
भिलाई इस्पात संयंत्र को उच्च गुणवत्ता और पर्याप्त मात्रा में लौह आयरन आपूर्ति हेतु रावघाट आयरन ओर माईंस से 20 लाख टन प्रतिवर्ष अयस्क उत्पादन और खनन के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार के समस्त संबंधित विभागों से मंजूरी मिल चुकी हैं. किंतु रेलवे साईडिंग के अभाव में संयंत्र प्रबंधन को सड़क मार्ग से ही लौह अयस्क का परिवहन करना पड़ रहा है. ज्ञात हो कि खदान स्थल से सड़क मार्ग एसएच-5 और अंतागढ़ रेलवे साईडिंग तक की दूरी 56 किलोमीटर है. कमजोर एवं टूटी-फूटी सड़क होने के कारण खदान सें रेलवे साईडिंग तक अयस्क का परिवहन किया जाना संभव नहीं है. लगभग 46 किलोमीटर तक सड़क के मजबूत पूर्णनिर्माण की आवश्यकता है जिससे सड़क की मजबूती के साथ उसकी चौड़ाई भी बढ़ा सके. जानकारी के मुताबिक उक्त सड़क निर्माण के लिए 138 करोड़ की अनुमानित लागत पर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 6 माह पूर्व ही तकनीकी मंजूरी दी जा चुकी है, लेकिन अब तक कार्य आरंभ नहीं हुआ है. रावघाट माईंस से अंतागढ़ रेलवे साईडिंग तक रेल लाइन का निर्माण कार्य दिसंबर 2025 तक पूर्ण होने की संभावना है, तब तक रावघाट से बीएसपी तक आयरन ओर की आपूर्ति सड़क परिवहन से ही संभव हो सकेंगा. रावघाट माईंस से भिलाई तक का सड़क मार्ग लगभग 240 किलोमीटर लंबा है. जाहिर है कि सड़क मार्ग से अयस्क परिवहन में लागत खर्च काफी अधिक होगा, लेकिन रेलवे साईडिंग तक पहुंच के अभाव में भिलाई तक सड़क मार्ग से ही अयस्क परिवहन किया जाना मजबूरी है. यदि समय रहते खदान से अंतागढ़ रेलवे साईडिंग के बीच लगभग 46-47 किलोमीटर सड़क निर्माण शीघ्र कर लिया जाय तो निश्चित ही संयंत्र प्रबंधन को लगभग 240 किलोमीटर लंबा सड़क मार्ग परिवहन नहीं करना पड़ेगा और मात्र 56 किलोमीटर दूरी पर स्थित अंतागढ़ रेलवे साईडिंग में माल पहुंचाकर रेल के माध्यम से कम लागत खर्च पर बीएसपी को लौह अयस्क की आपूर्ति की जा सकती है.
इस संबंध में सामाजसेवी और पूर्व में दल्लीराजहरा के माईनिंग ठेकेदार रहे शांतिलाल जैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को पत्र लिखकर अतिशीघ्र सड़क निर्माण कराने का आग्रह किया गया है. यह विशेष उल्लेखनीय है कि 6 महिने से बजट और निर्माण कार्य के लिए मंजूरी होने के बावजूद रावघाट से अंतागढ़ तक 46 किलोमीटर लंबी सड़क की नवनिर्माण का कार्य अब तक आरंभ नही हुआ है यह चिंता का विषय है. इस मामले मे क्षेत्रिय सांसदों को विशेष ध्यान देना चाहिए. वर्तमान में कांकेर,राजनांदगांव और दुर्ग लोकसभा से भाजपा के ही सांसद है और एक राज्यसभा सांसद भी भाजपा का ही है लेकिन भिलाई इस्पात संयंत्र और संयंत्र के कर्मचारियों को तमाम चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है, इससे न केवल इस्पात प्रबंधन को बल्कि संयंत्र कर्मियों को भी आर्थिक क्षति हो रही हैं. श्री जैन ने आशा व्यक्त की है कि प्रधानमंत्री और इस्पात मंत्री की सार्थक पहल से भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन को निश्चित ही राहत मिलेगी.