
चैतन्य देवियों की झांकी ….
भिलाई. बेटी का जन्म घर को मंदिर बनाता है, त्याग, सहनशीलता, समर्पणता से राष्ट्र का निर्माण कर रही है आज की बेटी. कुछ इसी तरह की नए दृष्टिकोण एवं लक्ष्य के साथ सुरभि नाम की छोटी सी कन्या प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आज़ादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य एवं शरदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर सेक्टर 7 स्थित पीस ऑडिटोरियम ग्राउंड में आयोजित चैतन्य देवियों की झांकी में संदेश दे रही है कि बेटी का जन्म घर को मंदिर बनाता है.
लाईट एंड साउंड के सुंदर समायोजन से झांकी के प्रारंभ में महात्मा गांधीजी के जीवन में कस्तूरबा गांधी जी के योगदान एवं सहयोग को दिखाया गया है कि किस तरह घर में पत्नी, पति के हर काम में सहयोगी रहती है. अप्रत्यक्ष रूप से कहीं न कहीं कस्तूरबा भी गांधी जी के साथ भारत को स्वतंत्र कराने के साथ थीं. इसलिए उनके महत्व को कम नहीं आका जा सकता. सर्वप्रथम चैतन्य देवियों की झांकी का उद्घाटन भिलाई सेवा केंद्रों की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी एवं प्रमुख ब्रम्हाकुमारी बहनों द्वारा ईश्वरीय स्मृति में दीप प्रज्वलन कर विधिवत उद्घाटन किया गया.
वीर छत्रपति महाराज शिवाजी के जीवन में उनकी माता जीजाबाई जी की पालना का वीर रस से प्रेरित बोल कि जब तक अंग्रेजों के ध्वज को निकालने का संकल्प पूरा नहीं होता तब तक न रुकना, न थकना इस श्रेष्ट पालना ने साधारण बालक को वीर छत्रपति महाराज शिवाजी बना दिया.
शिक्षिका सावित्रीबाई फुले जिन्होंने बालिकाओं के लिए प्रथम स्कूल खोला. 18 वीं सदी की कुरीतियां जैसे कि छुआछूत, बाल विवाह जैसी पुरानी संकीर्ण मानसिकता को बदलने का सहासिक प्रयास ही नहीं किया बल्कि अपने लक्ष्य में सफल बनकर अनेको का मार्गदर्शन किया. झांकी के अंतिम चरण में राजयोग मेडिटेशन द्वारा ब्रह्माकुमारी बहने सभी को नारी सम्मान एवं राष्ट्र सम्मान स्वयं में परिवर्तन का दृढ़ संकल्प करा रही हैं. यह झांकी दर्शनार्थियों के लिए 4 अक्टूबर तक प्रतिदिन संध्या 6:30 बजे से रात्रि 10 तक रहेगी.