दो थाना प्रभारियों को आयोग के निर्देश का पालन ना करने पर दी अंतिम चेतावनी
रायपुर- छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने बुधवार को छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीडन से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की. आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 283 वी. सुनवाई हुई.
अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि पढ़ाई-लिखई की उम्र में युवक-युवतियां ऐसी गलती ना करें कि उन्हें कोर्ट व पुलिस के चक्कर लगाने पड़े, यदि एक बार पुलिस थाने में नामजद हो जाते है तो किसी भी तरह की शासकीय सेवा की इन्क्वाइरी में उनका नाम आ जायेगा व परीक्षा में पास होने के बाद भी शासकीय सेवा में वह नहीं जा सकेंगे. इस पढ़ाई की उम्र में सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देंवे. प्यार मोहब्बत के चक्कर में ना पड़े.
दूसरा प्रकरण में अनावेदक द्वारा आवेदिका की मां जो कि मानसिक रोगी है उसे जिला पंजीयक कार्यालय में ले जाकर उसकी जमीन को धोखे से रजिस्ट्री कराने का मामला आयोग में है. आयोग द्वारा थाना प्रभारी गौरेला पेण्ड्रा मरवाही को पत्र के माध्यम से निर्देशित किया गया था कि वह अनावेदक को लेकर स्वयं आयोग में उपस्थित हो. किंतु थाना प्रभारी अनावेदक को लाने में अक्षम रहे है. इस प्रकरण की सुनवाई में एस.डी.एम (गौरेला पेण्ड्रा मरवाही) उपस्थित हुए, उन्हें मानसिक रोगी महिला की फोटो दिखाई गई जो हॉस्पिटल में भर्ती थी. प्रकरण में शीघ्र कार्यवाही हेतु एस.डी.एम को आयोग ने निर्देशित किया कि वह अपने न्यायीक क्षेत्राधिकार का प्रयोग कर अनावेदक और मानसिक रोगी महिला को आयोग की आगामी सुनवाई में उपस्थित करे, ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके.
तीसरा प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक के साथ वैवाहिक अनुबंध व विवाह की तस्वीरे पेश की वही अनावेदक पति-पत्नी उप. हुये. अनावेदक के अनुसार आवेदिक ने लगभग 1 करोड़ की जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करा लिया और एक-दूसरे पर कई तरह की कार्यवाही चालू है. प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए प्रकरण से संबंधित सभी दस्तावेजों को कमबध्द कर उनकी जानकारी आवश्यक है जिसके लिए आयोग की ओर से एक अधिवक्ता व काउंसलर को नियुक्त किया गया. ताकि वह प्रकरण की रिपोर्ट तैयार करे जिससे प्रकरण का निराकरण हो सके.
चौथा अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक के खिलाफ ब्लैकमेलिंग किये जाने की शिकायत की थी, लेकिन आज दोनो पक्ष आयोग के समक्ष उपस्थित हुये व आपस में सुलह-नामा के आधार पर आवेदिका अपना प्रकरण वापस लेना चाहती है. अनावेदक को आयोग की ओर से समझाईश दिया गया कि वह भविष्य में आवेदिका के साथ किसी भी तरह का वार्तालाप या तंग करने की कोशिश ना करें. अन्यथा उसके खिलाफ आवेदिका पुलिस में मामला दर्ज करा सकेगी, इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया.