बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में लक्ष्मी जी का एक मात्र प्राचीन मंदिर इकबीरा पहाड़ी रतनपुर कोटा मार्ग पर है. धन वैभव, सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी मां महालक्ष्मी का यह प्राचीन मंदिर हजारों-लाखों भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. इस मंदिर में पवित्र मन से देवी की आराधना करने से दुख, दरिद्रता, रोग, शोक का शमन होता है और जीवन में खुशहाली आती है.
महालक्ष्मी का यह मंदिर लखनी देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. लखनी देवी शब्द लक्ष्मी का ही अपभ्रंश है, जो साधारण बोलचाल की भाषा में रूढ़ हो गया है, जिस पर्वत पर यह मंदिर स्थित है इसके भी कई नाम हैं. इसे इकबीरा पर्वत, वाराह पर्वत, श्री पर्वत और लक्ष्मीधाम पर्वत के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर का निर्माण कल्चुरी राजा रत्नदेव तृतीय के प्रधानमंत्री गंगाधर ने साल 1179 में कराया था. उस समय इस मंदिर में जिस देवी की प्रतिमा स्थापित की गई थी उसे इकबीरा देवी व स्तंभिनी देवी कहा जाता था.
मंदिर के बनते ही महामारी राज्य से हुई खत्म
प्राचीन किवंदती के अनुसार, राजा रत्नदेव तृतीय के साल 1178 में राज्यारोहण करते ही सारी प्रजा दुर्भिक्ष, अकाल व महामारी से त्रस्त हो उठी थी और राजकोष खाली हो चुका था. ऐसी विकट स्थिति में राजा के विद्वान मंत्री पंडित गंगाधर ने लक्ष्मी देवी मंदिर का निर्माण कराया. मंदिर के बनते ही अकाल व महामारी राज्य से खत्म हो गई और सुख, समृद्धि, खुशहाली फिर से लौट आई. तबसे आज तक लखनी देवी मंदिर की मान्यता और इसके प्रति लोगों की आस्था बढ़ते ही चली आ रही है.
मां की पूजा से होती है सुख-समृद्धि की प्राप्ति
खास बात यह है कि इस मंदिर की आकृति शास्त्रों में वर्णित पुष्पक विमान की तरह है और इसके अंदर श्रीयंत्र उत्कीर्ण है. रोजाना पूजा से सुख व समृद्धि की प्राप्ति होती है. लखनी देवी का स्वरूप अष्ट लक्ष्मी देवियों में से सौभाग्य लक्ष्मी का है, जो अष्टदल कमल पर विराजमान हैं. सौभाग्य लक्ष्मी की रोजाना पूजा-अर्चना से जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है, गरीबी दूर होती है और सभी प्रकार की अनुकूलताएं आने लगती हैं.
धनतेरस व दीपावली में होती है विशेष पूजा
लखनी देवी मंदिर के मुख्य पुजारी पं. रेवाराम उपाध्याय ने बताया कि इस प्राचीन मंदिर में धनतेरस व दीपावली में विशेष पूजन किया जाता है. मान्यता है कि यहां इस दिन पूजा करने से सुख, समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है. लक्ष्मी माता के इस पावन धाम में आप आसानी से पहुंच सकते हैं. यह मंदिर रतनपुर में है तो आप यहां बिलासपुर से आसानी से पहुंच सकते हैं. वहीं मंदिर पहुंच कर पहाड़ के ऊपर से जो दृश्य दिखाई देता है वो मन को खुश कर देता है. पहाड़ की चोटी पर बसा माता रानी का यह धाम पवित्र और पावन तो है ही साथ में खूबसूरत नजारों से भरा हुआ है.
मंदिर तक पहुंचने के लिए चढ़नी पड़ती हैं 300 सीढ़ियां
लखनी माता मंदिर के प्रति भक्तों की आस्था अटूट है. यहां हर साल नवरात्रि पर भी भक्तों की खास भीड़ उमड़ती है तो वहीं सालभर यहां भक्तों का आना लगा ही रहता है. मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 300 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं ये चढ़ाई आसान नहीं है, लेकिन माता का नाम लेते हुए भक्त आखिर चढ़ ही जाते हैं.