
बस्तर : बस्तर में शिक्षा के नाम पर फर्जीवाड़ा का जाल बिछा हुआ है. स्कूल हो या छात्रावास प्रिंसिपल और अधीक्षक की मनमानी से विद्यार्थिर्यों को सरकारी सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है. जिले के आदिवासी बालक 50 सीटर छात्रावास में बच्चे नहीं रहते हैं घर से स्कूल आना-जाना करते हैं.
लेकिन, अधीक्षक और मंडल संयोजक लगातार फर्जी तरीके से डायरी मेंटेन कर रहे थे. जब मामले की जांच हुई, तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ. अब प्रशासन इनसे 36 लाख रुपए वसूलने की कार्रवाई कर रहा है.
बता दें कि आदिवासी बालक छात्रावास में रहने वाले एक बच्चे के पीछे सरकार पहले 1 हजार रुपए महीना देती थी. लेकिन, यह राशि बढ़कर अब 1500 रुपए महीना हो गई है. बच्चों के लिए राशन, तेल, साबुन समेत अन्य जरूरी सामान के लिए ये पैसे खर्च किए जाते हैं.
सहायक आयुक्त संजय चंदेल ने बताया कि, बास्तानार ब्लॉक के बिरचेपाल गांव में बालक छात्रावास स्थित है. कुछ दिन पहले टीम यहां जांच करने के लिए गई थी. छात्रावास में बच्चे नहीं थे. कमरे में पंखा टूटकर नीचे गिरा हुआ था. गद्दे फटे हुए थे. छात्रावास की हालत काफी खस्ता थी. देखकर ऐसा लगा कि यहां बच्चे नहीं रह रहे हैं.
आज-पास के ग्रामीणों से भी बातचीत की गई. जिसमें पता चला कि यहां बच्चे रहते नहीं हैं. हां, लेकिन स्कूल टाइम में आना-जाना जरूर करते हैं. सहायक आयुक्त ने कहा कि, इस छात्रावास की दर्ज संख्या 50 है. बच्चे घर से आते हैं, स्कूल में मध्यान भोजन खाते हैं और शाम को घर जाते हैं. जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि, बच्चे छात्रावास में नहीं रहते हैं.