
कैसे ढहेगा मानव तस्करी का गढ़
यह शर्मनाक है कि छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी का कार्य अभी भी बेखौफ तरीके से चल रहा है और यहाँ की लड़कियां बाहर के बाजारों में नीलाम हो रही हैं. आर्केस्ट्रा, नाच-गाने से लेकर घरेलू कार्यों के नाम पर यहाँ की बच्चियों के साथ हो रहा घिनौना खेल आखिर कब रुकेगा? कौन होगा जो इस पर लगाम लगाएगा? कैसे बचेगी छत्तीसगढ़ की इज्जत? सरकार और प्रशासन के नुमाइंदे आखिर कब तक मौन रहेंगे? यह छत्तीसगढ़ की अस्मिता और उसकी इज्जत का सवाल है. इसे कोई भी बर्दास्त नहीं कर सकता.
पिछले दिनों बिहार के रोहतास जिले में सर झुकाने वाली जो शर्मनाक घटना घटी है, उसे सुनकर कोई भी होगा दहल जाएगा. वहां छत्तीसगढ़ की लड़कियां अपनी अस्मत बचाने के लिए गेंहूं के खेतों में भागती हुयी चीख-पुकार मचती रहीं और बेचारी छिपती-छिपाती किसी तरह बचने की कोशिश करती रहीं! इसे सुनकर छत्तीसगढ़ का खून खौल जाता है कि मानव तस्करी का आखिर यह कौन सा रूप है?
इस मामले में फिलवक्त बिहार से तफ्सील आ रही है उसके मुताबिक रोहतास जिले में आने वाले बिक्रमगंज अनुमंडल के नटवार बाजार में नाच पार्टियों के ठिकाने हैं. यहां शिकायत मिलने के बाद वहां के पुलिस अधीक्षक रौशन कुमार के नेतृत्व में बृहस्पतिवार को सवेरे पुलिस ने छापेमारी की. इस दौरान 41 नाबालिग नर्तकियों और चार किशोरों को बरामद किए गया. यह हैरतअंगेज है और शोचनीय भी. हालांकि इसकी भनक लगते ही उन्हें बहला फुसलाकर लाने वाली कई नर्तकियां मौके से फरार हो गयीं लेकिन अपने पीछे बहुत से सवाल छोड़ गयीं. इस संबंध में एसपी रौशन कुमार ने जो बताया वह छत्तीसगढ़ को बहुत ही चिंता में डालने वाला है कि नटवार बाजार में हुई पुलिस की छापेमारी में जो लड़कियां मिली हैं उनमें अधिकांश लड़कियां छत्तीसगढ़ की रहने वाली हैं. जबकि निरुद्ध किए गए किशोर और गिरफ्तार नाच पार्टी के संचालक रोहतास जिले के ही निवासी बताए जाते हैं. बरामद लड़कियों से और जानकारियां हासिल की जा रही हैं जिसके आधार पर जांच का दायरा बढ़या जायेगा. लेकिन फौरी तौर पर जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार नाचने-गाने के धंधे की आड़ में इस बाजार में देह व्यापार का गन्दा धंधा चलाया जाता है. इस मामले में यह भी पता चला है कि इस धंधे में लिप्त अधिकांश लड़कियां गरीब परिवार की हैं जिन्हें पैसों की लालच देकर नर्तकी ग्रुप चलाने वाले संचालक इन्हें अपनी जाल में फंसाया है. पैसा की वजह से ही नाबालिग लड़कियां इस दलदल में फंस गई हैं. पुलिस की इस कार्रवाई से जिले के अन्य क्षेत्रों के रेड लाइट इलाके एवं नाच पार्टी में हड़कंप मचा हुआ है. इसे लेकर छत्तीसगढ़ में बहस-मुबाहिसों का दौर शुरू हो गया है. इस मामले में वहां के लोगों का कहना है कि ऑर्केस्ट्रा की आड़ में यहां देह व्यापार का धंधा खूब फल-फूल रहा था. इस बाजार पर छत्तीसगढ़ से लाई गई नर्तकियों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई थी कि सभ्य समाज के लोगों को बाजार में निकलना मुश्किल हो गया था. रोहतास पुलिस के सहयोग से पटना की पुलिस टीम ने यहां से छापेमारी में 40 से अधिक नाबालिग लड़कियों को मुक्त करा अपने साथ सासाराम ले गई है. साथ ही चार किशोर और पांच आर्केस्ट्रा संचालक भी पकड़े गए हैं. जबकि कई अपना ठिकाना छोड़ भाग गए हैं. कई लोगों ने बताया कि पुलिस कार्रवाई में जितनी लड़कियां पकड़ी गई है, उससे कई गुना अधिक छत्तीसगढ़ की लड़कियां यहां के नाच एवं आर्केस्ट्रा पार्टी में काम कर रही हैं. पुलिस कार्रवाई के समय बहुत सारी लड़कियों को गेहूं के खेत में इधर-उधर भागते हुए देखा गया. हैरत हैं कि लगभग पांच से छह वर्ष से यहां छत्तीसगढ़ की लड़कियां ऑर्केस्ट्रा की आड़ में देह व्यापार के लिए लाई आ रही हैं, जो सालों भर यही रहकर नाचती भी है. जबकि इससे पूर्व बंगाल तथा रायबरेली की तरफ से आने वाली नर्तकियां केवल लगन के समय आती थी और फिर वापस लौट जाती थी. लेकिन यहाँ की सरकार को इसकी भनक तक नहीं !
अभी तो इस मामले में जांच प्रक्रिया आगे बढ़ेगी लेकिन उससे पहले इस घटना ने छत्तीसगढ़ के लिए अनेक राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक बहस छेड़ दी है जिस पर केंद्र से लेकर छत्तीसगढ़ की सरकार को जवाब देना होगा. निश्चित तौर पर विपक्ष इसे गंभीरता से लेगा और संसद से लेकर सड़क तक लड़ाई छेड़ेगा. साथ ही साथ पक्ष को भी जवाब देने के लिए आगे आना होगा.
यह पहली बार नहीं है जब छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी एवं लड़कियों के बाहरी राज्यों में पकड़ने की बात सामने आयी है. इसके पूर्व भी अनेकों बार इस प्रकार की घटनाएं हुए हैं और लड़कियों से लेकर मजदूरों को बरामद किया गया है. छत्तीसगढ़ के अनेक आदिवासी जिलों को मानव तस्करी के गढ़ के रूप में जाना जाता है, जहां के भोले-भाले लोगों को बहकाकर दलाल दूसरे राज्यों में ले जाकर बेच देते हैं. कभी जिस्मफरोशी के धंधे तो कभी मजदूरी के लिए मानव तस्करी का माया जाल बिछाया जाता है. ऐसे मामलों में संबंधित व्यक्ति को पुलिस रिकवर करने के बाद भी ज्यादा जानकारी हाथ नहीं लगने के कारण परेशान रहती है.
अभी बहुत दिन नहीं बीते 13 दिसंबर 2018 को जब एक लड़की अपनी जान बचाकर दुर्ग पहुंची थी वह रायगढ़ के लैलूंगा इलाके की रहने वाली थी उसे उत्तरप्रदेश के बांदा जिले में ले जाकर बेच दिया था. अक्टूबर 2017 में दुर्ग पुलिस ने खुलासा किया था कि दुर्ग-भिलाई समेत आस-पास इलाके की लड़कियों को बिहार ले गए, जहां उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया. इसमे दुर्ग आदर्श नगर की लड़कियां थीं जिससे अश्लील डांस कराया जाता था. 2016 से 2018 तक छत्तीसगढ़ में तस्करी के 167 मामले सामने आए थे. पिछले तीन साल में सबसे ज्यादा दुर्ग जिले में 2017 में 11 केस रिजस्टर्ड हुए इसके बाद से रिपोर्ट तक सार्वजनिक नहीं हुई. हैरानी की बात तो यह है कि जिले की पुलिस किसी भी मामले में मास्टर माइंड तक नहीं पहुंच सकी है. इन मामलों में अब भी जांच जारी है. लोकसभा में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री ने सदन में एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें छत्तीसगढ़ में 3 साल में 167 मामले के बारे में जानकारी दी है. दुर्ग में पुलिस ने अंतर्राष्ट्रीय मानव तस्करी के बड़े मामले का खुलासा किया था जहाँ पुलिस ने एक दंपति समेत तीन आरोपियों को मुंबई से गिरफ्तार किया था. आरोपी नौकरी लगाने के नाम पर यहाँ के भोले-भाले लोगों को गल्फ कंट्री भेजा करते थे. इस मामले में भिलाई का भी एक व्यक्ति भारत आने के बाद उसने अपनी शिकायत साइबर पुलिस से की. इसके बाद पुलिस ने मामले की तहकीकात शुरू की. जिसमें मुंबई के गोरेगांव में गोल्डन लिंक सर्विस के नाम से दो एजेंट भारत से लोगों को गल्फ कंट्री भेजते पकड़े गए थे. इस प्रकार देखें तो जशपुर से लेकर बस्तर, राजनांदगांव तक मानव तस्करों का जाल फैला हुआ है.
हालाँकि मानव तस्करी के प्रकरणों में पीड़ित बालिकाओं एवं महिलाओं की सुरक्षा के लिए छत्तीसगढ़ की सरकार ने कुछ कानून जरूर लाए. वित्त मंत्री ओ पी चौधरी ने बजट में इसके लिए प्रावधान भी लाए. राजनांदगांव, कबीरधाम, रायगढ़, जगदलपुर और जशपुर जिले में पांच नए महिला थाने की स्थापना करने की घोषणा की गई, जहां महिलाओं की भर्ती किए जाने का प्रावधान रखा गया. बावजूद इसके कहाँ रुकी मानव तस्करी. बिहार के सासाराम-रोहतास का मामला तो बेहद संगीन है जो चीख-चीख कर कह रहा है कि छत्तीसगढ़ के साथ कुछ भी ठीक नहीं हो रहा है. खासकर यहाँ के युवा वर्ग, बच्चियों और नाबालिग लड़कियों के साथ जिस प्रकार की घटनाएं घट रहीं हैं वे हर किसी को शर्मशार करती हैं! क्या सरकार इस मामले में कोई ठोस कदम उठाएगी? वर्तमान में देशभर में मानव तस्करी रोकने के लिए 332 एंटी-ह्यूमन ट्रैफ़िकिंग यूनिट (AHTU) इकाइयाँ सक्रिय है. जिसमें छत्तीसगढ़ में 11 यूनिट सक्रिय हैं. इसके बावजूद मानव तस्करी के मामले कम नहीं हो रहे हैं. जो चिंता का विषय है.