
पूर्व संयंत्र कर्मी बाबूराम वर्मा की पर्यावरण के प्रति दीवानगी की कहीं मिसाल नहीं मिलती. अपनी आय का दस फीसद स्वेच्छा से पर्यावरण की रक्षा पर खर्च करने वाले बाबूराम वर्मा अब तक 2 लाख से अधिक पेड़ लगा चुके हैं. नौकरी करते हुए उन्होंने न केवल प्रति माह अपने वेतन का 10 प्रतिशत पर्यावरण को दिया बल्कि सेवानिवृत्ति पर मिली रकम में से 13 लाख रुपए भी इसी काम में लगा दिया. विगत 38 वर्षों से वे न केवल अपनी कमाई का पर्यावरण में निवेश कर रहे हैं बल्कि प्रतिदिन पूरी श्रद्धा के साथ तीन से चार घंटे तक का वक्त भी इस काम को देते हैं.
मूलतः बेलदार सिवनी, थाना खरोरा, रायपुर के निवासी बाबू राम वर्मा का हाल मुकाम रशियन काम्पलेक्स, सेक्टर-7, भिलाई है. वे साप्ताहिक स्वच्छता अभियान चलाने के साथ ही प्रतिवर्ष 10 हजार पौधों का निःशुल्क वितरण एवं रोपण करते हैं. निराश्रित बच्चों, विकलांगों, वृद्धों एवं निर्धन बालिकाओं को भी यथासंभव मदद उपलब्ध कराते हैं. इसके अलावा नशा उन्मूलन, स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी वे बढ़चढ़कर योगदान करते हैं. 38 सालों से अपनी सेवा गतिविधियों को अनवरत गतिशील रखने वाले बाबूराम कहते हैं कि इन कार्यों में उन्हें आत्मिक सुख की अनुभूति होती है.
भिलाई नगर के विभिन्न सेक्टरों, भिलाई व दुर्ग नगर निगमों के साथ ही आस-पास के गावों, कस्बों में वे पेड़ लगाते रहे हैं. बिना किसी शासकीय या अशासकीय अनुदान के चलाए जा रहे इस अभियान को वे अपने वेतन का 10 प्रतिशत और प्रतिदिन 4 घंटे का समय देते रहे हैं. उन्होंने नौकरी में रहते हुए 1983 से 2016 के बीच 3 लाख तथा 2017 से 2021 के बीच 5 लाख रुपए पर्यावरण सेवा पर न्यौछावर कर दिये. सेवानिवृत्ति के बाद मिली रकम का 10 प्रतिशत, लगभग 13 लाख रुपये भी उन्होंने पर्यावरण रक्षा को भेंट कर दिया. इस अवधि में 10,000 से अधिक पौधों का रोपण उन्होंने अपने हाथों से किया है. स्वयं की नर्सरी से प्रतिवर्ष 20 से 25 हजार पौधों का निःशुल्क वितरण करते हैं. उन्होंने अब तक 2 लाख से भी अधिक फलदार, छायादार, शोभादार एवं फूलों के पौधों का वितरण किया है.
2006 से 2008 के बीच उन्होंने ‘डोर टू डोर‘ कचरा इकट्ठा अभियान चलाया. इसके लिए 15 ट्राली रिक्शा के माध्यम से विभिन्न सेक्टर एरिया से कचरा इकट्ठा कर नगर को सुंदर व स्वच्छ बनाने की पहल की. इसके लिए उन्होंने सीपीएफ का लोन लिया. बाद में इस कार्य को निगम ने अपना लिया. कालांतिर में पर्यावरण मित्र मंडल समिति का पंजीयन करवा लिया जो पूरे छत्तीसगढ़ में 25 पर्यावरण मित्र समूहों के द्वारा अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है.
स्वच्छता और पर्यावरण के क्षेत्र में उन्होंने कई मौलिक कार्य किये. साप्ताहिक स्वच्छता अभियान पिछले 120 सप्ताहों से अनवरत संचालित हो रहा है. इसी तरह फल खाओ, गुठली दो, एक घर एक वृक्ष, एक पौधा आपके नाम, घर घर हवन, सरोवर बचाओ धरोहर बचाओ, अल्प कार्बन जीवन शैली ही जीवन का आधार, विभिन्न पर्व, त्यौहार, जयंती, पर्यावरण से संबंधित दिवसों पर जगह जगह चित्र प्रदर्शनी, बैनर, पोस्टर, पॉम्पलेट से प्रचार प्रसार व पौधा रोपण कर वे प्रकृति की सेवा में जुटे हुए हैं.
बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट की दिशा में भी उनके प्रयास जारी हैं. नदी, नाला, तालाबों में विसर्जित ज्योति कलश का उपयोग वे नर्सरी में पौधा तैयार करने हेतु करते हैं. इसके ढक्कन का उपयोग चिड़ियों को दान-पानी देने के लिए किया जाता है. मुक्तिधाम के बांस बल्ली से जहां बाड़ा बनाया जाता है वहीं घरेलू कचरे व मंदिर से निकले फूल पत्तियों से जैविक खाद बनाया जाता है. घर, ऑफिस, सामामिक व धार्मिक कार्यक्रमों, हाट बाजारों, मेला प्रदर्शनियों में वे समय लेकर पर्यावरण संरक्षण की जानकारी देते हैं. लागत मूल्य पर ट्री गार्ड उपलब्ध कराने के अलावा वे कचरा बीनने वालों को मास्क, दस्ताना, चश्मा का निःशुल्क वितरण करने के साथ ही उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी करवाते हैं.
प्रमुख योगदान
पौधों हेतु नर्सरी तैयार करना, ट्री गार्ड प्रदान करना, जहां ट्री गार्ड नहीं है वहां उसे लगवाना. झुके हुए पेड़ों को सहारा देना. खाद आदि का प्रबंध करना. वर्षा ऋतु में उगे हुए फलदार एवं छायादार पौधों को एकत्रित कर उन्हें उचित स्थानों पर रोपना. फलदार, छायादार, शोभादार वृक्षों के बीजों को इकट्ठा कर उन्हें खुली खाली भूमि पर बिखेरना. फल खाओ गुठली दो अभियान से बीज एकत्रित करना, पौधों को गाय, बकरी आदि पशुओं से बचाना, अनमोल पौधों की जानकारी लोगों तक पहुंचाना, आदि उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं. वे लोगों को पौधों की देखभाल, मित्र और शत्रु कीटों की पहचान, अस्वास्थ्यकर वनस्पति की जानकारी भी प्रदान करते हैं.