देवेन्द्र यादव की गिरफ्तारी के विरोध में 21 अगस्त को कांग्रेस का धरना प्रदर्शन
रायपुर- बलौदाबाजार हिंसा मामले में कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी के विरोध में 21 अगस्त को प्रदेश स्तरीय जिला मुख्यालय में धरना प्रदर्शन किया जायेगा.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये कहा कि बलौदाबाजार के मामले में साय सरकार अपनी नाकामी और पूरे देश में हुई बदनामी को छुपाने विपक्ष के नेताओं को परेशान कर रही है. कांग्रेस के विधायक देवेन्द्र यादव की गिरफ्तारी भाजपा की बौखलाहट को दर्शाता है. यह विपक्ष को बदनाम करने की साजिश है. विधायक देवेन्द्र यादव बलौदाबाजार में न भाषण दिये और न ही कलेक्टर ऑफिस प्रदर्शन में शामिल हुये. वे भीड़ में पांच मिनिट रूक कर वापस आ गये थे. कही भी किसी हिंसक घटना में उनके संलिप्तता का कोई भी साक्ष्य नहीं और न ही वे किसी भी प्रकार की घटना में शामिल थे. पुलिस ने उनको गलत तरीके से गिरफ्तार किया है.
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि देश में पहली बार ऐसा हुआ कि कलेक्टर एवं एसपी आफिस जला दिये जाते है. 10 जून की घटना को लेकर पूरे 67 दिन बाद देवेन्द्र यादव की गिरफ्तारी हुआ है. धाराएं इतना है कि जांच अधिकारी जितना लिख सकता था उतना लिखा. भाजपा ने सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का काम किया. भाजपा अपनी नाकामी को छुपाने के लिये ऐसी कार्यवाही कर रहे है. पुलिस जो धारा लगायी है उनको साक्ष्य दिखाना चाहिये. षड़यंत्रपूर्वक गलत धाराओं के तहत देवेन्द्र यादव के ऊपर 20 धाराओं के ऊपर कार्यवाही की गयी है. यह सरकार की हताशा को बताता है. पुलिस को बताना चाहूंगा कि सरकार तो आती जाती रहती है ऐसा कोई काम न करे कि वो नजरे ना मिला सके. पुलिस पूछताछ कर रही थी फिर गिरफ्तार कर ले आई. क्योंकि यह कार्यवाही मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के संरक्षण में हुआ है. इस मामले में विधायक दल की बैठक और 21 तारीख को सभी जिलों में धरना प्रदर्शन किया जायेगा. देवेन्द्र यादव ने कोई अपराध नही किया इतने सारे धाराये जबरदस्ती लगा दिये है. समाज ने सीबीआई जांच की मांग किया हैं तो सरकार क्यो सीबीआई जांच नही ंकरवाती है. छोटी-छोटी घटनाओं की सीबीआई जांच की अनुशंसा की गयी है तो इतनी बड़ी घटना जिसमें एक समाज के प्रतीक चिन्ह को तोड़ा गया. एक जिले के कलेक्टर, एसपी कार्यालय को जला दिया गया उसकी सीबीआई जांच करवाने में क्या परहेज है. हम सबने वर्तमान जज की देखरेख में जांच कराने कहा क्यों नहीं करवाया गया?