
भिलाई- 27 वर्षीया एक महिला की जान अजब सांसत में जा फंसी. दवा लेते समय उसका नकली दांत अपनी जगह से हिला और गले में उतर गया. पहले तो महिला को लगा कि वह सीधे पेट में चला गया है. पर छह दिन बाद पता चला कि नकली दांत गले में आड़ा फंसा हुआ है. जब उसे निकालने की कोशिश असफल रही. तब मरीज को हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल रिफर कर दिया गया. जहां डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद नकली दांत को निकाल दिया गया.
गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ आशीष देवांगन ने बताया कि महिला शहर के एक मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल में काम करती है. आरंभ में उसे ज्यादा तकलीफ नहीं थी. बस गले में कुछ फंसा हुआ सा महसूस होता था और कुछ निगलने में दिक्कत होती थी. दो-तीन दिन वह दलिया और पतली खिचड़ी पर रही. पर जब तकलीफ बढ़ने लगी तो उसने पहले डेन्टिस्ट को और फिर अपने अस्पताल में दिखाया. उन्होंने एक नाक-कान के डाक्टर को भी दिखाया पर दांत का कुछ पता नहीं चला.
महिला ने बताया कि घर वालों का भी मानना था कि दांत पेट में चला गया है जो अपने आप निकल भी जाएगा. गले में तकलीफ की वजह उन्होंने यह मान ली थी कि शायद दांत गले से उतरते हुए भीतरी सतह को छील गया है. पर छठवें दिन जब तकलीफ बहुत बढ़ गई तो वह पुनः अस्पताल पहुंची. एंडोस्कोपी करने पर दांत गले में आड़ा फंसा मिला. उसे निकालने की कोशिशें असफल रहीं. इसके बाद उसे हाइटेक हॉस्पिटल रिफर कर दिया गया.
डॉ देवांगन ने बताया कि देर शाम पहुंची मरीज की तत्काल एंडोस्कोपी की गई. दांत और उसे सेट करने वाली प्लेट आहारनली के ऊपरी हिस्से में आड़ी फंसी थी. ईएनटी सर्जन डॉ अपूर्व वर्मा को भी बुलाया गया. जांच में पता चला कि नकली दांत के साथ लगी प्लेट के दो सिरे आहारनली की दीवार में गहरे धंसे हुए थे. इसे बाहर निकालने में काफी जोखिम था. आहार नली फट सकती थी और काफी रक्तस्राव हो सकता था. परिवार वालों को सही स्थिति की जानकारी देने के बाद मरीज को ओटी में लिया गया.
डेढ़ घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद डॉ आशीष देवांगन, डॉ अपूर्व वर्मा तथा निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ नरेश देशमुख की टीम ने आहारनली को सुरक्षित रखते हुए नकली दांत को बाहर निकाल लिया. आहारनली के जख्मों को आराम देने के लिए फिलहाल मरीज को राइल्स ट्यूब लगाया गया है. मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और बातें भी कर रही हैं. यह एक अत्यंत विरल मामला था जिसे सफलता पूर्वक अंजाम तक पहुंचाया गया.