क्या पटवारियों ने सभी को पटा रखा? चाहे अधिकारी हों या राजनेता…
दुर्ग- जिले के राजस्व विभाग में सरकारी रिकार्ड में छेड़छाड़ करने वाले पटवारी पर राजस्व विभाग इतना मेहरबान क्यों है? तत्कालिन एसडीएम के संज्ञान में आने के बाद जांच का आदेश दिया गया लेकिन एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कार्रवाई सिफर है. क्या पटवारियों ने सभी को पटा रखा हैं? चाहे अधिकारी हों या राजनेता किसी को भी पटवारियों द्वारा किसानों और आम आदमी के साथ की जा रही लूट और मनमानी की परवाह नहीं है. यदि शिकायत के आधार पर घूस लेते हुए रंगे हाथ पटवारी पकड़े जाये तब भी दो-चार माह बाद उनकी पदस्थापना उसी क्षेत्र में हो जाती है. इसका ज्वलंत उदाहरण राजनैतिक दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण माने जाने वाले दुर्ग जिले में देखा जा सकता है. बोरसी के पटवारी सूर्यकांत निषाद द्वारा भुइयां एप में अवैधानिक छेड़छाड़ करने के आरोप में 6 माह पूर्व स्थानांतरित कर दिया गया था और उसके खिलाफ तत्कालीन एसडीएम द्वारा जांच का आदेश जारी किया गया था, लेकिन आजतक जांच कार्रवाई नहीं हो सकी. चर्चा है कि तत्कालीन एसडीएम ने जांच के आदेश जरूर दिये थे लेकिन जांच कार्रवाई न हो इसके लिए उनकी भूमिका भी संदिग्ध रही है.
राजस्व विभाग की क्या मजबूरी थी कि पटवारी सूर्यकांत को 5 महीने बाद पुन: पुलगांव में ही स्थानांतरण कर दिया. जबकि पूर्व में भी 3 वर्ष पुलगांव में पदस्थ थे. इनके द्वारा काले करनामे उजागर होने के बाद तत्कालिन तहसीलदार प्रेरणा सिंह ने पटवारी को नोटिस जारी किया था. तहसीलदार द्वारा 1 मई 2023 को समाचार के पत्र प्रकाशन के बाद 2 मई 2023 को बोरसी पटवारी सूर्यकांत निषाद को शो कॉज नोटिस जारी किया गया था.
चुंकि भुइयां ऐप के पटवारी आईडी से सुधार किया जा सकता था पर सरकार के नये नियम से यह पॉवर एसडीएम को दिया गया है. एसडीएम ने मामले में जांच न करके सिर्फ खानापूर्ति किया. Aऔर B में ही सुधार किया गया. जांच का विषय है कि पटवारी अपने काले कमाई की सम्पत्ति को छुपाने के लिए अपने सम्पत्ति को अपने और अपने असिस्टेट के नाम रजिस्ट्री किया, लेकिन यह भूमि अवैध प्लांटिग का हिस्सा है.
पटवारी द्वारा अपने रिकार्ड की दुरूस्ती के लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व दुर्ग को धारा 115 के तहत सुधार के लिए आवेदन दिया गया. अनुविभागीय अधिकारी द्वारा जांच न कर खसरा नंबर 363/45 में सुधार कर दिया गया जबकि यह बैंक में बंधक नहीं होने के कारण सुधार कर लिया गया. बल्कि आज भी शासकीय भुइयां एप्प पर 363/36 आज भी सुनिति निषाद के नाम पर A और B प्रदर्शित हो रहा. इनके द्वारा शासकीय दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ किया गया जिसके संबंध में भुइयां के एनआईसी द्वारा activity lock से सम्पूर्ण जानकारी मिल जाएगी. अब काले कारनामें उजागर होने के बाद भी आखिर एसडीएम उसे बचाना क्यों चाहते हैं? क्या इसकी जानकारी क्लेक्टर को नहीं है? आखिर स्थानांतरण करने से क्या भ्रष्टाचार पर अंकुश लग पाएगा?