का वातावरण बनाए. यह तिहार पिछले वर्ष से शुरू किया गया है. इसकी चर्चा पूरी दुनिया में हुई. अमेरिका ब्रिटेन और लंदन में रहने वाले लोगों ने बोरे-बासी खाकर अपनी मातृभूमि को याद किया. छत्तीसगढ़ के रेस्टोरेंट और होटलों के मेन्यू में भी बोरे बासी को शामिल किया गया है.
छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध बोरे बासी का शोध अमेरिका में भी किया जा चुका है. वहां इसका अंग्रेजी नाम होल नाइट वाटर सोकिंग राइस रखा है. शोध में यह पाया गया है कि बोरे बासी में ताजा बने चावल (भात) की अपेक्षा इसमें करीब 60 फीसदी कैलोरी ज्यादा होती है. इसके अलावा कई शोधों में यह पाया गया है कि बोरे बासी में विटामिन बी 12 की प्रचुर मात्रा के साथ आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम भी भरपूर होती है. बोरे बासी ब्लडप्रेशर और हाइपरटेंशन को नियंत्रित करने का भी काम करता है.
चिलचिलाती धूप और गर्मी में जब छत्तीसगढ़ का मेहनतकश श्रमिक और किसान खाने के लिए गमछा बिछाकर अपना डिब्बा खोलता है, तो उसमें पताल चटनी, गोंदली के साथ बोरे बासी जरुर देखने को मिलता है. पोषक तत्वों से भरपूर इस बोरे बासी से वैसे तो लोग परीचित थे पर इसे वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाने की अहम भूमिका छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निभाई है. उन्हांेंने धमतरी जिले के कुरूद विधानसभा क्षेत्र में आयोजित भेंट मुलाकात कार्यक्रम में सभी श्रमिकों को रायपुर में आयोजित श्रम सम्मेलन के लिए न्यौता भी दिया है.
बासी के साथ आम तौर पर भाजी खाया जाता है. पोषक मूल्यों के लिहाज से भाजी में लौह तत्व प्रचुर मात्रा में विद्यमान रहते हैं. इसके अलावा बासी के साथ दही या मही सेवन किया जाता है. जिसमें बड़ी मात्रा में कैल्शियम रहता है. इसके सेवन के फायदों को देखते हुए धीरे-धीरे ये देश-विदेश में भी लोकप्रिय हो रहा है. बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों भी इसे बड़े चाव से खाना पंसद करते हैं. बोरे-बासी यहां की जीवनशैली का एक अहम हिस्सा है.
छत्तीसगढ़ की संस्कृति और लोक परंपराओं, तीज त्योहारों को बढ़ावा देने के लिए पिछले चार सालों में अनेक कदम उठाए गए हैं. मुख्यमंत्री निवास में तीजा, पोरा, हरेली, जैसे अनेक लोकप्रिय त्योहारों को मनाने की शुरूआत की इससे लोगों में अपनी संस्कृति के प्रति गर्व का भाव जगा. इसके साथ ही स्थानीय तीज त्योहारों पर शासकीय अवकाश भी घोषित किए गए. पारंपरिक खानपान को बढ़ावा देने के लिए सभी जिलों में गढ़ कलेवा प्रारंभ किए गए हैं.