राजनीतिक बोध, दायित्व और भूमिका विषय कार्यक्रम पर बोले सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव
लोकतंत्र और संविधान बचाने राजनीतिक चेतना जरूरी
भिलाई- मौजूदा लोकसभा चुनाव देश में आजादी के बाद अब तक हुए सभी आम चुनावों में सबसे कठिन और विकट है. यह पहला चुनाव है, जब सत्तासीन भाजपा सरकार की जन विरोधी नीतियों और कार्यों के खिलाफ सारी विपक्षी पार्टियां ही नहीं बल्कि जन संगठन भी एकजुट हो गए हैं. इनमें राष्ट्रीय जन संगठन भारत जोड़ो यात्रा अभियान के राष्ट्रीय संयोजक और प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता देशभर में मोदी सरकार के दस साल के समाज तोड़ू कार्यों से लोगों को रुबरु कराते हुए सत्ता परिवर्तन के लिए मतदाताओं को जागरुक कर रहे हैं. अपने इस अभियान के तहत मिनी इंडिया पहुंचे श्री यादव ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए इंडिया गठबंधन को देश का भविष्य बताया. उन्होंने लोकतंत्र और संविधान बचाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों से मतदाताओं को जागरुक करने का आह्वान किया. उन्होंने जैन भवन भिलाई में अपने संविधान -1 आयोजन के तहत मतदाताओं का राजनीतिक बोध, दायित्व और भूमिका विषय पर आयोजित बुद्धिजीवियों के कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता कहा कि देश इस समय बेहद कठिनतम दौर से गुजर रहा है. यह चुनाव सिर्फ सांसद और पीएम बनाने नहीं बल्कि संविधान और लोकतंत्र बचाने का है. यह चुनाव मोदी बनाम राहुल या केजरीवाल नहीं वरन मोदी बनाम मुद्दा है. हम सब लोकतंत्र नामक देवता को पूजते हैं लेकिन राजनीति से नफरत करते हैं. ऐसे में सोचें क्या राजनीति के बिना लोकतंत्र बचेगा? क्या धन्नासेठ और गुंडे ही राजनीति करेंगे. लोकतंत्र को बचाने सजगता जरुरी है. इस चुनाव में आज लोकतंत्र को बचाने राजनीतिक चेतना और राजनीति में जनता की भागीदारी जरुरी है. इसके लिए लोकतंत्र के महापर्व चुनाव में सभी बुद्धिजीवी अपने घर से मोहल्ले तक लोगों को वोट डलवाने जागरुक कर सत्ता परिवर्तन में महती भूमिका निभाएं. आप ये मानकर चलें कि यह चुनाव केवल संसद का नहीं वरन भारत की पहली संविधान सभा का है. क्योंकि आज संवैधानिक-सामाजिक ढांचे पर ही मोदी सरकार हमला नहीं कर रही बल्कि हमारी चार हजार साल पुरानी संस्कृति पर भी है. श्री यादव ने कहा कि मैच (चुनाव ) शुरु होने के पूर्व ही रेफरी बदल दिया गया. ऐन चुनाव के पूर्व अचानक एक चुनाव आयुक्त इस्तीफा दे देते हैं और प्रधानमंत्री सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध अपनी मर्जी से दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कर देते हैं. चुनाव के दौरान परेशान करने कांग्रेस और सीपीआई का एकाउंट सीज कर दिया जाता है. तीस साल पुराने मामले में अचानक झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और फिर दिल्ली के सीएम केजरीवाल को भी जेल भेज दिया जाता है. सरकार केजरीवाल पर दो साल से केस चल रहा बता रही, मोदी दो माह बाद गिरफ्तार कर लेते तो क्या हो जाता. अरुणाचल में दस सीटों पर विपक्ष का कोई उम्मीदवार ही सामने नहीं आता, भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध जीत जाते हैं. चंडीगढ़ मेयर चुनाव में धांधली के लिए सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी पहले सूरत और फिर उज्जैन में सरपंच चुनाव की तरह दबंगई दिखाकर विपक्षी पार्टी के प्रत्याशी से नामांकन वापस करवा लिया जाता है. यह सब क्या हो रहा है. यह 21 सदी की डिक्टेटरशिप है. इसके पहले इस तरह लोकतंत्र पर प्रश्नचिन्ह कभी नहीं लगा. जिस तरह से देश में सत्ता के लिए संवैधानिक संस्थाओं पर हमला किया जा रहा, अपने विरोधियों को खत्म करने वाले तानाशाह पुतिन के रुस की ओर बढ़ रहा है. देशवासियों के सामने यह चुनाव आखिरी मौका है,जिसमें वे मोदी के पाखंड और अधिनायकवाद को रोक सकते हैं.
दस साल बाद भी राम का सहारा
सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने कहा कि पीएम मोदी दस साल तक सत्ता में रहने के बाद अब तीसरी बार जनादेश मांग रहे हैं. लेकिन जनता को अपने कार्यकाल का हिसाब-किताब देने की बजाए भावनात्मक मुद्दों से भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं. दस साल की सत्ता के बाद भी उन्हें राम का सहारा लेना पड़ रहा है. महंगाई और बेकारी जैसे वादों का जवाब नहीं दे रहे हैं. पेट्रोल और गैस सिलेंडर के बढ़ते दाम पर भाजपा जवाब नहीं देती. पार्टी के घोषणापत्र में बेरोजगारी का उल्लेख नहीं है. पिछले चुनाव में मोदी ने हर साल दो करोड़ बेरोजगारों को नौकरी देने और किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था. भाजपा प्रवक्ता डबलिंग कहते थे लेकिन अब चुनाव आया तो सब वादे भूल गए. विदेशी बैंकों में जमा काला धन वापस लाने, आतंकवाद समाप्त करने के वादे हवाहवाई साबित हुए. श्री यादव ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली मोदी सरकार और उनके सहयोगी बेटियों की इज्जत से खेल रहे हैं. कर्नाटक में सहयोगी पार्टी जदयू के प्रज्जवल रमन्ना को मोदी ने यह जानते हुए भी टिकट दिलवाया कि वह दरिंदा दो हजार महिलाओं के यौन उत्पीडऩ का आरोपी है. टिकट नहीं देने के पत्र के बाद भी मोदी और अमित शाह ने उसे प्रत्याशी बनाने दबाव बनाया. सत्ता के लिए वे बेटियों के शरीर का सौदा कर रहे थे. यौन उत्पीडऩ के आरोपी भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह को बचाने ओलंपिक में पदक लाकर देश का गौरव बढ़ाने वाली आंदोलित महिला पहलवानों को पुलिस से पिटवाया गया. अब आरोपी के बेटे को भाजपा ने टिकट भी दे दिया. यह कैसी मातृ वंदना है ? मोदी जनता के सवालों से बच रह हैं. उन्हें जनता को जवाब तो देना ही होगा.
अडानी हैं पालिटिकल पार्टनर
सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने कहा कि पिछले दस साल में अमीरी गरीबी की खाई जितनी बढ़ी है, पहले कभी नहीं बढ़ी. उन्होंने मोदी के अडानीपरस्त होने पर कहा कि मोदी अपने घनिष्ठ मित्र अडानी को देश की संपत्ति बेच रहे हैं. मोदी ऐसा इसलिए कर रहे हैं,क्योंकि अडानी उनके पोलिटिकल पार्टनर हैं. अडानी को पोर्ट, एयरपोर्ट, माइंस, रेलवे, स्टेशन, कारखाने औने पौने दाम पर बेच रहे हैं. देश के बाहर भी उन्हें संपत्ति दिलवा रहे हैं. यादव ने कहा कि श्री लंका के राष्ट्रपति ने अपने बिजली विभाग को बताया कि बिजली के काम का ठेका अडानी को इसलिए देने मजबूर होना पड़ा क्योंकि मोदी का फोन आया था. इसी तरह अडानी बंबई एयरपोर्ट से गुजर रहे थे तो, मालिक से कहा यह हमें पसंद आ गया है, हमें बेच दो. और उसे मोदी को बेचना पड़ा. ऐसा फिल्मों में सुना ही देखा था. यानी अडानी को देश में जिसकी संपत्ति पसंद आ आ जाए, उसे मिल जाती है. कोराना काल के पहले अडानी की संपत्ति मात्र 66 हजार करोड़ थी जो मात्र ढाई साल में दो लाख करोड़ हो गई. यह कैसे बढ़ गई ? देश में अन्य किसी उद्योगपति की संपत्ति इस रफ्तार से नहीं बढ़ी. पिछले दस साल में देश की संपत्ति की बेहतहाशा लूट हुई है.
चंदा दो धंधा लो
भाजपा सरकार ने चुनावी चंदा लेने कानून में फेरबदल कर इलेक्टोरल बांड घोटाला किया. शैल कंपनियों और अन्य पूंजीपतियों से करोड़ों के बांड के जरिए चंदा दो धंधा लो का कृत्य किया. एक नंबर के पैसे को दो नंबर में लेकर एक नंबर के खाते में डाला जा रहा है. पार्टी ने छह हजार करोड़ का चंदा मिला. पहले विदेशी कंपनियों से चुनावी चंदा लेने का कानून नहीं था, केंद्र सरकार ने लेकिन अपने स्वार्थ के लिए कानून बदल दिया. इस पर पीएम निर्लज्जता से बोलते हैं कि इलेक्टोरल बांड से यह पता चला कि किसने किसे कितना चंदा दिया. जबकि सच यह है कि उन्होंने इसे छिपाए रखना चाहा, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 4 दिन की सीमा में मिलान कर डिटेल देने की फटकार के बाद खुलासा किया. जिस फार्मा कंपनी की दवाई से उज्जेबेकिस्तान में बच्चे मरे, उस कंपनी से भी भाजपा ने चंदा लिया. 52 करोड़ चुनावी चंदा देने वाली कोरोना में कोविशील्ड दवाई बनाने वाली कंपनी को कोविड इंजेक्शन बनाने का ठेका दिया गया. वैज्ञानिकों के आनन फानन में दवाई बनाने से रोकने के बाद भी मोदी ने चंदा दो धंधो लो के लिए एस्ट्राजेनेका कंपनी को कोविशील्ड का
ठेका दिया. अब कंपनी ने इंगलैंड की कोर्ट में स्वीकार किया है कि लोगों को दवा से ब्लड क्लाटिंग हो रही है. श्री यादव ने कहा कि पीएम देश के सभी लोगों का अभिभावक होता है. लेकिन मोदी देश के 20 करोड़ मुस्लिमों को घुसपैठिए बोल रहे हैं. कह रहे हैं कि हिंदू महिलाओं के मंगल सूत्र घुसपैठियों को कांग्रेस दे देगी. वे कैसे अभिभावक हैं. पीएम के बोल पहले चरण के चुनाव में अपने खिलाफ रुझान को देख बिगड़े हुए हैं. सत्ता के लिए जाति धर्म के नाम पर समाज और देश को बांटने का अभियान छेड़े हुए हैं. इस चुनाव में पुलवामा जैसा कोई जादू चलने वाला नहीं है. चुनाव करवट ले रहा है.
टीवी डिबेट में भाजपा का प्रचार
प्रसिद्ध चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव ने कहा कि मोदी और पूरी भाजपा चार सौ पार का दावा कर रही है. गोदी मीडिया चैनलों पर चुनाव में चार सौ पार का डिबेट सिर्फ भाजपा का प्रचार करने के लिए चला रहे हैं. इसलिए मैं टीवी डिबेट में नहीं जाता, क्योंकि आप चार सौ पार का समर्थन करोगे तो भाजपा का प्रचार होगा और विरोध करेंगे तो पार्टी का प्रचार होगा. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में जमीन पर खेल शुरु हो चुका है. चार सौ पार का नारा देने वाली भाजपा को 270 सीट लाना मुश्किल हो रहा हैं. राजस्थान, बिहार, बंगाल, कर्नाटक हरियाणा और कर्नाटक जैसे कई राज्यों में भाजपा को पहले से दस-दस सीटें कम मिलेंगी. छग में भी पहले दो सीट से आगे बढ़ना चाहिए. संवाद कार्यक्रम बाद योगेंद्र यादव ने लोगों के प्रश्नों के तार्किक जवाब भी दिए. पूर्व में कार्यक्रम के आयोजक भारत जोड़ो अभियान छग इकाई के मेहरबान सिंह, अभय दास, गौतम बंधोपाध्याय, ज्योति ने राष्ट्रीय संयोजक योगेंद्र यादव का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया. कार्यक्रम में श्रमिक संगठनों सहित विभिन्न संगठनों के लोग, प्राध्यापक, रिटायर अधिकारी, कर्मचारी, कलाकार, साहित्याकार, संस्कृतिकर्मी आदि बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी उपपस्थित थे.