
भिलाई- आरोग्यम सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल में यूरोलॉजिकल सर्जरी पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. सुप्रसिद्ध यूरोलॉजिस्ट, एंड्रोलॉजिस्ट एवं यूरोलॉजिकल सर्जन डॉ गौतम बांगा ने रविवार एवं सोमवार को अनेक जटिल सर्जरियों को अंजाम दिया. इसे राज्य भर से आए 15 से अधिक यूरोलॉजिस्ट्स ने कांफ्रेंस रूम में बैठकर टीवी स्क्रीन पर देखा और डॉ बांगा से बारीकियों पर लाइव चर्चा करते रहे.
आरोग्यम के संचालक यूरोसर्जन डॉ नवीन राम दारूका ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य स्थानीय मूत्र रोग विशेषज्ञों को जटिल रोगों के सर्जिकल ट्रीटमेंट की जानकारी देते हुए उनके ज्ञान के स्तर में वृद्धि करना था. इसका लाभ छत्तीसगढ़ के स्थानीय लोगों को मिल सकेगा. उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय ख्ताति प्राप्त डॉ बांगा रीकंस्ट्रक्टिव यूरोलॉजी और पेनाइल सर्जरी के विशेषज्ञ हैं. यूरेथ्रल स्ट्रिक्चर, हाइपोस्पेडियास, कॉस्मेटिक यूरोलॉजी, पेनाइल रीकंस्ट्रक्शन, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, पेनाइल ऑगमेंटेशन आदि के चुनिंदा मरीजों का चयन इस कार्यशाला के लिए किया गया था.
डॉ दारूका ने बताया कि जिन दो व्यक्तियों में पेनाइल इम्प्लांट लगाए गए हैं उनकी उम्र 60 वर्ष के आसपास है. पिछले लगभग डेढ़ दशक से वे संबंध नहीं बना पा रहे थे जिसके कारण उनका व्यक्तिगत जीवन प्रभावित हो रहा था. इम्प्लांट लगाने के बाद वे एक बार सहवास करने में सफल होंगे. इसके अलावा कुछ बच्चों की भी सर्जरी हाइपोस्पीडियास के लिए की गई है. यह एक जटिल रोग है जिसमें मूत्रनली शिश्न के सिरे पर न खुलकर शिष्न दण्ड के नीचे खुलती है. इसका इलाज बचपन में ही करना होता है.
चिकित्सकों से चर्चा के दौरान डॉ बांगा ने बताया कि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के केसेज लगातार बढ़ रहे हैं. इसके लिए इम्प्लांट्स का उपयोग किया जाता है. उन्होंने बताया कि वे 73 वर्षीय एक विदेशी नागरिक का भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लिए इलाज किया है जिनकी तीन पत्नियां थीं, उन्होंने बताया कि इस सर्जरी में दो घंटे तक का वक्त लग सकता है. इम्प्लांट्स की कीमत उसके फंक्शन के आधार पर लाखों में हो सकती है. इस सर्जरी के छह सप्ताह बाद ही व्यक्ति को सेक्स करने की इजाजत दी जाती है.
डॉ बांगा ने आरोग्यम के ओटी सेटअप की तारीफ करते हुए कहा कि यहां आर्गन ट्रांस्प्लांट की सर्जरी भी सफलतापूर्वक की जा सकती है. प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए यूरोलॉजिस्ट्स ने बताया कि यह कार्यशाला न केवल ज्ञानवर्धक थी बल्कि सर्जरी को कांफ्रेंस रूम में लाइव दिखाने की व्यवस्था भी उत्कृष्ट थी जहां से वे न केवल प्रोसीजर की बारीकियों को देख पाए बल्कि माइक्रोफोन के जरिए प्रोसीजर के डॉ बांगा से बातचीत भी करते रहे.