
छत्तीसगढ़ आजतक- जैव विविधताओं से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ न केवल अपने लहलहाते खेत और खनिज संपदा के लिए जाना जाता है बल्कि यहां की भौगोलिक विविधता भी अतुलनीय है. ग्रीष्म में जब छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाके तप रहे होते हैं तब भी कुछ स्थानों पर मौसम सुहाना बना रहता है. अकसर लोग गर्मियों से बचने के लिए पहाड़ों की शरण में जाना चाहते हैं पर सभी के लिए लंबी यात्राएं संभव नहीं होतीं. यदि इस बार आप गर्मियों के कहीं आसपास होकर आना चाहते हैं तो राज्य के इन तीन स्थानों पर समय बिताया जा सकता है.
मैनपाट
सरगुजा जिले में अम्बिकापुर से 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मैनपाट एक बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है. यह विंध्य पर्वतमाला से जुड़ा हुआ है. समुद्रतल से लगभग 3781 फीट की ऊंचाई पर बसे मैनपाट को ‘छत्तीसगढ़ का शिमला ‘ भी कहा जाता है. शरद ऋतु में यहां होने वाली बर्फ़बारी शिमला का अनुभव कराती है. पहाड़ से निकलते टेढ़े-मेढ़े रास्ते और वृहंगम दृश्य पैदा करते हैं. ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ एवं चारों ओर से वनों से घिरा हुआ हरियाली, बहते झरने एवं नदियां लोगों को अपनी ओर खींच लेती है. यहां तिब्बतियों की बस्ती भी हैं जहां चारों और रंग बिरंगे ध्वज आपका मन मोह लेते हैं. गर्मी के दिनों में भी यहां मौसम ठंड का बना रहता है. यह रिहन्द और मांड नदी का उद्गम स्थल भी है. मैनपाट अपने तिब्बती कालीन उद्योग और पामेरियन कुत्तों के लिए भी प्रसिद्ध है.
मैनपाट के दर्शनीय स्थलों में व्यू पाइंटों के अलावा बौद्ध मंदिर प्रमुख हैं. 1962 में तिब्बती शरणार्थियों को यहां बसाया गया था. इसलिए इसे ‘छत्तीसगढ़ का तिब्बत’ भी कहा जाता है. मांड नदी पर सरभंजा जलप्रपात स्थित है जिसे टाइगर पॉइंट के नाम से भी जाना जाता है. जमदरहा नामक पहाड़ी नदी झरने के रूप में एलिफेंट पॉइंट से नीचे आती है. घनघोर जंगल के बीच इस झरने में बारहों महीने पानी रहता है. प्रकृति की गोद में बसा मेहता पॉइंट सूर्योदय एवं सूर्यास्त के मनोरम दृश्य के लिए विख्यात है. मैनपाट के अन्य प्रमुख आकर्षण दलदली नामक स्थान है. यह एक अनोखी जगह है जहां धरती में स्पंज जैसे गुण हैं. यहां सैलानियों को प्राकृतिक ट्रैम्पोलिन पर उछल कूद मचाते देखा जा सकता है. मछली पॉइंट भी प्राकृतिक सम्पदा से भरपूर यह एक दर्शनीय स्थल है.
चिरमिरी
चिरमिरी हिल स्टेशन छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में स्थित है. इसे हत्तीसगढ़ का स्वर्ग भी कहा जाता है. यह अनगिनत झरनों और हरियाली से लैस छत्तीसगढ़ का एक बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल है. गर्मियों में यहां तेंडक का एहसास तो होता ही है, साथ ही छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक मंदिर और गांव की संस्कृति भी यहां खूब देखने को मिलती है. यहां की दूर तक बिखरी हरियाली और अनगिनत झरने आंखों के साथ ही मन को भी सुख प्रदान करते हैं. समुद्र तल से लगभग 579 मीटर की ऊँचाई पर स्थित ये हिल स्टेशन हसदेव नदी के तट पर बसा है. यहां के घने जंगल तमाम तरह के वन्य जीवों का घर भी हैं. प्राकृतिक सुंदरता के अलावा यहां बड़ी संख्या में कोयले की खदानें हैं.
चिरमिरी में जगन्नाथ मंदिर, गुफा मंदिर और रतनपुर का महामाया मंदिर देख सकते हैं. चिरमिरी के इर्द-गिर्द ऐसे कई गाँव हैं जहाँ वक्त बिताया जा सकता है. यहां ग्रामीण जीवन और प्राकृतिक सौंदर्य का पूरा मजा लिया जा सकता है. इन गाँवों में होमस्टे की सुविधा उपलब्ध है. इस शानदार हिल स्टेशन में कई झरने हैं जिनमें अमृत धारा, अकुरी नाला, रमाधा जैसे झरने आपको भरपूर सुकून देंगे. जिन्हें ट्रेकिंग पसंद है उनके लिए भी यहां बढ़िया इंतजाम है. रंग बिरंगे फूलों के बीच ट्रेकिंग के साथ ही आप आउटडोर कैम्पिंग के भी चिरमिरी आ सकते हैं. बारिश में ये जगह और भी ज्यादा खूबसूरत हो जाती है.
पिल्खा पहाड़
पिल्खा पहाड़ एक ऐतिहासिक स्थल है. यह स्थल राम वन गमन पथ से भी जुड़ा हुआ है. ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम जब वनवास के लिए निकले थे तो छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले से होते हुए इसी रास्ते सरगुजा के रामगढ़ तक गए थे. पिल्खा पहाड़ में एक ऐसा कुंड है जिसमें चट्टानों से होकर पानी आ रहा है, जिसे छीपली पानी कहते हैं. रामायणकाल में यहां विश्वा ऋषि तपस्या करते थे. बताया जाता है कि छीपली पानी का कुंड थाली के आकार का था. स्थानीय बोली में छिपली थाली को कहते हैं. पहाड़ के नीचे एक गुफा है. नीचे एक और कुंड है जिसमें बारह महीने शीतल जल भरा रहता है. इस पानी का उपयोग पीने के लिए किया जा सकता है. यहां भोलेनाथ की मूर्ति भी स्थापित है. हाल ही में इस पर्यटन स्थल को सफारी के रूप में विकसित करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है.