पिछले चुनाव में पहली बार चुनकर पहुंचे विधानसभा
विनोद चंद्राकर ने तकनीक का किया कमाल का उपयोग
भिलाई- राजनीति में युवाओं की भागीदारी बढ़नी चाहिए, ऐसा कहते तो सभी हैं पर ऐसे मौके कम ही मिलते हैं. पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने युवा नेतृत्व को भरपूर मौका दिया और उन्होंने अपनी दमदारी भी दिखाई. यह दमदारी केवल चुनाव जीतने तक सीमित नहीं थी. जीतकर आने के बाद भी इन युवा विधायकों ने अपनी कार्यशैली और कार्यक्षमता से लोगों को खासा प्रभावित किया. दो ऐसे ही नाम हैं महासमुन्द विधायक विनोद सेवनलाल चन्द्राकर और गुण्डरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद, अपने कार्यों और व्यवहार से लोकप्रियता बटोरने वाले इन दोनों नेताओं में दिलचस्प समानता है, दोनों ही ओबीसी वर्ग के हैं और संसदीय सचिव हैं, साथ ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खास भी हैं और उन्होंने अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय विकास कार्य करवाएं हैं, दोनों विधायकों में एक खास समानता यह भी है कि पिछले चुनाव में इन दोनों का संपन्न वर्ग के कुछ नेताओं ने विरोध किया था. विनोद चन्द्राकर जहां काम करने के अपने आधुनिक तौर-तरीकों के कारण हाइटेक विधायक कहलाए वहीं कुंवर सिंह निषाद ने अपनी छत्तीसगढ़ी कला और बोली- भाखा के माध्यम से अपनी अंचल के मतदाताओं का खूब प्यार बटोरा.
महासमुन्द विधायक विनोद सेवनलाल चन्द्राकर को एक हाइटेक विधायक के रूप में जाना जाता है. 48 वर्षीय श्री चन्द्राकर ने अपने विधानसभा क्षेत्र के चप्पे-चप्पे का न केवल कम्प्यूटर पर नक्शा बना रखा है बल्कि अपने चुनाव क्षेत्र के प्रत्येक मतदाता से डिजिटली जुड़े हुए हैं. उनका दफ्तर सुबह से रात तक एक जनसेवा केन्द्र के रूप में काम करता है. ग्राम कोना, पोस्ट खट्टी तहसील व जिला महासमुन्द के निवासी विनोद की आरंभ से ही राजनीति, समाजसेवा और धार्मिक कार्यों में रुचि रही है. हालांकि, सक्रिय राजनीति में उनका प्रवेश 1996 में हुआ. 2011 से 2014 तक जनसमस्या निवारण प्रकोष्ठ, जिला कांग्रेस कमेटी महासमुन्द के महामंत्री रहे. 2016 में किसान कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महामंत्री बने. 2018 में महासमुन्द विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 42 अनारक्षित) से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे. बेहतरीन बूथ प्रबंधन के बलबूते उन्होंने भाजपा के पूनम चन्द्राकर को 23060 मतों से पराजित कर विधानसभा में प्रवेश किया. 2019 से 21 तक वे विधानसभा याचिका समिति के सदस्य रहे. 2020 में उन्हें संसदीय सचिव बना कर पंचायत एवं ग्रामीण विकास, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन एवं वाणिज्यकर विभाग से संबद्ध किया गया.
कृषि, पोल्ट्री फार्म और कृषि उपकरणों के व्यवसाय से जुड़े श्री चन्द्राकर की तेंदूपत्ता संग्राहकों के बीच भी अच्छी पकड़ है. श्री चन्द्राकर प्रदेश चंद्रनाहू कूर्मि समाज के अध्यक्ष होने के साथ ही छत्तीसगढ़ स्काउट एंड गाइड के कमिश्नर भी हैं. पिछले वर्ष उन्हें अखिल भारतीय कूर्मि समाज का महासचिव चुना गया है.
अपने पहले ही कार्यकाल में वे महासमुन्द में विकास की गंगा बहाने में सफल रहे. उनके कार्यकाल में महासमुन्द को मेडिकल कालेज की सौगात मिली. स्थानीय जिला अस्पताल का उन्नयन हुआ. विकास कार्यों के लिए वे 1350 करोड़ रुपए का बजट लाने में भी सफल रहे. 1957-58 में महासमुन्द के विधानसभा क्षेत्र घोषित होने के बाद से लेकर अब तक यहां विकास के लिए जारी की गई यह सबसे बड़ी राशि है. अपनी निरंतर सक्रियता और समाजसेवा की मूलप्रवृत्ति के कारण विनोद सेवनलाल चन्द्राकर सभी वर्गों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. कोविड काल में उन्होंने न केवल अपने फार्म से सब्जियां लाकर लोगों में वितरित किया, बल्कि राशन की व्यवस्था करने में भी लोगों की मदद की. श्री चन्द्राकर की अपने समाज में भी गहरी पैठ है. उल्लेखनीय है कि महासमुन्द, धमतरी, दुर्ग, बालोद, राजनांदगांव, कवर्धा, जांजगीर-चांपा, बलोदा बाजार, कोरबा में उनके समाज की अच्छी खासी आबादी है, जिनका वे राष्ट्रीय संगठन में भी प्रतिनिधित्व करते हैं. समाज एवं जनसेवा के प्रति समर्पणभाव की वजह से श्री चंद्राकर ने जनप्रतिनिधि के रूप में एक नई उज्जवल छवि बनाने में सफलता पाई है.
इसी क्रम में कुंवर सिंह निषाद एक सरल सहज लोक कलाकार एवं विधायक के रूप में न केवल गुण्डरदेही बल्कि आसपास के अंचल में भी लोकप्रिय हैं. लोकरंग अर्जुन्दा से जुड़े श्री निषाद को कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनावों में वरिष्ठों के विरोध के बावजूद गुण्डरदेही से चुनावी मैदान में उतारा. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के प्रत्याशी दीपक ताराचंद साहू को रिकार्ड 55 हजार मतों से पराजित कर दिया. आंकड़ों के लिहाज से छत्तीसगढ़ में यह कांग्रेस के किसी भी विधायक की तीसरी सबसे बड़ी जीत थी. वे निषाद समाज से पहले ऐसे विधायक हैं। जिन्हें किसी राष्ट्रीय पार्टी ने टिकट दी . इस चुनाव में कुंवर सिंह को 59.11 प्रतिशत मत मिले थे. निषाद समाज के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर उनके चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी. सीमित संसाधनों में अपने पिता और भाई के साथ पैदल चलकर उन्होंने चुनाव प्रचार किया और जनता ने भी उन्हें हाथों हाथ लिया. अत्यंत गरीब घर में जन्मे कुंवर सिंह निषाद अपने पिता और भाइयों के साथ मछली पकड़ने का ही काम करते थे. परिवार में वे अकेले शिक्षित हैं और राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट हैं.
अर्जुन्दा निवासी कुंवर सिंह निषाद एक लोक कलाकार भी हैं और लोकरंग अर्जुन्दा और रंग सरोवर गरियाबंद से भी जुड़े हैं. संगीत एवं खेलकूद में उन्होंने कई राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं. नेहरू युवा केन्द्र द्वारा 1994 में अमेठी में आयोजित राष्ट्रीय एकता शिविर में उन्होंने मध्यप्रदेश का नेतृत्व किया था. उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोकगीत व नृत्य के साथ टेली फिल्मों में भी काम किया है.
निषाद 1995-96 में जिला कांग्रेस कमेटी दुर्ग के कार्यकारिणी सदस्य बने. 2017 से 2022 तक वे जिला निषाद समाज के अध्यक्ष रहें. 2022 से वे ऑल इंडिया फिशरमैन कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के प्रभारी भी है. वर्तमान में छत्तीसगढ़ निषाद समाज के निर्वाचित अध्यक्ष है. वे न केवल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहली पसंद हैं बल्कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के भी प्रियपात्र हैं. 2020 में उन्हें राज्य सरकार ने संसदीय सचिव बनाया. उन्हें खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग से संबद्ध किया गया. लोककला, लोकसंस्कृति एवं जनभावनाओं की समझ एक लोक कलाकार व अच्छे खिलाड़ी कुंवरसिंह निषाद को जन्मजात मिली है. इसीलिए कुंवर निषाद ने न केवल मंचीय कार्यक्रमों से खूब सुर्खियां बटोरीं और कांग्रेस प्रचार दल अपना हिस्सा सुरक्षित किया बल्कि विकास कार्यों को आगे बढ़ाने में भी सफल रहे. नरवा योजना के अंतर्गत उन्होंने 138 नालों के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया जिसमें से 127 पर कार्य पूर्ण हो गये. इससे भूजलस्तर में लगभग एक फीट का इजाफा हुआ उनके विकासोन्मुखी कार्यो के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुण्डरदेही को 190 करोड़ के विकास कार्यों की स्वीकृति दी.
प्रदेश में 25 लाख की आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले कुंवरसिंह निषाद विशेषकर गरीब एवं सीमांत किसानों और मजदूर वर्ग के बीच बहुत लोकप्रिय है उनकी इस लोकप्रियता और उन्नति को देखकर कुछ सम्पन्न वर्ग के वे लोग जो गरीबी और गरीबों से दूरी बनाये रखने वाले रूढ़ावादी विचार से ग्रस्त है यहीं श्री निषाद के प्रति विद्वेष भाव से दुष्प्रचार करने की साजिश करते हैं. लेकिन अपनी मिलनसारिता, सहजता और सबके प्रति सम्मान का भाव रखने वाले कुंवर सिंह निषाद को यह विश्वास है कि वे अपने सेवाभाव से सभी को अपना बना लेंगे. उनका कहना है कि मैं बचपन से लोककला से जुड़ा रहा हूं. और लोक में लोकप्रिय होने की कला ही लोककला है जो मेरे तन-मन में बस्ती है. शायद यही कारण है कि श्री निषाद की लोकप्रियता में निरंतर वृद्धि हुई हैं और यह कहा जा सकता है कि एक लोकप्रिय जनप्रतिनिधि बन चुके है.