राकेश तिवारी पर पुलिस क्यों है मौन?
भिलाई– छत्तीसगढ़ में लगातार हो रही आपराधिक घटनाओं से न केवल जनमानस आंदोलित है बल्कि सभ्य सामाज और आम लोगों में चिंता और भय का वातावरण निर्मित होते चले जा रहा है. पिछली कुछ घटनाओं पर नजर दौड़ाएं तो स्पष्ट दिखाई देता है कि प्रदेश में अपराधी बेखौफ हैं और कानून खामोश! मानो आपराधियों को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है. और तो और छत्तीसगढ़ में बड़े-बड़े आपराधिक गैंग पनपने लगे हैं और गैंगस्टर खुलकर खून-खराबा कर रहे हैं. यहां तक कि बिहार से लेकर यूपी, झारखंड, बंगाल और महाराष्ट्र एवं अन्य प्रदेशों के बड़े-बड़े आपराधिक संगठन यहां खुलकर हाथ दिखा रहे हैं.
दो महीने पहले ही दुर्ग में घटित हत्या की वारदात को ही लें तो यह सोचकर सिहरन पैदा हो जाती है कि किस तरीके से गैंगस्टरों ने मिलकर एक युवक की जान ले ली और दूसरे को भी मारने को आमादा हो गए थे. 18 अगस्त 2024 को शाम लगभग 7 बजे शिक्षक नगर के गार्डन गली के सामने मेन रोड पर ललित सोनी के घर के सामने आकाश शर्मा की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई. यहीं पर मृतक आकाश के छोटे भाई विशाल शर्मा को भी जान से मारने की कोशिश की गई लेकिन किसी तरह वह इनके खूनी पंजों से जान छुड़ाकर भाग निकला.
इस घटना में आज तक पुलिस ने मुख्य आरोपी को पकड़ने में कोताही बरती है. उसकी निष्पक्षता पर आरोप लग रहे हैं. पीड़ित परिवार चीख-चीखकर कह रहा है कि हत्या के आरोपियों को पुलिस न केवल बचा रही है बल्कि उन्हें संरक्षण भी दे रही है. इसके बाद भी पुलिस के आला अफसरान मौन हैं तो क्यों?
जांच में पुलिस की लापरवाही उजागर
आकाश शर्मा हत्याकांड में पुलिस की लापरवाही को भी एक बड़ा कारण बताया जा रहा है. परिजनों ने बताया है कि पुरानी रंजिश के चलते विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल के विभाग सह संयोजक राकेश उर्फ रामलोचन तिवारी ने अपने 10-15 साथियों के साथ आकाश शर्मा के घर लुचकी पारा में 17 अगस्त 2024 को हमला किया था. हमलावरों ने चिल्ला-चिल्लाकर आकाश शर्मा बाहर निकलो कह के धमकी दे रहे थे और घर पर तोड़-फोड़ करते हुए गाड़ियों को क्षतिग्रस्त भी कर दिया. मारे डर के घर वालों की हक्की-बक्की बंद हो गई थी.
घटना की शिकायत करने मृतक आकाश शर्मा की माँ मीना शर्मा का कहना है कि वह उसी रात करीब 12 बजे कोतवाली थाना गई. ड्यूटी अफसर ने उसका आवेदन लौटाते हुए दूसरे दिन आने को कहा. उसी दिन राकेश तिवारी ने थाने में आकर किसी साहू पुलिस वाले के सामने आकाश को जान से मार देने की धमकी दी. दूसरे दिन 18 अगस्त को उसकी हत्या कर दी गई. राकेश तिवारी के थाने में धमकी देने के बाद भी पुलिस लापरवाह बनी रही और थाने में शिकायत के मात्र 4 घंटे बाद ही आरोपियों ने सरेआम हत्या की घटना को अंजाम दिया.
मास्टर माइंड राकेश तिवारी का खौफ
पीड़ित परिवार से बात की गई तो परिवार के एक-एक सदस्य मुख्य सरगना राकेश तिवारी के खिलाफ मुखरित हो उठे मृतक की मां मीना शर्मा ने स्पष्टत: आरोप लगाया है कि राकेश तिवारी ही इस जघन्य हत्याकांड का मास्टरमाइंड है. क्योंकि घटना के एक दिन पूर्व ही कोतवाली थाना परिसर में उसने पुलिस को चुनौती दी थी कि 24 घंटे के भीतर वह आकाश शर्मा की हत्या करवा देगा. इसे सुनकर भी पुलिस ने कोई ध्यान नहीं दिया. इसे लेकर पीड़ित परिवार के लोग बिलख रहे हैं, रो रहे हैं और न्याय के लिए भटक रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला है कौन?
थाना प्रभारी विजय यादव ने झाड़ा पल्ला!
दुर्ग कोतवाली थाना प्रभारी विजय यादव का इस मामले में बड़ा गैर जिम्मेदाराना रोल दिखाई दिया है. क्योंकि घटना के संबंध में इस प्रतिनिधि ने जब पूछताछ करना चाही तो यह कहकर उन्होंने पल्ला झाड़ दिया कि मामला तो पुराना हो गया है आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.अब वे इस मामले में कोई जानकारी नहीं दे सकते. ज्यादा कुरेदने पर उन्होंने जबान कस दिया कि किसी अखबार वाले से पूछ लो? यही टीआई का गैर जिम्मेदाराना रवैया खटकता है. अधिक काम का दुहाई देकर किसी बड़े हत्याकांड पर गर्द डालना कहां का न्याय है? इस मामले में क्यों नहीं भीतर तक जांच होनी चाहिए?
मामले को दूसरा रंग देने की कोशिश ?
पुलिस का यह कहना कि मृतक भी निगरानी सुधा बदमाश था यह कहकर पुलिस आपराधियों को क्यों संरक्षण दे रही है कोई अपराधी ही क्यों न हो क्या इस तरह खुलेआम किसी की भी हत्या की अनुमति दी नहीं जा सकती है क्या हमारे संविधान में इसी प्रकार के प्रावधान है? कानून व्यवस्था का फिर मायने क्या है? क्यों नहीं अभी तक मुख्य सरगना राकेश तिवारी की गिरफ्तारी की गई? शिकायत के बाद भी क्यों नही उस पर एफआईआर दर्ज हुआ? क्यों नहीं अभी तक वह जेल की सींखचों के पीछे है? आखिर उसे बचा कौन रहा है? कौन है उसका मुख्य संरक्षणकर्ता इन सब प्रश्नों का जवाब कानून के रखवालों को खोजना है. शासन-प्रशासन की भी जवाबदेही बनती है कि शांति व्यवस्था पर खलल डालने वाले उपद्रवी तत्वों को किसी भी कीमत पर बख्शे नहीं.
फिर तो इस मामले में जो यह कहा जा रहा है कि मुख्य सरगना राकेश तिवारी को संरक्षण प्राप्त है तो यह तो सही प्रतीत होता है क्योंकि राकेश तिवारी हिंदूवादी संगठनों से जुड़ा हुआ है. वह विहिप बजरंग दल का सहसंयोजक है और उसके खिलाफ शिकायतें इन संगठनों के मुखिया लोगों के पास गई हुई है लेकिन वे लोग भी मौन है. पीड़ित परिवार के मिलने के बाद भी उन लोगों ने राकेश तिवारी के निष्कासन की कोई कार्रवाई तक नहीं की.
पुरानी अदावत या कुछ और?
हालांकि पुलिस के लोग इसे पुरानी रंजिश का परिणाम बता रहे हैं लेकिन जमीनी तहकीकात करने और आसपास के लोगों से पूछताछ करने पर जो बात सामने आ रही है वह कुछ और ही कहानी कहती है. सच है कि मृतक आकाश शर्मा और हत्यारों में पहले से अदावत चल रही थी लेकिन उस अदावत के पीछे की कहानी क्या है यह जानना भी जरूरी है. लगता है कि पुलिस ने इस तथ्य को इग्नोर किया है. इस मामले में राज धुमाल पार्टी बहुत बड़ा कारण सिद्ध हो सकती है क्योंकि दोनों ही पक्षों का इससे पहले से जुड़ाव रहा है और बताते हैं कि राज यहीं छिपा हुआ है.
वैसे तो कोतवाली पुलिस ने पुरानी रंजिश का मामला बताकर आरोपी सत्वीर उर्फ सत्तू मरकाम (22 वर्ष), मयंक कटारे (29 वर्ष), मुकेश यादव (19 वर्ष), अभिषेक मरकाम (24 वर्ष), युवराज सोनवानी (20 वर्ष) और तीन अन्य नाबालिगों को भादवि की धारा 109, 61(2), 3(5) और 103, 190, 191(2), 191(3), 25, 27 आर्म्स एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया लेकिन बताते हैं कि मुख्य सरगना राकेश तिवारी अभी भी पुलिस के साथ गलबहियां कर रहा है.
अवैध संबंधों की परिणति तो नहीं?
जहां तक इस हत्या कांड का सवाल है इनसाइडर्स बताते हैं कि राकेश तिवारी का वहां के राज धुमाल पार्टी से जुड़ाव है क्योंकि राज धुमाल पार्टी के कुछ बजनियां इससे मिलते-जुलते रहते हैं. अब यह जांच का विषय है कि कहीं यह अवैध संबंधों की परिणति तो नहीं? क्योंकि पारिवारिक जुड़ाव भी इसका कारण हो सकता है. राकेश तिवारी का गुर्गा सत्तू देवार का भी खुलेआम मर्डर की धमकी देना बहुत गंभीर मामला है. इस पर तो जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. इससे तो खाकी वर्दी भी शर्मसार हुई है. साथ ही साथ राज्य शासन के गृहमंत्रालय पर सवालिया निशान खड़े होते हैं कि क्या छत्तीसगढ़ को इसी प्रकार अपराधियों के गढ़ के रूप तब्दील कर दिया जाएगा?
सुलगते सवाल?
इस हत्याकांड में सबसे बड़ा सवाल यह है कि पुलिस आम आदमी को अपराध करने पर गिरफ्तार करने में देर नहीं करती लेकिन जब राजनीतिक दल से जुड़े किसी रसूखदार की बात आती है तब पुलिस की सांस क्यों फूलने लगती है? क्या यह कम बड़ी बात है कि मृतक की बहू लविशा शर्मा का आरोप है कि राजनैतिक संरक्षण के कारण ही पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर रही है? लविशा ने बताया कि दो वर्ष पूर्व 2022 में आकाश शर्मा पर 9 लोगों द्वारा किए गए प्राण घातक हमले के मामले में राकेश तिवारी ही मुख्य षडयंत्रकर्ता था.
मृतक के छोटे भाई विशाल शर्मा ने बताया कि दो साल पूर्व 25 नवंबर को भी आरोपियों ने आकाश शर्मा पर चाकू से हमला किया था जिस मामले में काउंटर केस दर्ज हुआ था जिसमें कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी आरोपियों ने दादागिरी करते हुए आकाश शर्मा को खुलेआम जान से मारने की धमकी दी थी. इसके बावजूद पुलिस ने राकेश तिवारी का नाम आरोपियों में शामिल नहीं किया था और अब 18 अगस्त 2024 को भी आकाश शर्मा की हत्या मामले में पुलिस ने मास्टर माइंड राकेश तिवारी का नाम रोजनामचा से बाहर रखा.
दोनों ही घटनाओं में राकेश तिवारी को ही षडयंत्रकर्ता बताये जाने के बावजूद पुलिस ने उसके खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर पूछताछ करना भी उचित नहीं समझा. सवाल बार-बार उछलता है कि आखिर पुलिस का उसके प्रति इतना प्रेम क्यों है? सवाल तो उन संगठनों पर भी उठ रहा है जिन्होंने ऐसे अराजक तत्व को पद देकर सामने लाया. विश्व हिंदू परिषद-बजरंग दल जैसे बड़े संगठन ने उसे विभाग सह संयोजक पद से हटाया क्यों नहीं? यही वजह है कि आज भी यह षड्यंत्रकर्ता न केवल खुलेआम घूम रहा है बल्कि अपने संगठन के विजयादशमी उत्सव के अवसर पर आरएसएस के निकले पथ संचलन में भी शामिल हुआ था.
गृहमंत्री कानून व्यवस्था की करेंगे समीक्षा?
गृहमंत्री विजय शर्मा तो कानून व्यवस्था पर लगातार अंकुश लगाने की बात करते रहे हैं लेकिन बलौदाबाजार की घटना, साजा और बलरामपुर की घटना, कवर्धा और भिलाई-3 की घटना और फिर दुर्ग की जघन्य हत्याकांड की मिस्ट्री तो कुछ और ही कहना चाहती है. वह कहना चाहती है कि छत्तीसगढ़ में अपराधियों की फसल लहलहा रही है. गांव-गांव में, शहर-शहर में अपराधी गिरोह कहकहे लगा रहे हैं. किसानों की जान आफत में है, मजदूर परेशान हैं और आमलोग घरों में दुबके हैं कि कहीं अपराधियों से सामना न हो जाए.
हिंदूवादी संगठनों से हिंदुओं को ही खतरा
अधिकांश मामलों में देखा जा रहा है कि अपराधियों के गिरोह हिंदूवादी संगठनों से जुड़ते जा रहे हैं. पिछले एक साल का रिकार्ड उठा कर देखें तो विश्व हिंदू परिषद हो या बजरंग दल या फिर कोई अन्य हिंदू संगठन सभी में अपराध करने वालों को पनाह मिली है. उन्हें इन संगठनों में पद देकर उपकृत किया जा रहा है. सवाल उठता है कि आखिर इन संगठनों में क्रिमिनल बैकग्राउंड के लोगों को पनाह क्यों दी जाती है? विडंबना है कि हिंदू समाज की रक्षा के लिए गठित इस प्रकार के संगठन से जुड़े लोग हिंदुओं को ही निशाना बना रहे हैं. उनका मर्डर कर रहे हैं. उनकी सम्पत्ति हड़प रहे हैं. उनके बाल बच्चों को असुरक्षित बना रहे हैं. क्या प्रदेश में भाजपा की सरकार इसीलिए बनाई गई थी? क्या डबल इंजन की सरकार इसी प्रकार छत्तीसगढ़ की शांति व्यवस्था को कायम रखेगी?
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का तंज
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का फिर यह कहना कि छत्तीसगढ़ में अपराधियों को संरक्षण देने वाली सरकार काबिज हो गई है, सच ही प्रतीत होता है. समय है सरकार छत्तीसगढ़ की शांति व्यवस्था को कायम रखने में फिर से समीक्षा करे और उन तत्वों को किसी भी कीमत पर संरक्षण न दे जो उपद्रव, हुड़दंग और हिंसा जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं, यही समय का तकाजा है. शांति के टापू छत्तीसगढ़ को शांत ही रहने दें. यही छत्तीसगढ़ की पहचान है.