
छत्तीसगढ़ महतारी का पूजन कर कवि/ साहित्यकारों ने मनाया हरेली तिहार
राजनांदगांव- कृषि संस्कृति का प्रथम लोक पर्व हरेली कवि / साहित्यकारो द्वारा नगर निगम स्थित छत्तीसगढ़ महतारी प्रतिमा का पूजन कर मनाया गया. इस दौरान मुख्य अतिथि महापौर मधुसूदन यादव ने छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा अर्चना तथा गुलाल लगाकर की और श्री फल अर्पण सहित छत्तीसगढ़ महतारी को नीम पत्तियों का हार पहना सबकी खुशहाली की कामना की.
इस दौरान छत्तीसगढ़ साहित्य समिति के अध्यक्ष आत्माराम कोशा “अमात्य’, उपाध्यक्ष गिरीश ठक्कर “स्वर्गीय’ व सचिव मानसिंह “मौलिक’ ने महापौर का स्वागत नीम पत्तियों के हार से किया. महापौर श्री यादव ने हरेली पर्व की सबको बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की कृषि संस्कृति का यह पर्व धरती में हरीतिमा बिखेरकर लोगों के मन को हरियर – फरियर कर देता है जिससे हमारे किसान खुश हो कर अच्छी फसल की कामना से कृषि औजारो की पूजा करते है और हर्षोल्लास के साथ हरेली का त्योहार मनाते है. उन्होंने छत्तीसगढ़ी में काव्यात्मक ढंग से हरेली तिहार के बगरे बहार,, कृषि संस्कृति के हवे आधार कहा.
सभापति पारस वर्मा ने प्राकृतिक हरीतिमा से आच्छादित धरती को हरेली पर नई दुल्हनिया की तरह सजे- संवरे होने की बात कही वहीं नेता प्रति पक्ष संतोष पिल्ले ने हरेली त्योहार में “हरियर – फरियर हो सबके मन /, किसानों के कोठी – डोली में भरे रहे अन-धन,की कामना करते हुए पर्व की सबको बधाई एवं शुभकामनाएं दी.
हरियाली के रंग में रंगी पढ़ी गई काव्य रचनाएं
हरेली पर्व के उपलक्ष्य में छत्तीसगढ़ साहित्य समिति द्वारा निगम कार्यालय में काय -गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें हास्य-व्यंग्य के कवि पद्म लोचन शर्मा “मुंहफट” ने सावन के दिन आगे ले संगी झिमिर – झिमिर पानी बरसे का गान कर माहौल को रसमय बनाया वहीं गिरीश ठक्कर “स्वर्गीय’ ने नेताओं की बदकारी को पौराणिक प्रसंगों के साथ उद्धृत किया. कवि/ कथाकार मानसिंह “मौलिक”ने बारिश में तन-मन को भिगोने वाली हरियाली के रंग में रंगी कविता का पाठ किया. वहीं ग्राम्य कवि पवन यादव “पहुना’ ने छत्तीसगढ़ी भाषा की विशेषता वाली कविता का पाठ कर स्वर्गीय डॉ सुरेंद्र दुबे की अधूरी आस छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में दर्ज कराना हम सब का कर्तव्य बताया. कवि रोशन साहू “मोखला” ने घर-घर के मुहाटी में लीम डारा खोंचागे /आगे – आगे हरेली तिहार आगे, कविता पाठ कर माहौल को जहां हरियाली का रंग दिया वहीं छ.ग. राजभाषा आयोग के जिला समन्वयक वरिष्ठ कवि/ साहित्यकार आत्माराम कोशा “अमात्य’ ने – “तुंहर गांव के मौसम बड़ा पियारा हे / बड़ सुघ्घर प्रेम- भाईचारा हे’, का गान कर ग्राम्य जीवन की विशेषताओ को उकेरा. कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि ओमप्रकाश साहू अंकुर ने किसानों द्वारा हरेली तिहार में कृषि औजारो का पूजन व विभिन्न स्पर्धात्मक खेल खेलें जाने का उल्लेख अपनी कविताओं में किया. ग्राम्य कवि आनंद राम सार्वा ने सावन मनाथन हरेली,,भादों में तीजा तिहार,/ कातिक में दशहरा- देवारी,,फागुन में बसंत बहार का गान कर उपस्थितो से वाहवाही पाई. काव्य गोष्ठी का प्रारंभ जस गायक डोहरु राम द्वारा छत्तीसगढ़ महतारी व ज्ञान की देवी मां सरस्वती की वंदना के साथ किया गया. आभार प्रदर्शन साहित्य समिति के सचिव मानसिंह “मौलिक’ द्वारा किया गया.
इस दौरान भाजपा पार्षद आलोक श्रोती, सुनील साहू, निगम के इई यूके रामटेके, देवेन्द्र सोनी, प्रवीण, महावीर साहू, आदि सहित निगम के कर्मचारी उपस्थित थे.