दिल्ली कूच के लिए जा रहे किसानों को बलपूर्वक रोका जाना निंदनीय- दीपक बैज
रायपुर- कांग्रेस ने किसान आंदोलन और आज भारत बंद का समर्थन किया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस देश के अन्नदाताओं के साथ खड़ी है. यह दुर्भाग्य है कि किसानों के देश में भारत का किसान असहाय खड़ा है, केंद्र सरकार आताताई बनी हुई है.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने 2014 लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को फसलों पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) देने के नरेंद्र मोदी के वादे की याद दिलाई है. उन्होंने दिल्ली कूच के लिए जा रहे किसानों को बलपूर्वक रोके जाने की भी कड़ी निंदा की. उन्होंने याद दिलाया कि स्वामीनाथन कमीशन की 201 सिफारिशें में से यूपीए सरकार 175 सिफारिशें लागू कर चुकी थी. बची हुई सिफारिशें में सबसे महत्वपूर्ण न्यूनतम समर्थन मूल्य से जुड़ी घोषणा मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी द्वारा कर दी गई है.
प्रधानमंत्री मोदी को निशाने पर लेते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी न्यूनतम समर्थन मूल्य के बहुत बड़े वकील बनकर सामने आए थे. मार्च 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने रिपोर्ट ऑफ वर्किंग ग्रुप ऑन कंज्यूमर अफेयर्स के चेयरमैन होने के नाते कहा था कि अगर एमएसपी सुनिश्चित हो तो किसानों को उत्पादन बढ़ाने में प्रोत्साहन मिलेगा. इस रिपोर्ट में एमएसपी को लागू करने की बात कही गई थी. 2014 लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने और उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत लाभ का झूठा वादा किया, इसके बाद वह प्रधानमंत्री बन गए.
प्रधानमंत्री मोदी ने न सिर्फ अपना वादा तोड़ा, बल्कि किसानों के रास्ते पर कील बिछवाई और किसानों को उपद्रवी कहा गया. 2014 का भाजपा का घोषणापत्र हो या मुख्यमंत्री मोदी की कमेटी की सिफ़ारिश, एमएसपी की क़ानूनी गारंटी देने पर मोदी सरकार पलटी है.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि जब पिछली बार किसान तीन काले कानूनों को लेकर धरना दे रहे थे, तब प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे माफी मांगते हुए कहा था कि मैं तीनों कानून वापस लेता हूँ. न्यूनतम समर्थन मूल्य की समस्या का समाधान निकालने के लिए जल्द ही एक कमेटी बनेगी. आज इन बातों को दो साल से ऊपर हो गए, कोई कमेटी नहीं बनाई गई. आज जब किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर फिर से धरना दे रहे हैं, तो उनपर रबर की गोलियां चलाई जा रही हैं, आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं, रास्ते में कीलें बिछाई जा रही हैं.