लगातार रूपये का गिरता स्तर, देश की हालत हो रही है बद्दतर
गिरीश मालवीय- देश गहरे आर्थिक संकट में है और नीरो जी यानि मोदी जी चैन की बंसी बजाए जा रहे है. पिछले कुछ महीने से रूपए की वैल्यु बहुत तेजी के साथ घटी है ये अपने आप में खतरनाक बनती जा रही परिस्थिति का बड़ा संकेत है 9 महीने पहले 8 जनवरी को पहले एक डॉलर की कीमत 74 रूपए के आसपास थी और 8 अक्टूबर को ये 83 रूपए के आसपास हैं. रूपए की वैल्यु 9 महीने में सीधे 9 रूपए घट गई. इतने तेजी के साथ कभी रूपए की वैल्यु डाउन नही हुई थी.
अब एक और फैक्ट पर नजर डालिए अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर था जबकि खबर आई है कि 30 सिंतबर 2022 को सप्ताह-सप्ताह में अपना विदेशी मुद्रा भंडार 4,854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर रह गया.
यानि एक साल में 113 अरब डॉलर घटा है और पिछले 8 हफ्ते में यह गति और तेज हुई है. विदेशी मुद्रा भंडार का पर्याप्त संख्या में होना हर देश के लिए महत्वपूर्ण है. इसे देश की हेल्थ का मीटर कहा जाए तो गलत नहीं होगा. विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे पहला उद्धेश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि रूपया तेजी से नीचे गिरता है यानी पूरी तरह से दिवालिया हो जाता है तो आरबीआई के पास बैकअप फंड मौजूद हो. इसमें विदेशी करेंसीज, गोल्ड रिजर्व, ट्रेजरी विल्स आदि आते हैं और इन्हें केंद्रीय बैंक या अन्य मौद्रिक संस्थाएं संभालती है.
विदेशी मुद्रा भंडार में कमी की सबसे बड़ी वजह फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) कुल विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा और प्रमुख हिस्सा होता जो 30 सितम्बर को 4.406 अरब डॉलर घटकर 472.807 अरब डॉलर ही रह गया है.
इसी के साथ देश के गोल्ड रिजर्व भी घट रहा है. इस हफ्ते देश के गोल्ड रिजर्व की वैल्यु 45.8 करोड़ डॉलर घटकर 38.186 अरब डॉलर पर आ गई. रूपया गिरने से इंपोर्ट महंगा हो रहा है. कच्चे तेल का भाव बढ़ रहा है जिसके कारण इंपोर्ट बिल ज्यादा हो गया है. विदेशी निवेश यहां से जा रहा है यानि हम हर तरफ से पिटा रहें है.