
छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा को विश्व स्तर की पहचान दिलाना मकसद और संकल्प है यह बात संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही. बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाला दशहरा पर्व विश्व में प्रसिद्ध हैं जहां रावण दहन नहीं होता बल्कि आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है इस धरोहर को बचाए रखने के लिए विभाग ने बस्तर दशहरा में 50 लख रुपए देने का निर्णय लिया वहीं चित्रकूट महोत्सव के लिए 25 लाख रुपए और रामाराम महोत्सव के लिए 15 लाख रुपए, गोंचा महोत्सव में 5लाख रुपए किए जाने की घोषणा की गई. आदिवासी समाज अपनी जीवन शैली और पहचान को बनाए रखे एवं आने वाले समय में बस्तर में नक्सलवाद सुनाई नहीं देगी बल्कि वहां की संस्कृति मांदर, ढोल और थाप से बस्तर गूंजेगी.