
महिला आयोग कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी को भेजेगा अनुशंसा पत्र
बलौदाबाजार- छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक सदस्यगण लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया, दीपिका सोरी एवं ओजस्वी मंडावी ने शुक्रवार को जनपद पंचायत सभा कक्ष, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा छ.ग. में महिला उत्पीडन से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की.
सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में अनावेदक शासकीय सेवक है जिनकी पोस्टींग बम्हनमुडी प्राथमिक शाला में है उनके दो पुत्र है अनावेदक को 58 हजार मासिक वेतन मिलता है. लगभग 03 साल से आवेदिका से अलग रहता है और उसे कोई भरण पोषण नहीं देता है. अनावेदक के पुत्र ने बताया कि उसके पिता अनावेदक उसकी मां आवेदिका के साथ मारपीट दुर्व्यवहार करते है और नशे के आदि है तथा मां के सामने ही दूसरी औरतों को घर में ले आते है. उनका बेटा सिविल इंजिनियर है और अपनी मां को अपने पिता से होने वाली मारपीट से बचाने के कारण, बाहर में मिल रही है (लेकिन अपनी मां की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए) नौकरी नहीं कर पा रहा है. अपने पिता के दुर्व्यवहार के कारण 03 साल से लीवर की बिमारी से परेशान है.
आवेदिका के दोनों बेटे के नाम पर रिहायसी मकान व खेत को वसीयत किया था जिसका कागज अनावेदक के पास है और आज तक शासकीय अभिलेखों में नाम दर्ज नहीं हो पाया है उन मकानों का किराया पुत्र को प्राप्त हो रहा है जिससे वे अपना खर्च चला रहे है. अर्जुनी बस स्टैण्ड में 04 दुकान है जिनसे 12 हजार रू. अनावेदक लेता है और 58 हजार शासकीय वेतन मिलता है व लगभग 8-9 एकड़ खेती का पैसा भी अनावेदक खुद रखता है. इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत व्यवसाय भी करता है. अनावेदक का कथन था कि वह बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा रहा है और लोन में पैसा कटता है तथा मकान का किराया आवेदिका को 15 हजार मिलता है इसलिए वह आवेदिका को पैसा नहीं देता है. आयोग के द्वारा उभय पक्ष को विस्तार से सुना गया लेकिन अनावेदक अपनी गलती को मानने को तैयार नहीं हुआ. अनावेदक को लगभग 70 हजार की आमदनी हो रही है और आवेदिका को कोई भी धनराशि नहीं दे रहा है आवेदिका अपने बेटे के उपर आश्रित है ऐसी दशा में यह पाया गया कि आवेदिका 20 हजार रू प्रतिमाह भरण पोषण की हकदार है. आवेदिका और उसके दोनों बेटे का नाम सर्विस बुक में भी दर्ज है इस आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी बलौदाबाजार और जिला कलेक्टर बलौदाबाजार को आयोग की ओर से विस्तृत पत्र भेजा जायेगा और साथ ही आर्डरशीट की प्रति भी भेजी जायेगी और आयोग इस प्रकरण में यह अनुशंसा करती है, कि आवेदिका को अनावेदक के वेतन से सीधे 20 हजार रू प्रति माह आवेदिका के खाते में दिया जाये. इस निर्देश के साथ प्ररकण नस्तीबद्ध किया गया.