
भू-माफियाओं का कारनामा सिंचाई विभाग की नहर-नाली को भी नहीं छोड़ा
भिलाई – नगर निगम रिसाली की पटवारी हल्का नंबर 49 राजस्व निरीक्षक मंडल रिसाली तह.व जिला दुर्ग की कीमती जमीनों पर इन दिनों भू-माफियाओं की नजर गड़ी हुई है. शहर में इन दिनों अवैध प्लाटिंग कर जमीन की खरीद फरोख्त का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है. लोग खुद के आशियाने की उम्मीद में नियमों की अनदेखी कर सरकारी जमीन का अवैध प्लाटिंग कर बेच रहे हैं. इस क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग के मसले पर ठोस कार्रवाई जिला प्रशासन की ओर से अब तक नहीं की गई है. शहर की आबादी दिनो दिन बढ़ती जा रही है. भू-माफिया इसका बेजा फायदा उठा रहे हैं. मोटी कमाई के लिए दलाल सारे नियम कायदों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. क्या कलेक्टर, निगम आयुक्त, जिला पंजीयक, तहसीलदार और पटवारी की मिलीभगत से अवैध प्लाटिंग का कारोबार फल-फूल रहा है. बताते है कि अवैध प्लाटिंग के खसरे का नामांतरण करने के लिए अधिकारी द्वारा 10 हजार से 15 हजार रुपया लिया जा रहा है.
सिंचाई विभाग की भूमि पर अवैध प्लाटिंग
रिसाली नगर निगम क्षेत्र के पटवारी हल्का नंबर 49 रिसाली अंतर्गत अवधपुरी में खसरा क्रमांक 620 एवं 621 निजी भूमि को अवैध प्लाटिंग कर बेचा जा रहा है. इसी भूमि से लगे खसरा नंबर 618 सिंचाई विभाग की नहर नाली की शासकीय भूमि है जबकि मौके पर अवैध प्लाटिंग कर दिया गया है. रिसाली नगर निगम आयुक्त और सिंचाई विभाग के अधिकारियों को पता ही नहीं है की उसके नाक के नीचे बड़ा खेल हो रहा है. इतना ही नहीं खसरा नंबर बैन होने के बावजूद इन अवैध प्लाटों की रजिस्ट्री भी पंजीयक की मिलीभगत से आसानी से की जा रही है. क्या राजस्व विभाग और सिंचाई विभाग की मिलीभगत से यह पूरा खेल चल रहा है? अगर जानकारी है तो इस पर अब तक कार्रवाई क्यों नही की गई. अवैध प्लाटिंग की सूची होने के बाद भी अवैध प्लाटिंग की बिक्री हो रही है आखिर किनके इशारे में बेचा जा रहा है. क्या इसकी जानकारी कलेक्टर को नहीं है अगर है तो कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है.
अवैध व वैध प्लाटिंग से हमें कोई लेना-देना नहीं- जिला पंजीयक
जिला पंजीयक पुष्प लता ध्रुवे ने एक अखबार में बयान के कहा गया कि पंजीयन विभाग सरकार की आय बढ़ाने वाले विभाग हैं. हर पंजीयन के लिए हम पंजीयन कराने वाले से स्टैंप लेते है. हमारे एक्ट में बिना किसी अधिकारिक आदेश हम किसी भूखंड का पंजीयन रोक नहीं सकते. कुछ भूखंडो के बारे में हमें कलेक्टर से रोक के आदेश प्राप्त हुए है. उनमें नियमानुसार निर्णय लेते हैं. अवैध व वैध प्लाटिंग से हमें कोई लेना-देना नहीं होता है. अगर पंजीयक विभाग सरकार की आय बढ़ाने वाली विभाग है तो क्या सरकारी जमीनों की रजिस्ट्री भी कर सकती है. आखिर इन सरकारी जमीनों पर हो रही अवैध प्लाटिंग का जिम्मेदार कौन है? अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई कौन करेंगा?
निगम क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग को रोकना निगम की जिम्मेदारी: तहसीलदार
तहसीलदार प्रफुल्ल गुप्ता एक अखबार में दिए बयान में कहा गया कि निगम क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग व कॉलोनी को रोकना निगम की जिम्मेदारी है. ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एसडीएम जिम्मेदार बनाए गए है. बिना किसी अधिकारिक आदेश के रजिस्ट्री के बाद हम बटांकन या नामांतरण नहीं रोक सकते. अवैध प्लाटिंग रोकने के लिए कॉलोनाइजर एक्ट बना है. उसके तहत निगम क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग व कालोनियों के विरुद्ध निगम को ही कार्रवाई करना है. धारा 110(4) कहता कि किसी प्रकरण में आपत्ति प्राप्त होने पर या तहसीलदार को प्रकरण, किसी कारण से विवादित प्रतीत होने पर, वह ऑनलाइन ई-नामांतरण पोर्टल से प्रकरण को अपने ई-राजस्व न्यायालय में स्थानांतरित कर पंजीकृत करेगा, अन्यथा प्रकरण में समस्त कार्यवाही ऑनलाइन ई-नामांतरण पोर्टल में की जायेगी.
जबकि कलेक्टर के माध्यम से अवैध प्लाटिंग करने वालों की खसरों की सूची जिला पंजीयक, तहसीलदार को दी जाती हैं. दिये गये बयान से लग रहा है कि तहसीलदार अपने जिम्मेदारी से बच रहें है. पटवारी अगर अवैध प्लाटिंग खसरा नंबर का नकल देता है तो उसे अपने प्रतिवेदन में अवैध प्लाटिंग का वर्णित करना भी है. क्या पटवारी अपने प्रतिवेदन में वर्णित करता है?