
बैडमिंटन खिलाड़ी आकर्षी ने कॉमनवेल्थ में टीम को दिलाया रजत
ब्रिटेन के बर्मिंघम में आयोजित हुए कामनवेल्थ गेम्स-2022 में भारत के लिए रजत जीतने वाली बैडमिंटन खिलाड़ी आकर्षी कश्यप ने अपना रोमांचक सफर छत्तीसगढ़ आजतक के साथ साझा किया. उन्होंने बताया कि इस जीत के पीछे माता-पिता सहित सभी गुरुजनों का आग्रह, प्रेरणा और परिश्रम है. आज इन्हीं सब की बदौलत वे भारत की शीर्ष बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. आकर्षी की वर्ल्ड रैंकिंग – 57 है. उन्होंने अब तक 52 गोल्ड मेडल, 23 सिल्वर मेडल और 18 ब्रांज मेडल पर कब्जा किया है. वे हमेशा घर का भोजन करती हैं.
आकर्षी ने बताया कि कॉमनवेल्थ गेम्स एक बहुत बड़ा अंतरराष्ट्रीय मंच है, जिसपर पदार्पण का उन्हें अवसर मिला. अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के सामने खेलने का मौका मिला. यह एक बेहद रोमांचक अनुभव था. पर इसकी तैयारी सालों पहले शुरू हुई थी. आरंभिक दौर के बाद गंभीर प्रशिक्षण का प्रारंभ संजय मिश्रा के साथ हुआ. उनके नेतृत्व में 3-4 साल तक खेलती रही. इसके बाद शिव योगी से प्रशिक्षण प्राप्त किया और 1-2 साल तक उनकी टीम से खेलती रहीं. माता-पिता, संजय सर और शिव सर सभी ने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.
इसके बाद आकर्षी ने प्रकाश पादुकोण बैडमिन्टन अकादमी में प्रवेश लिया. यहां उनके खेल में और निखार आया. आगे के प्रशिक्षण के लिए उन्होंने सुचित्रा बैडमिन्टन अकादमी हैदराबाद में प्रवेश लिया. फिलहाल यही उनका ट्रेनिंग ग्राउंड है. जब भी घर लौटती हैं और दुर्ग में रहना होता है वे अपने पुराने साथियों विवेक और विक्रांत के साथ खेल का अभ्यास करती हैं.
21 साल की आकर्षी ने सेठ रतन चंद सुराना महाविद्यालय से बीए किया है. इस साल उन्होंने एमए पालिटिकल साइंस के लिए फार्म भरा है. इस कालेज में पालिटिकल साइंस और इकोनॉमिक्स के अलावा एमए में और कोई विषय नहीं है. इकोनॉमिक्स को अपने रुटीन में फिक्स करना उनके लिए कठिन होगा. इसलिए पालिटिकल साइंस लेना पड़ा. बता दें कि आकर्षी की स्कूली शिक्षा विश्वदीप सीनियर सेकेण्डरी स्कूल से हुई है.
आकर्षी के पिता डॉ संजीव कश्यप पेशे से चिकित्सक हैं. वे खेलकूद में स्वास्थ्य के महत्व को खूब जानते हैं. इसलिए आकर्षी की माता हमेशा उसके साथ ही रहती है. वह घर का बना दाल, चावल, सब्जी रोटी ही खाती है. मैच से पहले थोड़ा एक्सट्रा कार्ब लेती है और वर्कआउट के दौर में प्रोटीन के लिए पनीर, अंडा, चिकन या फिश लेती है. पर ये सब केवल तभी होता है जब वे टूर्नामेंट के लिए बाहर होती हैं. घर पर वे शुद्ध सात्विक भोजन ही करती हैं.
आकर्षी बताती हैं कि उनका अब तक का सबसे यादगार मैच ऑल इंडिया रैकिंग टूर्नामेंट का था जब वे अंडर 15 के लिए चुनी गई थीं. यह उनका पहला टाइटल था. यह भी एक संयोग ही था कि अपना पहला टाइटल उन्हें अपने जन्मदिन पर मिला था. वे बताती हैं कि चीन की खिलाड़ी ताई त्जू यिंग उनकी आदर्श खिलाड़ी हैं. उनका पावर, स्पीड और प्रिसिशन अनुकरणीय है. अन्य खिलाड़ियों की तरह वे कभी कोर्ट पर अपने इमोशंस का प्रदर्शन नहीं करतीं बल्कि हमेशा कूल रहती हैं मानो बैडमिन्टन कोर्ट में ध्यान कर रही हों.