
करवा चौथ : सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना करते हुए करवा चौथ का व्रत रखती है. करवा चौथ के दिन सबुह बिना नहाए 4 से 5 बजे के बीच सरगी खाने का रिवाज है. सरगी सास अपनी बहु को देती है. इसमें अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार, फल, मिठाई, दूध आदि ले सकते हैं. लेकिन इसे सुबह बिना नहाए खाया जाता है. एक बार सरगी खाने के बाद न पानी पी सकते हैं और न ही कुछ खा सकते हैं. इसके बाद स्नान करने के बाद मंदिर की साफ-सफाई कर ज्योत जलाई जाती है. इस त्योहार में महिलाएं सुबह से व्रत का संकल्प लेते हुए शाम को चंद्रमा के दर्शन और पूजा के बाद व्रत तोड़ती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है. इस त्योहार पर सभी सुहागिन महिलाएं किसी एक जगह एकत्रित होकर करवा चौथ व्रत की कथा सुनती हैं और रात को चांद के दीदार करते हुए उपवास तोड़ती हैं.
इस दिन मां पार्वती, भगवान शिव और भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है. सुहागिन महिलाएं अपने हाथों से मिट्टी के भगवान गणेश की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करती हैं और मिट्टी के करवे का अर्घ्य देने के लिए इस्तेमाल करती हैं.
कब मनाएं करवा चौथ 13 या 14 अक्टूबर को?
इस साल करवा चौथ मनाने की तिथि को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हो गई है. दरअसल दो दिनों तक चौथ की तिथि रहने की वजह से ऐसा हो रहा है. हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार प्रत्येक वर्ष करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है. इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर यानी गुरूवार को रात 01:59 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो 14 अक्टूबर यानी शुक्रवार को रात 03:08 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक 13 अक्टूबर को पूजा का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:21 बजे से 12:07 बजे तक और अमृत काल मुहूर्त शाम 4:08 बजे से शाम 5:50 बजे तक रहेगा. वहीं पूजा के लिए शाम 06:01 से शाम 7:15 बजे के बीच के समय को भी शुभ बताया जा रहा है. नक्षत्रों के अनुसार 13 अक्टूबर को करवा चौथ के दिन रात 08:19 बजे चंद्रोदय होगा. इन सब बातों को देखते हुए 13 अक्टूबर को ही करवा चौथ का व्रत रखना शुभ होगा.
करवा चौथ मनाने की पूजा विधि
करवा चौथ मनाने वाली वाली महिलाएं सबसे पहले सुबह स्नान करने के बाद व्रत रखने संकल्प लें. इसके बाद चौथ माता की पूजा का करें. फिर अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखें. पूजा के मुहूर्त में चौथ माता या मां गौरी और भगवान गणेश की पूजा करें. इस दौरान गंगाजल, नैवेद्य, धूप-दीप, अक्षत्, रोली, फूल, पंचामृत आदि अर्पित करें. मां गौरी और भगवान गणेश को श्रद्धापूर्वक फल और हलवा-पूरी का भोग लगाते हैं. इसके बाद चंद्रमा के उदय होने पर अर्घ्य देते हैं और फिर बाद पति के हाथों जल ग्रहण करके व्रत का पारण करते हैं.
करवा चौथ की थाली में क्या-क्या होना चाहिए
करवा : करवा चौथ में मिट्टी का करवा सबसे जरूरी चीज मानी जाती है. इसमें चावल को पीस घोल बना लें और इसके चारों ओर लगा दें. अगर मिट्टी नहीं है, तो पीतल से बना करवा भी इस्तेमाल करना शुभ होता है. 2 करवा होना जरूरी है.
दीपक : मिट्टी से बने 1-2 दीपक ले लें. इसके अलावा आटा से बना भी एक दीपक शामिल करें.
छलनी : करवा चौथ के दिन चंद्रमा को देखने के बाद पति को देखने के लिए छलनी का इस्तेमाल किया जाता है.
पानी के लिए लोटा : भगवान चंद्रमा को अर्घ्य करने के लिए थाली में एक लोटा जल भी जरूर रख लें. इसके साथ ही थोड़ा सा पानी गिलास में रख लें. जिसे पीकर ही व्रत खोलना शुभ माना जाता है.
सिंदूर : थाली में सिंदूर जरूर शामिल करें. इसे चंद्रमा को अर्पित किया जाता है. इसके साथ ही पूजा करने के बाद पति पत्नी की मांग में भरता है.
मिट्टी की पांच डेलियां : मिट्टी की पांच डेलियों को गौरी जी के रूप में पूजा जाता है. करवा चौथ की पूजा के दौरान इसका इस्तेमाल भी जरूर करें.
अक्षत : चंद्र द्रव को चढ़ाने के लिए अक्षत भी शामिल करें. थोड़ा सा अक्षत एक करवा में थोड़ा सा भर दें. इसके साथ ही एक सिक्का और थोड़ी सी आटे की लोई डाल दें.
मिठाई : चंद्र देव की पूजा करने के साथ करवा में डालने के लिए मिठाई जरूर रखें.