
मोहरी मंगल वाद्य से मंदराजी जयंती कार्यक्रम की हुई शुरूआत
राजनांदगांव- कन्हारपुरी ग्राम को अपने सांगीतिक ठीहा बनाकर यहां कला बीजों का रोपण करने वाले नाचा के पुरोधा- दाऊ मंदराजी को लोक कलाकारों ने उनके जन्म दिन पर शिद्दत से याद करते हुए उन्हें गीत-संगीत के माध्यम से सुरमयी-सांगीतिक कृतज्ञांजलि अर्पित की. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के द्वारा मंदराजी दाऊ जी की प्रतिमा में माल्यार्पण दीप प्रज्जवलन व तिलकाभिषेक कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.
इस दौरान कन्हारपुरी के लोक कलाकार नत्थन दास साहू के लोक मंगल वाद्य मोहरी के स्वर चहुंओर गूंजायमान होते रहे. उन्होंने देवी जस गान धुन के साथ मंदराजी दाऊ जी को कृतज्ञांजलि देने वाले सुरमयी गीतों भरी संध्या का शुरूआत की तत्पश्चात् छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध कोकिल कंठी लोक गायिका, जयंती यादव द्वारा गाए गए एक से बढक़र एक छत्तीसगढ़ी गीत , तै.. अरझे कहां पर बुधिया रे… छैला बाबू, अंचरा ल रो-रो भिगोवत हो… देखे-देखे, देवर बाबू-तोर भइया के चाल ,,, गाकर लोगों को भाव- विभोर किया वहीं दाऊ जी को अपने पुरनम एवं कशिश भरी आवाज में,,, तैं कहां चल दिए दाऊ जी, हम ला छोड़ के जैसे शब्दों से कृतज्ञांजलि दी तो लोगों के आंखों से आंसू छलक गए. कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध मिमिक्री कलाकार भोलाराम साहू ने अपने हास्य-व्यंग्य की प्रस्तुति से लोगों को जमकर कर हसांया और देर तक लोगों का मंनोरजन करते रहे.
कार्यक्रम के शुभारंभ में कवि/साहित्यकार, आत्माराम कोशा “अमात्य” द्वारा लिखे गए छत्तीसगढ़ी बायोपिक फिल्म मदराजी के टाइटल गीत- ‘बबा मदराजी… लोक कला नाचा के सियान गा.. को लोक गायक महादेव हिरवानी ने अपने सुमधुर आवाज में गाकर शमा बांध दिया और माहौल को न ई ऊंचाई दी . जयंती यादव के साथ उसकी सुपुत्री लोक गायिका अन्नपूर्णा यादव की कशिश भरी आवाज में एक से बढक़र एक लोकप्रिय छत्तीसगढ़ी गीतों की बरसात हुई जिसके आकर्षण में लोग देर तक आनंद लेते रहे.
इस दौरान ढोलक व तबले पर अपने उंगलियों का जौहर लोक कलाकार दिनेश साहू ने दिखाया वही हारमोनियम पर अपनी दमदार संगत नाचा कलाकार दाऊ चतुर सिंग ने की. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुप्रसिद्ध लोक कलाकार एवं रंग कर्मी, विजय मिश्रा ‘अमित’ ने छत्तीसगढ़ी लोक रंग शैली नाचा के पुरोधा पुरूष दाऊ मंदराजी के नाचा के प्रति उसके योगदान को बखान करते हुए इसे भूतों न भविष्यति कहा. उन्होंने तात्कालीन समय के ग्राम कन्हारपुरी को अपना सांगीतिक ठीहा बनाने तथा यहां के कलाकारों में कला-संगीत के बीजा रोपण के लिए भी दाऊजी को धन्य बताते हुए कहा कि यही वजह है कि उनके द्वारा सिखाए गए कलाकार आज चहुंओर छत्तीसगढ़ी लोक कला की प्रसिद्धि बिखेर रहे हैं और कन्हारपुरी का नाम ऊंचा कर रहे हैं.
कार्यक्रम के संयोजक व कवि/ साहित्यकार आत्माराम कोशा ‘अमात्य’ ने नाचा के प्रति अपना सर्वस्व त्याग करने वाले दाऊ जी को अपना कला-पुरखा बताया और अपने गीतों के पुष्प उनके सादर चरणों में अर्पित किए . कार्यक्रम का संचालन श्री कोशा सहित ग्रामीण कवि पवन यादव ‘पहुंना’ (सुन्दरा) ने किया. मंदराजी दाऊ की जयंती अवसर पर देर तक चले इस सुरमयी आयोजन में कोकिल कंठी गायिका जयंती यादव सहित रंग कर्मी विजय मिश्रा ‘अमित’ व लोक गायिका अन्नपूर्णा यादव (अन्नू) का शाल श्री फल से स्वागत / सम्मान किया गया. कार्यक्रम के अंत में दाऊ मंदराजी सहित लोक संगीतकार स्व. खुमान लाल साव स्व. देवी लाल नाग व आज के ही दिन एक अप्रैल को ही इंतकाल हुए सुप्रसिद्ध ढोलक वादक कलाकार स्व. रवि रंगारी को श्रद्धांजलि दी गई.
इस दौरान सुप्रसिद्ध लोक संगीतकार स्व. देवी लाल नाग की धर्म पत्नी श्याम बाई नाग, श्याम लाल बजरंग, चेतन सोनवानी, शत्रुघन साहू, नीलम साहू, राजू नाग ओहरिक साहू, डॉक्टर नरेंद्र बजरंग ,, अंकालू साहू, लीलाराम निषाद, श्याम रतन साहू, तारू सादानी, सीताराम, संतोष श्रीवास, ललित निर्मलकर सहित बड़ी संख्या में दाऊ जी के अनुरागी व छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत के प्रेमी नर-नारी उपस्थित थे. उक्त जानकारी रंगकर्मी रंजित कुमार मोहने ने दी.