
पिछले पांच सालों में लगातार बढ़ी है लोकप्रियता
ईडी के छापे के दौरान भी साथ खड़े थे समर्थक
वाटर एटीएम से पेयजल प्राप्त करने की सुविधा
धार्मिक सांस्कृतिक कार्यों के लिए मंच व डोम शेड
बैडमिन्टन कोर्ट, फुटबाल और क्रिकेट ग्राउंड
छत्तीसगढ़ आजतक
भिलाई नगर – विधायक देवेन्द्र यादव की लोकप्रियता पिछले पांच सालों में लगातार बढ़ी है. उन्होंने न केवल लोगों के बीच अपनी उपलब्धता को सुनिश्चित रखा बल्कि प्रत्येक अवसर, तीज-त्यौहार को कार्यकताओं और आम जनों के साथ ही मनाया. उनके साथ हर कदम पर उनकी पत्नी डॉ श्रुति भी खड़ी नजर आती हैं. यही कारण है कि पहले जहां केवल एनएसयूआई और कांग्रेस के लोगों का उनके यहां आना जाना था, अब उनसे मिलने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है. अपने विधायक कार्यकाल का पूरा अरसा वे न केवल एक्टिव रहे बल्कि लोगों के सुझावों को अमल में लाते रहे.
विधायक निर्वाचित होने से पहले देवेन्द्र महापौर थे. 25 साल की उम्र में महापौर चुने जाने के सबसे कम उम्र में इस पद तक पहुंचने का उन्होंने रिकार्ड बनाया था. विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा के कद्दावर नेता को पराजित किया. इसके बाद भिलाई इस्पात संयंत्र एवं नगर निगम के साथ बेहतर तालमेल स्थापित करते हुए उन्होंने न केवल शासन की योजनाओं को आगे बढ़ाने में लगातार रुचि ली बल्कि भिलाई को एक अलग पहचान भी दी.
पूर्व विधायक भिलाई को सेवानिवृत्तों और बूढ़ों का शहर बताते रहे हैं. देवेन्द्र ने इसे उलट कर रख दिया. सबसे पहले खेल सुविधाओं को सेक्टर-1 के पंत स्टेडियम काम्पलेक्स से बाहर निकालकर पूरे शहर में इसका जाल बिछा दिया. सेक्टर-2 में जहां शानदार स्पोर्ट्स आउटडोर स्पोर्ट्स काम्पलेक्स बनकर तैयार हो गया वहीं लगभग सभी सेक्टरों में खूबसूरत बैडमिंटन कोर्ट बना दिये. अब कोई सुबह सैर को निकले या शाम को हर तरफ बच्चे खेलकूद में व्यस्त दिखाई देते हैं.
भिलाई के बाजार क्षेत्रों में टायलेट और पेयजल एक बड़ी समस्या थी. विधायक ने इस स्थिति को समझते हुए व्यस्त बाजारों में पे एंड यूज शौचालयो के साथ ही वाटर एटीएम की स्थापना करवाई. उनके कार्यकाल में ही पहली बार भिलाई इस्पात संयंत्र ने अपने टाउनशिप के एक चौराहे को एक अखिल भारतीय संस्था आईसीएआई के साथ साझा किया. सिविक सेन्टर के पीछे स्थित यह चौक दुर्ग में बने सीए चौक से भी सुन्दर है. अनुभवहीनता पर भारी पड़ी यह रणनीति देवेन्द्र यादव के बारे में पहले आलोचक यही कहते थे कि उसे अनुभव नहीं है. बेशक देवेन्द्र के पास अनुभव नहीं था पर उन्होंने हर सुझाव का स्वागत किया. सुझाव देने वालों को सम्मान दिया. युवाओं की फौज पहले ही उनके साथ थी. लोग जुड़ते गए और कारवां बनता चला गया. सुझाव चाहे स्कूल कालेजों की स्थिति सुधारने की हो, खेल सुविधाओं के विकास का हो या टाउनशिप क्षेत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए मंच बनाने का हो, देवेन्द्र ने प्रत्येक सुझाव पर अमल किया. अपने से बड़े प्रत्येक व्यक्ति को न केवल देवेन्द्र सम्मान देना जानते हैं बल्कि बिना किसी झिझक के वरिष्ठों और ज्येष्ठों का पैर भी छू लेते हैं.
इस एक घटना ने बना दिया सबका दुलारा
देवेन्द्र ने अपनी प्रेमिका का हाथ थामने के लिए पहले अपना मुकाम बनाया. विधायक बनने के बाद भी वे अपने स्कूल जीवन की प्यार को नहीं भूले. इसके बाद भी उनकी डाक्टर पत्नी का हाथ मांगना कोई आसान कार्य नहीं था. पर उनकी मदद के लिए सीएम भूपेश स्वयं आगे आए और लड़की वालों से बात की. लड़की पिता मान गए और धूम-धाम के साथ दोनों का विवाह सम्पन्न हुआ. प्रेमिका के प्रति यह निष्ठा लोगों के दिलों को छू गई. उनके खाते में अनेक उपलब्धियां
महापौर से विधायक बने देवेन्द्र ने मिनी इंडिया के सौन्दर्यीकरण का अभियान जारी रखा. लोगों और विभिन्न समाजों की मांग पर मंगल भवन, सामाजिक भवन, सांस्कृतिक मंच, आदि का निर्माण किया या डोम शेड आदि बनवाने में सहयोग प्रदान किया. शहर के बुजुगों के लिए विकसित किये गये सायन सदनों को भी उनका भरपूर प्यार मिला. इस चुनाव में एक बार फिर वे भाजपा के उसी प्रत्याशी के समक्ष हैं जिन्हें पांच साल पहले उन्होंने पराजित किया था. भिलाई के बारे में कहा जाता है कि यहां पिछले कई सालों से कोई विधायक लगातार नहीं जीता. अब देखना यह है कि क्या देवेन्द्र अपनी तमाम उपलब्धियों के साथ इस मिथक को तोड़ पाते हैं?