
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कठिन प्रतिस्पर्धा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चों पर माता-पिता का दबाव देशभर में आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण है.
एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने असहायता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी परिस्थिति में न्यायपालिका निर्देश नहीं दे सकती है. याचिका में छात्रों की आत्महत्याओं का हवाला देते हुए तेजी से बढ़ते कोचिंग संस्थानों के नियमन की मांग की गई थी.
ये आसान चीजें नहीं हैं
पीठ ने वकील मोहिनी प्रिया से कहा, ये आसान चीजें नहीं हैं. इन सभी घटनाओं के पीछे माता-पिता का दबाव है. बच्चों से ज्यादा माता-पिता ही उन पर दबाव डाल रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में अदालत कैसे निर्देश पारित कर सकती है? मुंबई स्थित डाक्टर अनिरुद्ध नारायण मालपानी ने वकील मोहिनी प्रिया के जरिये यह याचिका दायर की है.
जस्टिस खन्ना ने कहा कि हालांकि, हममें से ज्यादातर लोग नहीं चाहेंगे कि कोई कोचिंग संस्थान हो. लेकिन स्कूलों की स्थितियों को देखें. वहां कड़ी प्रतिस्पर्धा है और छात्रों के पास इन कोचिंग संस्थानों में जाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2020 के आंकड़ों का जिक्र करते हुए प्रिया ने कहा कि इसके अनुसार देश में लगभग 8.2 प्रतिशत छात्र आत्महत्या से मर जाते हैं. पीठ ने कहा कि वह स्थिति के बारे में जानती है, लेकिन अदालत निर्देश पारित नहीं कर सकती. पीठ ने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता अपने सुझावों के साथ सरकार से संपर्क करे. प्रिया ने उचित मंच पर जाने के लिए याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी, जिसकी अदालत ने अनुमति दे दी.