
रथ बनाने सिरहासार पहुंच रही लकड़ियां
हेमंत कश्यप
विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के लिए इस वर्ष आठ पहियों वाला विशाल रथ तैयार किया जाएगा. इसके लिए माचकोट, दरभा और जगदलपुर वन परिक्षेत्रों में साल और सिवना पेड़ों की कटाई शुरू हो चुकी है. बताया गया लगभग 240 वृक्षों की कटाई की जा रही है. काटी गई लकड़ियों को जगदलपुर में रथ निर्माण स्थल सिरहासार लाया जा रहा है.
बस्तर दशहरा की शुरुआत लगभग 610 साल पहले महाराजा पुरुषोत्तम देव ने की थी. तब से यह महापर्व हर्ष और उल्लास के साथ नियमित मनाया जा रहा है. हर एक साल के अंतराल में दशहरा के लिए क्रमशः चार और आठ पहियों वाला रथ तैयार किया जाता है. इस वर्ष आठ पहियों वाला विजय रथ तैयार किया जाएगा. यह रथ विजयादशमी तथा उसके दूसरे दिन खींचा जाएगा.
रथ बनाने ग्राम बेड़ा और झार उमरगांव के करीब डेढ़ सौ कारीगर जगदलपुर पहुंचते हैं. इनके आने से पहले बस्तर वन मंडल अंतर्गत जगदलपुर, दरभा और माचकोट वन परिक्षेत्रों में पेड़ों की कटाई शुरू हो चुकी है. मंगलवार को 17 ट्रकों में साल वृक्ष के कई गोले सिरसासार पहुंचाए गए. बताया गया कि विजय रथ बनाने के लिए लगभग 54 घन मीटर लकड़ी की आवश्यकता होती है. यह कार्य प्रतिवर्ष किया जाता है और वन विभाग द्वारा दशहरा समिति को यह लकड़िया नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं.
पौधरोपण की दिशा में उदासीनता – पिछले पांच वर्षों से बस्तर दशहरा समिति की बैठक में चर्चा हो रही है कि जगन्नाथ पुरी की तरह यहां भी रथ बनाने काटे गए पेड़ों के बदले चार गुना साल पौधों का रोपण किया जाए. वर्ष 2000 में औपचारिकता बतौर लगभग एक सौ पचास साल पौधों की रोपाई की गई थी. वर्ष 2021 में दरभा क्षेत्र के ग्रामीणों ने पेड़ कटाई का विरोध किया था तब जन दबाव के चलते दशहरा के बाद दरभा, जगदलपुर और माचकोट वन परिक्षेत्र के उन जंगलों में लगभग 500 साल पौधों का रोपण किया गया था, जहां रथ बनाने 240 पेड़ों की कटाई की गई थी. इस वर्ष पौधरोपण की दिशा में कोई सुगबुगाहट नहीं हो रही है. पर्यावरण जानकारों का कहना है कि आमतौर पर क्षतिपूर्ति पौधरोपण बस्तर दशहरा निपटने के बाद किया जाता है जबकि उन दिनों मौसम पौधारोपण के अनुकूल नहीं रहता. अभी भरपूर बारिश हो रही है, इसलिए दशहरा पूर्व क्षतिपूर्ति पौधरोपण कर दिया जाना चाहिए.
बस्तर दशहरा के लिए इस वर्ष आठ पहियों वाला रथ तैयार किया जाएगा. एक-दो दिनों में रथ बनाने वाले कारीगर पहुंच जाएंगे. उनके ठहरने के लिए सिरहासार भवन सुनिश्चित कर दिया गया है. परंपरानुसार रथ बनाने वाले कारीगरों को राशन और पारिश्रमिक दिया जाता है. यह जानकारी बस्तर टेंपल ईस्टेट कमेटी के सचिव तथा तहसीलदार जगदलपुर ने दी है.