
दुर्ग- जल जंगल और जमीन के लिए आवाज उठाने वाली संस्थाओं और जन संगठनों के कार्यकर्ताओं ने हसदेव जंगल को उजड़ने से बचाने की मांग करते हुए कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा को राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन के नाम पर ज्ञापन सौंपा है. इस दौरान संस्थाओं और जन संगठनों ने कलेक्टोरेट गेट के पास खड़े होकर जंगल कटाई पर रोक लागने की मांग करते हुए अपने-अपने हाथों में बैनर, पोस्टर पकड़े थे. जंगल को बचाने का संदेश दे रहे थे.
सौंपे गये ज्ञापन में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति) के रमाकांत बंजारे ने कहा कि छत्तीसगढ़ की सत्ता में काबिज होते ही भाजपा सरकार ने अपने चहेते कापरिट अडानी के लिए संसाधनों की लूट और आदिवासियों के दमन की कार्यवाही शुरू कर दी है. जानकारी के अनुसार हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के युवा साथी रामलाल करियाम (ग्राम हरिहरपुर), जयनंदन पोर्ते (सरपंच ग्राम घाटबर्रा) और ठाकुर राम सहित कुल 7 आंदोलनकारी साथियों को पुलिस घर से उठाकर ले गई और गांव में भारी पुलिस फोर्स को तैनात करके परसा ईस्ट केते बासेन कोयला खदान के लिए पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई है.
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति) के कलादास डहेरिया ने भाजपा सरकार की इस दमनात्मक कार्यवाही का कड़े शब्दो में भर्त्सना करती है और आदिवासियों साथियों की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए हसदेव के जंगल विनाश पर रोक लगाने की मांग की है. हसदेव अरण्य छत्तीसगढ़ का समृद्ध वन क्षेत्र है, जहां हसदेव नदी और उस पर मिनीमता बांगो बांध का कैचमेंट है, जिससे 4 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है. केंद्र सरकार के ही एक संस्थान “भारतीय वन्य जीव संस्थान” ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि हसदेव अरण्य में कोयला खनन से हसदेव नदी और उस पर बने मिनीमाता बांगो बांध के अस्तित्व पर संकट होगा. प्रदेश में मानव-हाथी संघर्ष इतना बढ़ जाएगा कि फिर कभी उसे कभी सम्हाला नही जा सकता.
आदिवासी मातृशक्ति संगठन से चन्द्रकला तारम ने बताया कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में दिनांक 26 जुलाई 2022 को अशासकीय संकल्प सर्वानुमति से संकल्प पारित किया था कि हसदेव अरण्य को खनन मुक्त रखा जाए. पूरा क्षेत्र पांचवी अनुसूची में आता है और किसी भी ग्रामसभा ने खनन की अनुमति नहीं दी है. परसा ईस्ट केते बासेन कोयला खदान के दूसरे चरण के लिए खनन वनाधिकार कानून, पेसा अधिनियम और भू-अर्जन कानून- तीनों का उल्लंघन है.
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा. (मजदूर कार्यकर्ता समिति) के संदीप पटेल ने कहा कि परसा ईस्ट केते बासेन कोयला खदान हेतु प्रभावित गांव घाटबर्रा गांव को मिले सामुदायिक वन अधिकार पत्र को गैरकानूनी रूप से तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा ही निरस्त किया गया था, जिसका मामला पुनः बिलासपुर उच्च न्यायालय में लंबित है. नव निर्वाचित भाजपा सरकार को जिस विश्वास के साथ इस प्रदेश और खासकर सरगुजा के आदिवासियों ने सत्ता सौंपी है, सरकार का यह कृत्य पुरे प्रदेश के आदिवासी समुदाय का सीधा विश्वासघात है. यदि हसदेव के जंगलों की कटाई नहीं रोकी गई, तो पूरे प्रदेश में व्यापक आंदोलन शुरू किया जायेगा.