
विदेश भागने की फिराक में?
कानून का माखौल उड़ाकर लगाया करोड़ो का चूना
क्या होगी कोई कार्रवाई?
दुर्ग – छत्तीसगढ़ में गड़बड़ घोटाले के हैरतअंगेज कारनामें जिस प्रकार से देखने-सुनने को मिल रहे हैं उससे तो ऐसा लगता है कि इस प्रदेश का कोई माई-बाप ही नहीं है. जिसे मौका मिल रहा है दोनों हाथों से लूटने में लगा है! सालने वाली बात यह है कि राज्य सरकार भी हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है और अफसर मनमानियां करते हुए अपनी चलाते हैं और कानून के विरूद्ध जाकर ऐसे-ऐसे कारनामें करते हैं कि देख सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि क्या ऐसा भी हो सकता है!
हालिया मामला छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से सामने आया है जहां शासकीय अनुदान प्राप्त विद्यालय से पिछले 18 वर्षों से सरकारी पैसों का बड़े पैमाने पर आहरण किये जाने की जानकारी मिली है जबकि आहरण किए जाने वाले रूपय कानूनी रूप से सही नहीं थे. इस मामले में शिकायतें विभाग से लेकर राज्य शासन तक गई हैं लेकिन कार्रवाई की बात तो दूर जानकारी मिली है कि इस मामले में जिन पर आरोप लग रहे है वो अपने को फंसता देख स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का बहाना मार विदेश भागने की फिराक में जुगाड़ भिड़ा रहे हैं.
यह है असल मामला
भ्रष्टाचार के इस गंभीर मामले की जो जानकारी तात्कालिक तौर पर मिली है उसके मुताबिक दुर्ग के शासकीय अनुदान प्राप्त तुलाराम आर्य कन्या उच्च्तर माध्यमिक शाला में श्रीमती नीना शिवहरे वर्ष 2006 में व्याख्याता के पद पर लाई गई थीं. तब दिनांक 31.01.2006 को छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव एल.पी. दाण्डे के हस्ताक्षर से जो आदेश क्रमांक एफ 7-14/2006/20 से जो आदेश निकला उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि राज्य शासन द्वारा श्रीमती नीना शिवहरे व्याख्याता कन्या उ.मा. शाला सदर जबलपुर (म.प्र) अनुदान प्राप्त संस्था को म.प्र. अधिनियम 2000 के कंडिका 8 एवं स्पष्टीकरण 3 एवं 4 के तहत दयानंद शिक्षण समिति आर्य नगर दुर्ग द्वारा संचालित तुलाराम आर्य कन्या उच्च्तर माध्यमिक शाला दुर्ग अनुदान प्राप्त शाला में व्याख्याता के पद पर लिए जाने की सहमति प्रदान की जाती है. यह आदेश छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के नाम से तथा आदेशानुसार छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव एल.पी.दाण्डे द्वारा जारी किया गया था. इसके बाद से श्रीमती नीना शिवहरे तुलाराम आर्य कन्या उच्च्तर माध्यमिक शाला में पदस्थापित हो गई थी और शासकीय वेतन भत्ते लेने लगी थीं. इस मामले में यह भी एक तथ्य है कि मध्यप्रदेश लोक शिक्षण विभाग द्वारा किसी भी प्रकार का आदेश नहीं निकाला गया था जबकि राज्य पुनर्गठन के समय ही इस बात का उल्लेख था कि इस प्रकार के मामलों मे राज्य सरकार का आदेश मान्य होगा लेकिन श्रीमती शिवहरे ने नियम के विपरीत जाकर मलाईदार पद पर छत्तीसगढ़ में अपनी नियुक्ति करा ली यह जांच का विषय है.
पूर्व कार्यकाल का कोई रिकॉर्ड क्यों नहीं किया प्रस्तुत?
इस मामले में गंभीर तथ्य यह है कि तुलाराम आर्य कन्या उच्च्तर माध्यमिक शाला में ज्वाइनिंग के समय श्रीमती शिवहरे ने पूर्व के अपने कार्यकाल का कोई दस्तावेज न तो शिक्षण समिति के सामने रखा और न ही शिक्षा विभाग अथवा राज्य शासन को दिया जिससे यह प्रमाणित हो सके कि वे सन् 2006 के पहले जबलपुर में कन्या उ.मा. शाला सदर जबलपुर (म.प्र) में व्याख्याता के पद पर सेवारत रहीं. जबकि यह आवश्यक है कि वे जिस संस्थान से आई हैं उसका रिकॉर्ड साथ में अटैच रहता. वर्ना यह कैसे साबित हो पाएगा कि वे पूर्व में कार्यरत रही हैं अथवा नहीं? यह सवाल इसलिए है कि श्रीमती शिवहरे के पति योगेश शिवहरे छत्तीसगढ़ सरकार में शिक्षा विभाग में बड़े पद पर सेवारत है इसलिए संदेह होता है कि कहीं उन्होंने अपने पद और प्रतिष्ठा का दुरूपयोग करते हुए कहीं अपनी पत्नि को गलत तरीके से तो लाभान्विंत किया? और सरकार को लाखो-करोड़ो का चूना लगाया?
यह सवाल उठाना इसलिए भी लाजिमी है कि छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के हजारों पद रिक्त पड़े हैं. गांव-देहातों के शासकीय स्कूलों में बड़े पैमाने पर शिक्षकों का अभाव है और इसीलिए शिक्षा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की प्रगति बहुत अच्छी नहीं है. इन परिस्थितियों में गलत तरीकों से बाहरी व्यक्तियों को लाकर पदस्थापित करना और शासकीय पैसों का आहरण करना किसी गंभीर अपराध से कम नहीं. इस मामले में जानकार लोग बताते हैं कि यदि तरीके से जांच कर लिया जाए तो बहुत बड़ा घोटाला सामने आएगा और शिवहरे दंपती को लेने के देने पड़ेंगे. कारण कि यह सरकारी रूपयों के दुरूपयोग से लेकर सरकारी पद का रसूख और गंभीर किस्म का पद-दुरूपयोग का मामला है जिसे कोई भी बर्दाश्त नहीं कर सकता.
कहां है मध्यप्रदेश द्वारा जारी कार्य-मुक्ति का आदेश?
श्रीमती नीना शिवहरे की पदस्थापना को लेकर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जो आदेश जारी किया गया है उसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख् है कि श्रीमती शिवहरे मध्यप्रदेश के जबलपुर में सेवारत थीं. यदि वास्त्व में ऐसा है तो सवाल यही है कि कब श्रीमती शिवहरे ने विभाग को या शिक्षण समिति को अपने कार्य मुक्ति का आदेश एवं मध्यप्रदेश से स्थानांतरण आदेशों की प्रति क्यों नहीं सौंपी?
संदेह इसलिए भी उत्पन्न होता है कि श्रीमती शिवहरे को तुलाराम आर्य कन्या उ.मा कन्या विद्यालय में पदस्थापित करने के लिए एनओसी किसने दी? सनद रहे कि तुलाराम आर्य कन्या उ.मा विद्यालय दुर्ग एक प्राइवेट स्कूल है जिसे सरकार का ग्रांट मिलता है और सारे नियम कानून सरकार के चलते है लेकिन दयानंद शिक्षा समिति आर्य नगर दुर्ग द्वारा स्कूल को संचालित किया जाता है. शिक्षा विभाग के विशेषज्ञ बताते हैं कि इस स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति,पदोन्नत या फिर हटाये जाने का निर्णय स्कूल संचालन समिति द्वारा लिया जाता है. यदि यह सच है तो सवाल उठता है कि क्या श्रीमती नीना शिवहरे की नियुक्ति के पूर्व दयानंद शिक्षा समिति आर्य नगर दुर्ग निर्णय लिया गया था? क्योंकि शासन आदेश के पहले नियुक्ति के लिए संचालन समिति में निर्णय लिया जाता हैं उसके बाद प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को भेजा जाता है उसके बाद डीपीआई और फिर मंत्रालय के बाद आदेश निकलता है. इसी प्रकार मध्यप्रदेश से भी रिलिविंग आदेश जारी होना चाहिए लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ दिखाई नहीं देता. इसीलिए संदेह उत्पन्न होता है कि नियुक्ति में बड़ी गड़बड़ी की गई.
म.प्र. में एलडीटी कैसे बनी छ.ग. में व्याख्याता?
बताया जाता है कि जब श्रीमती शिवहरे सन् 2006 में यहां तुलाराम आर्य कन्या उ.मा कन्या विद्यालय में व्याख्याता के पद पर पदस्थ हुई तो कहा गया कि वे जबलपुर में निजी स्कूल में एलडीटी थीं. सवाल उठता है कि जब वो निम्नवर्ग की शिक्षिका थी तब व्याख्याता जैसे उच्चवर्ग के पद पर उनकी नियुक्ति किस आधार पर की गई? सवाल यह भी उठता है कि एक राज्य से दूसरे राज्य में वह भी निजी स्कूल में ट्रांसफर भला किन नियमों के तहत किया गया?
योगेश शिवहरे का रोल संदिग्ध, कड़ाई से हो जांच
इस मामले में विशेष और अंचभित करने वाली बात ये है कि श्रीमती नीना शिवहरे के पति योगेश शिवहरे वर्तमान में अपर संचालक के पद के विरूद्ध डीपीआई कार्यालय में पदस्थ हैं. कहा जा रहा है कि योगेश ने ही सारे मामले का गणित सेट किया और इनके द्वारा ही अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के सहयोग से श्रीमती शिवहरे का व्याख्याता के पद पर नियुक्ति दबाव में कराया गया एवं दोनों राज्यों के सहमति कार्यभार ग्रहण एवं अन्य कई प्रकार के सेवा अभिलेख बिना प्राप्त किए करवाया गया है. इसके पूर्व शासन के आदेश दिनांक 31.01.2006 में पृष्ठांकन वाले स्थान पर डीपीआई कार्यालय से पृष्ठांकन किया गया है जो कि बेहद संदिग्ध मामला है. इससे साफ होता है कि श्रीमती शिवहरे के संबंध में शासन स्तर पर बहुत सी तथ्यात्मक जानकारी छिपाई गई है.
शासन स्तर पर शिकायत के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं
इस मामले में छत्तीसगढ़ के एफसीआई क्नसलटेटिव कमेटी के मेंबर एवं सीजीएसडब्लयूसी एक्स बोर्ड मेंबर श्याम अवतार केडिया ने शासन स्तर पर शिकायत की है. वे बताते हैं कि श्रीमती शिवहरे का मध्यप्रदेश से आने का कोई रिकॉर्ड स्कूल शिक्षा विभाग के पास नहीं है. श्रीमती शिवहरे की ज्वाइनिंग दबाव में हुई और इनके प्रकरण में दोनों राज्यों की सहमति, कार्यमुक्त,कार्यभार ग्रहण, एलपीसी एवं अन्य कई प्रकार के सेवा अभिलेख बिना प्राप्त किए करवाया गया है. केडिया के मुताबिक छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग, डीपीआई कार्यालय एवं डीईओ दुर्ग कार्यालय द्वारा श्रीमती शिवहरे के पदस्थापन के पश्चात से कोई भी दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किया जाना, आरटीआई में जानकारी नहीं दिया जाना अनेक संदेहो को जन्म देता है.
केडिया का स्पष्ट कहना है कि आज की डेट में न तो शासन के पास और न ही दुर्ग डीईओ के पास कोई रिकॉर्ड है कि जिससे यह साबित हो कि श्रीमती शिवहरे कभी मध्यप्रदेश में नौकरी भी करती थी जिसकी निष्पक्ष जांच हुए बिना अथवा श्रीमती शिवहरे का सेवा इतिहास मंगाये बिना उन्हें एक भी रूपये शासकीय राशि का भुगतान किया जाना सर्वथा अनुचित है.
केडिया ने शासन को लिखा है कि श्रीमती शिवहरे एवं उसके पति योगेश शिवहरे अपर संचालक डीपीआई कार्यालय को शासन द्वारा दिनांक 30.04.2025 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्त दिए हेतु सहमति दी गई है जिसमें शासन को अनावश्यक वित्तीय भार आना स्वाभाविक है.
शिकायतकर्ता श्याम अवतार केडिया ने स्पष्ट रूप से मांग किया है कि प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए श्रीमती नीना शिवहरे को तुलाराम आर्य कन्या उ.मा कन्या विद्यालय दुर्ग (अनुदान प्राप्त संस्था) से अब तक किए गए व्याख्याता/प्राचार्य के विरूद्ध शासकीय राशि के भुगतान की समीक्षा निष्पक्ष रूप से किया जाए साथ ही साथ सुनियोजित एवं विधि विरूद्ध तरीके से एक राज्य से दूसरे राज्य में बिना प्रावधान का पालन किए बैकडोर से सेवा प्रदायगी के गंभीर आपराधिक षडयंत्र की निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है.
भागने की फिराक में शिवहरे दंपति?
गंभीर बात यह है कि श्रीमती नीना शिवहरे व्याख्याता से प्राचार्य बन गई और लगातार 18 वर्षों तक चांदी काटती रही और शिकायत की जानकारी मिलते ही विभाग से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त ले ली और लोक शिक्षण संचालनालय ने अपने पत्र क्रमांक/अनुदान/स्वै. सेवानिवृत्त/ प्रस्ताव/ 2005, 1180 नवा रायपुर दिनांक 04.01.2025 में नीना शिवहरे प्राचार्य तुलाराम आर्य कन्या उ.मा कन्या विद्यालय दुर्ग के स्वैच्छिक सेवानिवृत्त हेतु सहमति प्रदान कर दी. अब पता चला है कि यह दंपति इस गंभीर कानूनी भ्रष्टाचार के बाद विदेश भागने की फिराक में हैं. सूत्र बताते हैं कि एन-केन प्रकारेण बहाना बनाकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्त लेकर शिवहरे दंपति शासन के आंखों में धूल झोंककर भारत से निकल भागना चाहते हैं लेकिन ध्यान रहें छत्तीसगढ़ से छल-कपट करने वाले लोगों को इतिहास कभी माफ नहीं किया है. शिवहरे दंपति भी कानून के नजरों से बच नहीं सकते यह छत्तीसगढ़ की अस्मिता का सवाल है जो किसी भी सूरत में माफी के लायक नहीं है.