बीजेपी दे रही सियासी करेंट का झटका
भिलाई- भिलाई नगर के युवा, तेज तर्रार और दबंग विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी जिन परिस्थितियों में की गई और आनन-फानन में जेल दाखिल किया गया, 120 दिन बीतने के बाद भी रहस्य का घेरा जस का तस बना हुआ है. आज भी उनकी जमानत नहीं हुई और कोर्ट के आदेश का लोग इंतजार कर रहे हैं. याचिकाएं अगली सुनवाई के लिए फांद रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस के विधायक देवेेंद्र के साथ ही इस प्रकार की कार्रवाई की जा रही है तो क्यों?
आखिर क्या है राज?
एक पक्षीय और गैर जरूरी धाराएं लगाकर उन्हें जेल की सीखचों के भीतर इतने लंबे समय तक रखने का आखिर राज क्या है? कौन लोग हैं वे जिनकी आंखों में देवेंद्र यादव किरकिरी बने हुए हैं? कांग्रेस यह सवाल अगर बार-बार उठा रही है तो सोचना पड़ता है कि कहीं कुछ गड़बड़ तो है. राजनीतिक प्रेक्षकों का यह सवाल भी लाजिमी है कि क्या देवेंद्र, पक्ष के साथ विपक्ष के कुछ लोगों की राह में भी कांटा बने हुए हैं?
बहुतों सवाल हैं जिनका जवाब खोजा जाना जरूरी है. बहरहाल, देवेंद्र यादव को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर प्रदेश की राजधानी रायपुर तक सियासी हलचल और राजनीतिक चर्चाओं और नेताओं में बहस मुबाहिसों का दौर अभी भी जारी है. लोग सहज ही पूछते हैं कि देवेंद्र को जमानत कब मिलेगी? इससे स्पष्ट होता है कि पक्ष हो या विपक्ष सभी को इस केस में गहरी रूचि और खासी दिलचस्पी है.
सोरेन, केजरीवाल की तरह बर्ताव
देवेंद्र यादव लगातार राजनीति में बढ़ रहे हैं. वे एनएसयूआई से उठकर युवक कांग्रेस में गए और फिर तेजी के साथ बढ़ते हुए औद्योगिक शहर भिलाई के महापौर बने. उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. भूपेश बघेल के नेतृत्व में उन्होंने कद्दावर और बड़ी छवि के बीजेपी प्रत्याशी प्रेम प्रकाश पांडेय को पराजित कर अपना लोहा मनवाया है. कयास लगाए जा रहे हैं कि इसी को देखकर बीजेपी बेचैन हो गई और जो हश्र हेंमत सोरेन, अरविंद केजरीवाल आदि जैसे नेताओं का किया उसी प्रकार का दमन देवेंद्र के साथ भी शुरू कर उनके बढ़ते मार्ग को रोकने की कोशिश की गई. यह भी जनचर्चा है कि जिस प्रकार से पूरे देश में ईडी, सीबीआई और अन्य केंद्रीय एजेंसियों का दुरूपयोग कर विपक्षियों का मुंह बंद किया जा रहा है, उसी प्रकार से देवेंद्र को भी डरा-धमकाकर चुप कराने की कार्रवाई की जा रही है.
सतनामी समाज में बढ़ रहा था ग्राफ
देवेंद्र यादव का सतनामी समाज के बीच ग्राफ तेजी के साथ बढ़ता जा रहा था. अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे जहां-जहां गए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम पर हर जगहों पर सतनामी समाज का वोट बैंक मजबूत हुआ. चुनाव परिणाम बताते हैं कि सतनामी बाहुल्य नवागढ़, मुंगेली, लवन, मस्तुरी, बिलासपुर आदि क्षेत्रों में कांग्रेस का वोट बैंक पहले से बढ़ा है. बताते हैं कि इसीलिए देवेंद्र यादव उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा एवं अरूण साव तथा बिलासपुर के सांसद तोखन साहू की नजरों में खटकते रहे हैं.
दोनों उपमुख्यमंत्रियों और सांसद को था खतरा
देवेंद्र यादव दोनों उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा एवं अरूण साव के साथ सांसद तोखन साहू के लिए लगातार खतरा बने हुए हैं. उन्होंने अपने कार्यशैली से उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के कवर्धा क्षेत्र में बड़ा हस्ताक्षेप किया साथ ही साथ उपमुख्यमंत्री अरूण साव के लोरमी क्षेत्र में भी सेंध लगाई. लोरमी में देवेंद्र ने कांग्रेस के लिए 45 हजार का गैप कम कर कांग्रेस को बढ़त दिलाई यह साव को खटकने लगा. इतना ही नहीं बिलासपुर के सांसद तोखन साहू को भी उन्होंने अपनी कार्यशैली से बड़ी चोट पहुंचाई. बिलासपुर क्षेत्र में साहू वोटों असर पड़ा. देवेंद्र चूकिं अति पिछड़ो में आता है तो डर है की देवेंद्र के हस्तक्षेप के बाद ओबीसी का वोट फिसलकर कांग्रेस के पक्ष में न चला जाए.
विपक्ष तो विपक्ष अपने भी रखते हैं खुन्नस
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ही देवेंद्र को दिल्ली की राह दिखाई. पहले भी विधायक बनाने में सभी लोग जानते हैं कि भूपेश बघेल ही एकमात्र नेता हैं जिन्होंने उनके विधायक बनाने का मार्ग प्रशस्त किया. जहां तक सत्ता पक्ष भाजपा का सवाल है तो भाजपा देवेंद्र को अपने लिए बड़ा खतरा मानती है. राजनीति के जानकार बताते हैं कि इसीलिए उन्हें लंबे समय तक जेल में डाला गया ताकि वे जम्मूकश्मीर, हरियाणा, झारखंड,महाराष्ट्र आदि प्रदेशों में कम्पेंनिग न कर सकें. चुनाव प्रचार से दूर रखने के लिए देवेंद्र को रायपुर सेंट्रल जेल में फंसा कर रखा गया. उन पर एेसी-ऐसी गंभीर धाराएं लगायी गई ताकि जमानत जल्दी न मिल सके. आज भी वे जमानत का इंतजार कर रहें हैं.
भूपेश को कमजोर करने की साजिश
देवेंद्र यादव को गिरफ्तार करके विरोधियों की एक ही साजिश है कि चाहे जैसे हो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कमजोर कर दिया जाए. कांग्रेस में भूपेश बघेल ही अकेले फायर ब्रांड नेता माने जाते है. उनका खौफ बीजेपी में हर वक्त छाया रहता है इसीलिए विरोधी देवेंद्र पर प्रहार कर भूपेश पर पीछे से अक्रमण कर रहे हैं. यहां तक की महादेव एप एवं अन्य मामलों को लेकर विरोधियों ने साजिश रची जबकि महादेव सट्टा जारी है.
बलौदाबाजार अग्निकांड का रहस्य बरकरार
देश-प्रदेश के लोगों को मालूम है कि बलौदाबाजार में 10 जून 2024 को सतनामी समाज के प्रदर्शन के दौरान उपस्थित रहे भिलाई नगर से कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव पर किस तरह से शिकंजा कसा गया. उसके बाद उनकी मुश्किलें लगातार बढ़ती गई. एक अनुमान के मुताबिक इस घटना में 12.53 करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति का नुकसान होने का आंकलन किया गया था. इसी तरह से 240 सरकारी और निजी वाहन क्षतिग्रस्त हुए थे, जिनमें से 99 वाहनों को उपद्रवियों ने जलाकर खाक कर दिया था. इस मामले में पुलिस नहीं भी तो 184 लोगों की गिरफ्तार कर चुकी है.
संज्ञेय अपराध की श्रेणी में, दर्जनों केस
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में 10 जून 2024 को सतनामी समाज के प्रदर्शन के दौरान भिलाई नगर के विधायक देवेंद्र यादव के खिलाफ अनेकों धाराएं आरोपित की गई. कानून के जानकार कहते हैं देवेंद्र यादव ने ऐसा कुछ संज्ञेय अपराध नहीं किया था जिससे उनके ऊपर इतनी कठोर धाराएं लगाई जाती. भारतीय दंड विधान की धारा 153A, 501(1), 505(1)(B), 501(1)(C), 109, 120 B, 147, 148, 149, 186, 353, 332, 333, 307, 435, 436, 341, 427 भादवि और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984 की धारा 03, 04 के तहत सीटी कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई और देवेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया था.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लेकर छत्तीसगढ़ प्रभारी सचिन पायलेट एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक ने देवेंद्र की आपत्तिजनक गिरफ्तारी को लेकर तीखी आलोचना की. विधायक यादव के अधिवक्ता अनादि शंकर मिश्रा ने भी तर्क दिया कि पुलिस ने बलौदाबाजार कांड में दर्ज 13 प्रकरणों में से 12 में चालान पेश कर चुकी है और वो सिर्फ विधायक देवेंद्र के खिलाफ. इस प्रकरण में विलंब करके मात्र विधायक के खिलाफ साक्ष्य और सबूत गढ़ा जा रहा है. आश्चर्य की बात है कि 90 दिनों में एक दिन बचा था तब पुलिस ने चालान प्रस्तुत किया, आखिर यह क्या दर्शाता है?