
हर साल भारत में 16 नवंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. इतिहास में आज का दिन पाकिस्तान के खिलाफ भारत की ऐतिहासिक जीत के रूप में दर्ज है. इसी युद्ध में भारत की जीत के बाद बांग्लादेश बना था. 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध 3 दिसंबर को शुरू हुआ और 13 दिनों तक चला. युद्ध आधिकारिक तौर पर 16 दिसंबर को समाप्त हुआ. 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल नियाजी के कुल 93,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.
देश आज विजय दिवस की 51वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस दिन 1971 में भारत ने पाकिस्तान को जंग में हराया था. इसी ऐतिहासिक जीत का जश्न हर साल मनाया जाता है. हालांकि इस जंग में भारतीय सैनिकों ने बड़े पैमाने पर कुर्बानियां भी दी थीं. करीब 3900 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे, जबकि 9851 सैनिक घायल हुए. आज देश के वीर सिपाहियों के शौर्य, अदम्य साहस, कुर्बानी को नमन किया जा रहा है. आइए जानते हैं 1971 में हुए भारत पाक युद्ध के बारे में और भारतीय वीरों की विजय गाथा की कहानी.
क्यों मनाया जाता है विजय दिवस
1971 में पाकिस्तान और भारत के बीच जंग हुई थी. इस जंग में पाक सेना को करारी हार मिली और 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करना पड़ा. युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र हो गया. आज यही क्षेत्र स्वतंत्र देश बांग्लादेश बन गया है. पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारतीय पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. 16 दिसंबर की शाम जनरल नियाजी ने आत्मसमर्पण के कागजों पर हस्ताक्षर किए थे.
आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के बाद नियाजी ने अपनी रिवाल्वर जनरल अरोड़ा के हवाले कर दी. नियाजी की आंखों में आंसू थे. रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोग नियाजी की हत्या करने की मांग कर रहे थे. लेकिन भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने नियाजी को सुरक्षित वापस भेजा.