
राजिम कुंभ में छत्तीसगढ़ की लोककला और संस्कृति की बिखर रही छटा
राजिम- संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के निर्देश में राजिम कुंभ में स्थानीय कलाकारों को प्राथमिकता देने के लिए कुलेश्वर मंदिर के समीप विशाल सांस्कृतिक मंच बनाया गया है, जिसमें माघी पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन जैसे- रामायण, पंडवाणी, फाग गीत, राउत नाचा, पंथी नृत्य के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के विभिन्न कलाओं की प्रस्तुति कलाकारों द्वारा इस मंच से दिया जा रहा है.
एवं नृत्य की प्रस्तुति दी गई. फूल झरें हांसी मोती बोले बोली बैना तोर…. गीत पर नृत्य प्रस्तुति ने जबरदस्त माहौल बना दिया. गीता गोस्वामी के द्वारा भजन संध्या की प्रस्तुति दी गई. जिसमें मेरे राम आएंगे जैसे अनेक गीतों की प्रस्तुति देकर दर्शकों के मन को जीत लिया. द्रौपती नेताम ने मंच पर रामायण की प्रस्तुति दी, जिसमें केंवट के द्वारा राम भगवान सहित माता सीता और लक्ष्मण को नदी के उस पार ले जाने कथा बताई गई. भुनेश्वरी ठाकुर ने सुगम संगीत के माध्यम से दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल हुए. हेमंत यादव ने परंपारिक वेशभूषा में और अपने हाथ में विभिन्न तरीकों से सजाए गए डंडे लेकर आएं और दोहे कह कर नाचने लगे. दौलत यादव और बुधारू ने नाचा पार्टी के माध्यम से विभिन्न संदेशांे को दर्शकों तक पहुंचाया. सीता वर्मा ने इस मंच पर मानस भजन की प्रस्तुति दी.
राजिम कुंभ में छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध गायिका रजनी रजक ने राजा ढोला मारू की प्रेमकथा को संगीत के माध्यम से प्रस्तुति देकर दर्शकांे से खूब वाह-वाही लूटी. साथ ही उनकी टीम द्वारा छत्तीसगढ़ी और जसगीत की शानदार प्रस्तुति दी गई. बसंत वीर उपाध्याय के टीम ने प्रभु श्रीराम एवं केंवट संवाद की संगीतमय प्रस्तुति दी गई. साथ ही इस संवाद के माध्यम से ये भी बताया कि श्रीराम ने केवल उसी केंवट को क्यों बुलवाया इस रहस्य को विशाल सांस्कृतिक मंच में राम भक्त दर्शकों को रहस्य जानने का मौका मिला. महतारी लोकमंच के कलाकारों ने जवांरा गीत की प्रस्तुति देकर भक्तिमय माहौल बना दिया. लोक संध्या रायपुर के विवेक शर्मा ने भी अपने अंदाज में उनका सबसे अधिक प्रसिद्ध गीत मोला बेटा कहिके बुला न…… महाकाल का दिवाना……. मन के मनमोहनी……मतौना, पंथी जैसे गीतों ने दर्शकों का दिल जीत लिया. इनकी प्रस्तुति में दर्शक जमकर झूमने को मजबूर हो गए.