विश्व शांति के लिए 16 हजार लोगों ने डाली आहुति
उतई/दुर्ग- दुर्ग ग्रामीण क्षेत्र अंतर्गत आदर्श ग्राम कोड़िया 25 दिसम्बर से 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ हुआ. कार्यक्रम के शुभारंभ में दुर्ग ग्रामीण और नगर क्षेत्र के 1100 से ज्यादा महिलाओं ने मंगल कलश, वाङ्गमय, मशाल झंडा आदि लेकर विचार क्रांति के नारों के साथ भव्य कलश यात्रा निकाली. कलश यात्रा के पश्चात शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे टोली नायक आचार्य नरेंद्र विद्यार्थी के साथ यज्ञाचार्य डॉ डी पटेल, गायक तापेश्वर सांडिया, शिवम कुमार, मृणाल पाल ने संगीतमय प्रवचन के माध्यम से कलश देवता की महिमा का बखान किया. साथ ही 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ की जानकारी दी.
26 दिसम्बर को प्रातः 5 बजे से वेदमाता मूर्ति प्राणप्रतिष्ठा गायत्री प्रज्ञापीठ में सम्पन्न हुआ जिसमें पं श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा लिखित 3200 से ज्यादा साहित्यों के संकलन एवं 24 लाख गायत्री मंत्र लेखन अनुष्ठान की स्थापना भी की गई. 26 से 28 दिसम्बर तक प्रतिदिन 300 से ज्यादा जोड़े सहित हजारों लोगों ने 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में राष्ट्र जागरण एवं विश्व कल्याण के लिए आहुति डाली.
26 दिसम्बर को प्रज्ञा पुराण और युवा सम्मेलन, 27 दिसम्बर को प्रवचन और महिला सम्मेलन के बाद 5000 दीपों से दीपयज्ञ किया गया. साथ ही मशाल एवं कलश झांकी निकालकर महाकाल का स्वागत किया गया. दीपप्रज्वलन पश्चात गायत्री महामंत्र और महामृत्युंजय मंत्रोच्चार के साथ विश्व कल्याण व शांति एवं राष्ट्र जागरण के लिए सामुहिक प्रार्थना भी की गई.
28 दिसंबर को महायज्ञ के साथ ही लगभग पांच हजार लोगों ने गायत्री मंत्र की दीक्षा ली एवं पुंसवन संस्कार, विद्यारम्भ संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, नामकरण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, विवाह संस्कार, जन्मदिवस आदि संस्कार सम्पन्न हुए. 25 से 28 दिसंबर तक चलने वाले महायज्ञ में दुर्ग जिले के तीनों विकासखंडों सहित बालोद, बेमेतरा, राजनांदगांव, धमतरी, कवर्धा, रायपुर, महासमुंद सहित अन्य जिलों के 16 हजार से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया.
शांतिकुंज के टोली नायक आचार्य नरेंद्र विद्यार्थी जी ने प्रज्ञा पुराण की व्याख्या करते हुए कहा प्रज्ञा पुराण कथा में 18 पुराणों का सार है. धार्मिक, नैतिक अथवा आध्यात्मिक कथाओं से मनुष्य का नैतिक उत्थान होता है. गायत्री परिवार का निर्माण मानव को महामानव व मनुष्य में देवत्व के उदय के उद्देश्य से किया गया है. प्रवचन के माध्यम से गायत्री महामंत्र और यज्ञ की महिमा को समझाते हुए बताया हमें अपने कार्यों के साथ ही समाज और राष्ट्र को समर्थ, सशक्त बनाने के लिए भी सोचने, विचारने और कार्य करने की आवश्यकता है. समाज में जाति पाति जैसी अनेक प्रकार की कुरीतियां फैली हुई हैं जिसका उन्मूलन आवश्यक है. नारी जागरण व नशा उन्मूलन से लेकर पर्यावरण संरक्षण के विषय पर भी आचार्य नरेंद्र ने मार्गदर्शन प्रदान किया.
कार्यक्रम स्थल लगभग 6 एकड़ क्षेत्रफल में फैली थी जिसमें यज्ञशाला एवं प्रवचन पंडाल के साथ विशेष आकर्षक के रूप में सप्तक्रांति चित्र प्रदर्शनी, सप्तऋषि, वेदमाता गायत्री, हनुमान, शिवलिंग, गणेश, भारत माता, छग महतारी झांकी, साहित्य स्टॉल, संस्कारशाला, मां भगवती भोजनालय, चिकित्सा शिविर, स्वावलंबन बिक्री स्टॉल आदि स्थापित थी.
चार दिवसीय महायज्ञ आयोजन में प्रमुख रूप से पूर्व गृहमंत्री, ताम्रध्वज साहू, सांसद विजय बघेल, दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर, पूर्व मंत्री रमशीला साहू, पूर्व विधायक दयाराम साहू, जिला पंचायत सभापति योगिता चंद्राकर, जनपद पंचायत सभापति राकेश हिरवानी सहित अनेक स्थानीय जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों और गायत्री परिवार के पदाधिकारियों ने यज्ञ भगवान का आशीर्वाद लिया एवं सफल आयोजन के लिए बधाई दी.
कार्यक्रम को सफल बनाने में गायत्री परिवार दुर्ग भिलाई उपजोन, जिला व ब्लॉक समिति, यज्ञ आयोजन समन्वय समिति, निगरानी समिति, यज्ञ आयोजन के सभी 30 विभाग एवं क्लस्टर प्रभारी, कोड़िया, हनोदा, धनोरा, पिसेगांव, खम्हरिया, जजंगिरी, पुरई, उतई, पोटिया, रिसाली, कुथरेल, अंडा, कसारीडीह सहित क्षेत्र के गायत्री प्रज्ञापीठ, अष्टविजय मूर्तिकला केंद्र, तुमन आर्ट्स, गोलू टेंट हाउस निकुम, गोमती केटरिंग, श्रीराम टेंट कोड़िया, मनीष किराना धनोरा, आसपास के सभी ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत दुर्ग सहित पुरई व रसमड़ा स्कूल राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों व ग्रामवासियों का विशेष योगदान रहा.