अपनों को लाभ पहुंचाने धड़ाधड़ बदल रहे नियम
किसानों के हितों पर हो रहा कुठाराघात
निविदा शर्तों में हेरफेर से सप्लायर परेशान
सिंडिकेट की तरह काम कर रहा बीज निगम
छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम अपने लक्ष्य से भटक गया है. अपनों को लाभ पहुंचाने के लिए निगम के अधिकारियों द्वारा नियमों के खिलाफ जाकर निविदा शर्तों के साथ छेड़-छाड़ की जा रही है जिसके कारण कई सप्लायर बाहर हो गए हैं. प्रत्येक निविदा के लिए अलग-अलग नई-नई शर्तें जोड़ी जा रही हैं. इनमें से कई शर्तें न केवल वाहियात बल्कि बेतुकी भी हैं. इसका अंतिम नुकसान किसान और कृषि कार्य को ही उठाना होगा.
छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की स्थापना भंडार क्रय नियमों के अनुसार किसानों हेतु उन्नत बीज, आधुनिक उपकरण एवं पौध संरक्षण औषधि की उचित दरों पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए की गई थी. पिछले छह महीने से बीज निगम शासकीय प्रक्रियाओं और नियमों से छेड़छाड़ कर रहा है. इसकी शिकायतों पर आला अधिकारियों ने भी चुप्पी साध रखी है. इन विसंगतियों की खबरें कई बार सुर्खियां बनीं पर न तो शासन और न ही प्रशासन के कानों पर अब तक जूं रेंगी है.
April First 2024
अपात्र को पात्र और पात्र को अपात्र
बीज निगम के अधिकारियों द्वारा नियमों में फेरबदल कर अपने लोगों को लाभान्वित किया जा रहा है. पिछले छह महीने में बीमा निगम द्वारा ब्लैक लिस्टेड कंपनियों की रोकी गई भुगतान की राशि को जारी किया गया है. कुछ मामलों में प्रदायक विशेष हेतु अलग से दर प्रसारण जारी कर उसे लाभान्वित किया गया. इसके चलते किसानों को समय पर प्रमाणित बीजों की आपूर्ति नहीं की जा सकी. उलटे फर्जी प्रोसेसिंग एवं उपचार रसायनों की बिक्री से किसानों के साथ ही शासन को भी चूना लगाया जा रहा है. ऑन-लाइन के इस दौर में निगम द्वारा ऑफ-लाइन टेंडर किये जा रहे हैं.
बड़ी कंपनियों को लाभान्वित करने की साजिश
निविदा शर्तों में ऐसे फेरबदल किये गये हैं जिससे अब तक सप्लाई करने वाली एजेंसियां और पार्टियों दौड़ से बाहर हो गई हैं. बानगी देखिये –
बीज निगम द्वारा वर्तमान में मछली पालन, प्रमाणित बीज, पशु-पालन, पौध संरक्षण औषधि एवं पौधों की दर्जन भर से ज्यादा निविदाएं आमंत्रित की गई हैं. इसकी कई शर्तें अतार्किक हैं –
आरसीओ-46 लाइव स्टॉक एवं पोल्ट्री मटेरियल की निविदा में पिछले तीन वर्षों का टर्न ओवर 10 करोड़ कर दिया गया है. साथ ही डिस्ट्रीब्यूटरों को इससे बाहर कर दिया गया है. जबकि आमंत्रित 14 निविदाओं में से 11 निविदाओं में डिस्ट्रीब्यूटर को मौका दिया गया है एवं न्यूनतम टर्नओवर को भी मात्र 8 लाख रखा गया है.
प्रमाणित बीजों के लिए आमंत्रित निविदा आरसीओ-37 की बात करें तो आलू, धनिया, मेथी हेतु इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा गुणवत्ता परक बीजों के गुणधर्म अनुसार अलग-अलग मापदंड निर्धारित करने एवं अलग-अलग निविदाएं आमंत्रित करने का सुझाव दिया गया था. विश्वविद्यालय की एडवाइजरी को पूरी तरह से दर-किनार कर दिया गया.
इसी तरह आरसीओ-38 की निविदा शर्तों में डिस्ट्रीब्यूटर को तो शामिल किया गया है पर इसके साथ ही आपूर्ति हेतु उनके पास उपलब्ध मात्रा का उल्लेख करने के भी निर्देश दिये गये हैं. सभी जानते हैं कि डिस्ट्रीब्यूटर आवश्यकता पड़ने पर अलग-अलग स्रोतों से सामग्री एकत्रित कर आपूर्ति करते हैं. इसमें शासकीय बीज निगम के अलावा भी स्रोत शामिल होते हैं.
फिशरीज (मछली पालन) के लिए आमंत्रित निविदाओं में बीज निगम ने सैम्पल मांगे हैं. जबकि इसके सैम्पल की जांच करने के लिए बीज निगम के पास न तो विशेषज्ञता है और न ही इनके पास इस कार्य के लिए अमला है. कायदे से सैम्पल संबंधित विभाग के पास जमा करने की शर्त होनी चाहिए थी ताकि गुणवत्ता का निर्धारण किया जा सके.
स्वदेशी निर्माता से मांगा निर्यात लाइसेंस
आरसीओ-02 माइक्रोन्यूट्रिएंट हेतु आमंत्रित निविदा में एक शर्त यह भी रखी गई है कि जो लोग देश के भीतर सामग्री का निर्माण करते हैं, उनके लिए भी इसका आयात लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया गया है. आरसीओ-07 लाइम जिप्सम पाइराईट फॉर एग्रीकल्चर अंतर्गत निविदा शर्तों में प्लास्टिक सामग्रियों की गुणवत्ता जांच हेतु नियम संस्था सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPHET) की टेस्ट रिपोर्ट को अनिवार्य कर दिया गया है. आरसीओ-05 टिश्यू कल्चर शुगरकेन (गन्ना) में डिस्ट्रीब्यूटर और उत्पादक दोनों को शामिल किया गया है जो कि अव्यावहारिक है.