
राजिम : फिंगेश्वर के ग्राम लचकेरा में इन दिनों प्रवासी पक्षियों के कलरव से गांव गूंज रहा है. ओपन बिल स्ट्रोक विदेशी सायबेरियन पक्षियों के हजारों का झुंड एक लंबे अरसे से जिले के अंतिम सरहद के गांव लचकेरा में प्रतिवर्ष मानसून लगने के पूर्व पहुंच जाते हैं. ग्रामीण इसे मानसून के आने का संकेत मानते हुए खुशी का इजहार करते हुए देवदूत कहने से भी नहीं चुकते. इनके आते ही ग्रामीण ख़ुशी का जश्न मनाने के साथ ही इनकी सुरक्षा का बकायदा चाक चौबंद व्यवस्था भी करते हैं.
गांव में बैठक कर ग्रामीणों को इन प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा की हिदायत देने के साथ ही इनको मारने व इनके अंडों को क्षति पहुंचाए जाने पर दंड का प्रावधन रखा गया है. साथ ही जरूरत पड़ने पर न्यायिक हिरासत में देने की फरमान भी जारी की गई है. हजारों किलोमीटर दूरी का फासला तय कर प्रतिवर्ष लचकेरा गांव पहुंचकर प्रवासी पक्षी अपने घोसला बनाकर प्रजनन करने के साथ ही अंडे देकर नए मेहमान पैदा कर उनकी उचित देखभाल करते हैं. दीपावली के समय अक्टूबर माह में नए मेहमान शावकों के पंख आते ही उनको लेकर उड़ने लगते हैं.
नदी के किनारे तट बंध में एक घनी आबादी में बसे लचकेरा गांव के समीप खेतों से किट पंतगों को अपना आहार बनाने, पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त करने के साथ ही गंदगी से होने वाले गंभीर बीमारियों से भी ग्रामीणों को निजात मिलती है. इसके चलते ग्रामीण माह जून के शुरुवात होते ही इन पक्षियों का बेसब्री से इंतजार करते हैं.