
रहस्यमयी पत्रकार श्रीधर राव
छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता में श्रीधर राव एक नाम है. उससे भी ज्यादा उनकी कार्यशैली और राष्ट्रीय नेटवर्क की भी चर्चा होती है. छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता जगत में यदि व्यक्तिगत सर्वाधिक टैक्स भरने की बात आती है तो श्रीधर राव का नाम प्रथम दस पत्रकारों में सभवतःशामिल होगा. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद लगातार श्रीधर राव जिस तरह से सक्रिय रहे हैं. खासकर पूर्व मुख्यमंत्री डा० रमन सिंह के बेहद करीब माने जाते हैं.
राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता में प्रारंभिक काल में डा. रमन सिंह को सुर्खियों में रखने का श्रेय पूरी तरह से श्रीधर राव को जाता है. अपनी ईमानदार एवं स्वच्छ छवि के कारण भारतीय जनता पार्टी आला कमान की नजर हमेशा श्रीधर राव पर रही है. इसी की वजह से वर्ष 2014 में उनकी कम्पनी मितान इंडिया मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ अनुबंध कर लिया गया. एम.आई. एम. पी. एल के अन्तर्गत श्रीधर राव ने देशभर का दौरा किया और चुनाव में एक बड़ी भूमिका निभाई एक राष्ट्रीय राजनैतिक पार्टी की सफलता में.
भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के साथ श्रीधर राव सन् 2009
श्रीधर राव जितने सहज-सरल दिखते हैं उससे कही ज्यादा कड़क तेजतर्रार और प्रभावशाली भी हैं, ऐसा कुछ राजनेताओं का कहना है. उनकी दी गई गोपनीय रिपोर्ट पर कई दिग्गजनेता मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर हो गए. तो कइयों को मंत्री पद से भी हाथ धोना पड़ा. हालाकि श्रीधर राव ईमानदार छवि वाले नेताओं को जहां मदद करते हुए दिखते हैं वहीं भ्रष्ट नेताओं की वाट लगाने में भी पीछे नहीं हटते.
केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ
एक और रहस्यमयी बात ये है कि भारतीय इंटेलीजेंस एजेंसियों के अधिकारी इनके संपर्क में रहते हैं श्रीधर राव कई ऐसे कई पेचीदे मामले सुलझाए हैं और बतौर खोजी पत्रकार विभिन्न मीडिया माध्यमों से जनता के बीच लाएं हैं.खोजी पत्रकारिता में उनका अनुभव अंतर्राष्ट्रीय स्तर का है जिसका विभिन्न राष्ट्रीय चैनल समय-समय पर उपयोग करते आए हैं.जिसका उपयोग एजेंसिंया करते आयी हैं. श्रीधर राव उन पत्रकारों में से हैं जो कभी विज्ञापन लेते दिखते नही लेकिन अपनी पत्रकारिता के जरिये हमेशा ही चर्चा में रहे. छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ के बाहर श्रीधर राव पर कई प्राणघातक हमले हुए लेकिन किसी में भी उन्होंने FIR नहीं करवायी. कभी-कभी कुछ पत्रकारों के साथ लोगों का भी ये कहना है कि श्रीधर राव पत्रकार से ज्यादा खुफिया विभाग के अधिकारी लगते हैं.
तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ 2006
चुनाव में भूमिका
हाल ही में सम्पन्न हुए हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में श्रीधर राव की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. चुनाव से ठीक 8 माह पहले इन राज्यों का दौरा और महत्वपूर्ण राजनीतिक जानकारियों का खाका आखिर किसके लिए तैयार किया गया. छत्तीसगढ़ के राजनेता आखिरकार इनसे दूरियां बनाकर क्यों रखते हैं. ऐसी कौन सी वजह है कि नेता इस पत्रकार से खौफ खाते हैं ऐसा कहा जाता है. एक दिग्गज नेता जो मुख्यमंत्री के दौड़ में थे उन्हें दौड़ से बाहर करने का श्रेय श्रीधर राव की पत्रकारिता को एवं उनकी गोपनीय भूमिका को जाता है. ऐसा कुछ राजनेता कहते हैं. डॉ. रमन सिंह के व्यक्तित्व को लेकर आने वाले समय में राजनीति की दुनिया में श्रीधर राव की एक किताब आने वाली एक किताब
“A Doctor on Job ” यह किताब पूरी तरह डा० रमन सिंह के कार्यकाल में घटित घटनाओं पर तत्कालीन अधिकारियों के भ्रष्टचार पर राजनेताओं के बीच के खींचतान और गुटबाजी पर, डॉ. रमन सिंह के सहज सरल व्यक्तित्व पर और उनके द्वारा लगातार चुनौतियों का सामना करने पर आधारित होगी. एवं अधिकारियों के एक समूह जो षड़यंत्रपूर्वक अपने काम को अंजाम देते थे विपक्षी दल के बिके हुए नेताओं पर और डॉ. रमन सिंह के व्यक्तित्व पर समावेषित है. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ आजतक ने ये कोशिश की है कि श्रीधर राव जैसे पत्रकार और उनके रहस्यमयी व्यक्तित्व के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां सामने लाने की कोशिश की है जिससे कि आने वाले पत्रकारों की पीढ़ी कुछ सीखें और कुछ अपनाएं भी.