
भिलाई– पार्टियां चुनाव जीतती हैं तो नेतृत्वकर्ताओं की जय-जयकार होती है. यह भी कहा जाता है कि कार्यकर्ताओं की मेहनत के कारण यह जीत संभव हुई है. इन्हीं कार्यकर्ताओं में कुछ चेहरे ऐसे भी होते हैं जो सालों से पार्टी के प्रति पूर्ण निष्ठा और समर्पण के साथ काम करते हुए जनता का विश्वासपात्र बनते हैं. इन्हीं चेहरों को देखकर कार्यकर्ता से लेकर मतदाता तक का झुकाव पार्टी की तरह होता है. लगभग सभी चुनावों में इनकी प्रमुख भूमिका होने के बावजूद इनके हिस्से सिर्फ कोरी प्रशंसा ही आती है. भाजपा को छत्तीसगढ़ में पुन: सत्ता की सीढ़ियों तक पहुंचाने वाले कार्यकर्ताओं को क्या इस बार कुछ मिलेगा या फिर हमेशा की तरह उनके हाथ खाली रह जाएंगे?
छत्तीसगढ़ में पिछले कई दशकों से ऐसे ही अनेक कार्यकर्ता पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ काम कर रहे हैं. इनमें रामप्रताप सिंह और रूपनारायण सिन्हा का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है. चुनाव से काफी पहले ये अपना काम शुरू कर देते हैं. भूखे-प्यासे गांव-गांव की खाक छानकर वे अंतिम व्यक्ति तक उन बातों को पहुंचाने की कोशिश करते हैं जिन्हें प्रभावशाली तरीके से कहने का कोई और तरीका नहीं है. असंतुष्टों को मनाना हो या फिर अवसरों को पहचानना हो, ये ही पार्टी की आंखें और कान का काम करते हैं.
इस बार प्रत्याशियों की घोषणा काफी पहले कर दी गई थी. पार्टी में थोड़ी घबराहट भी थी. कोई भी नेता पूर्ण बहुमत से साथ सरकार बनाने का दावा तक नहीं कर पा रहा था. तब रूपनारायण सिन्हा ने पूरे विश्वास के साथ मैनपुर, गरियाबंद और देवभोग में यह घोषणा कर दी थी कि पार्टी 55 से 60 सीटों पर चुनाव जीतेगी. समय आने पर उनका आकलन भी सही साबित हुआ. अब पार्टी की बारी है कि अपने इन निष्ठावान सिपाहियों का हौसला बढ़ाए. उनकी दशकों की मेहनत और निष्ठा का सम्मान करना उसकी जिम्मेदारी भी है.