
90 प्रतिशत मजदूरों का पारंपरिक खाद्य बासी और पेज पसिया
हेमंत कश्यप/जगदलपुर
पूर्ववर्ती छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मजदूर दिवस के अवसर पर 1 मई को आयोजित बासी तिहार को वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार ने मजदूरों का अपमान ठहराते हुए पर्व मनाने से इनकार कर दिया है. इसे छत्तीसगढ़ी समाजों ने हास्यास्पद बयानबाजी कहा है. समाज ने कहा है कि आम चुनाव के चलते आचार संहिता जारी है, ऐसे में किसी भी तरह का सरकारी आयोजन नहीं किया जा सकता, eh. कोई भी व्यक्ति अपने घर पर 1 मई को बासी तिहार मना या पेज- पसिया ग्रहण कर सकता है. राजनीतिक दल को बयानबाजी कर किसी को आहत करने का अधिकार नहीं है.
इधर कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रदेश के 90 फ़ीसदी मजदूरों का प्रिय और पारंपरिक भोज्य बासी है. बासी तिहार के बहाने मजदूर और उनके खान-पान का सम्मान सरकार का उद्देश्य रहा है, eh. इसे बंदकर वर्तमान सरकार छत्तीसगढ़ की संस्कृति नहीं अपितु गरीब मजदूरों के मुख्य खाद्य का अनादर कर रही है.
गर्मी आते ही मजदूर ही नहीं कई लोग बासी खाते हैं. कुछ लोग भात को तुरंत पानी में डूबा कर बोरे खाते हैं. इंगलैंड के विश्व प्रसिद्ध मजदूर आंदोलन के दौरान कई श्रमिकों की मौत को याद करते हुए प्रति वर्ष 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है.
छत्तीसगढ़ के मजदूरों को सम्मान देने के लिए यह प्रथा पूर्ववर्ती सरकार ने शुरू की थी, किंतु प्रदेश की वर्तमान सरकार ने एक मई को यह तिहार मनाने से इंकार कर दिया है. उसका तर्क है कि छत्तीसगढ़ के मजदूर वर्षों से बासी खाते आ रहे हैं. कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ के लिए बासी तिहार बनाने की परंपरा शुरू की थी.
वहीं श्रमिक संगठन का कहना है कि कुछ अधिकारी विभिन्न व्यंजनों के साथ बासी खाकर फोटो छपवाते रहे हैं ,जो वास्तव में मजदूरों के लिए खुद कुछ नहीं किए. बासी तिहार मनाने की नहीं अपनाने की जरूरत है. इस बीच छत्तीसगढ़िया समाज का कहना है कि बासी तिहार नहीं मानने की घोषणा करना गलत है. आचार संहिता के चलते इस तरह का आयोजन वैसे भी नहीं किया जा सकता. बासी खाना या नहीं खाना, यह व्यक्ति के विवेक पर निर्भर करता है. अभी आचार संहिता लागू है इसलिए सरकारी तौर पर अभी बासी तिहार मनाना मुश्किल है कह कर भाजपा नेता विवाद से बच सकते थे, अब बासी पर बयानबाजी कर अपनी विद्वता झाड़ रहे हैं. ये सभी उस दिन विरोध करने क्यों खड़े नहीं हुए जब पूर्व की छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे मनाने बड़ा ऐलान किया था?
यह भी जान लीजिए
बासी की तासीर ठंडी होती है. बासी चावल में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है, जो कब्ज में फायदेमंद होता है. बासी आपको पूरे दिन तरोताजा रखता है, अगर आपको अल्सर की समस्या है तो हफ्ते में तीन बार बासी खाएं. गर्मी के दिनों में बासी खाने से सिर दर्द भी नहीं होता.