दरियादिल समाजसेवी ने मांगा कांग्रेस से टिकट
कांग्रेस-भाजपा ने दर्जनों ने किया दावेदारी
भिलाई- दुर्ग जिले की वैशालीनगर विधानसभा सीट एकाएक हॉटसीट बन गई है. इस सीट पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी, दोनों ही दलों में दर्जनों दावेदार हैं. अब इसी सीट पर युवा व्यवसायी और समाजसेवी इंद्रजीत सिंह छोटू ने कांग्रेस से अपनी दावेदारी पेश कर दी है. इंद्रजीत सिंह ने बहुत कम समय में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. उन्होंने अपने समाजसेवी ट्रांसपोर्टर पिता स्व. बीरा सिंह की विरासत को भी आगे बढ़ाया है. उन्हें न केवल अंचल का बच्चा-बच्चा जानता है बल्कि ऐसे परिवारों की संख्या भी सैकड़ों में है, जिन्हें उनका किसी न किसी रूप में सहयोग मिला है. इस सीट को भाजपा का गढ़ भी माना जाता है.
वैशालीनगर विधानसभा, क्रमांक-66 में दावेदारों का यह आलम है कि यहां से बड़ी संख्या में निर्दलीय भी अपना भाग्य आजमाते हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से पूर्व राज्यमंत्री बदरुद्दीन कुरैशी को उम्मीदवार बनाया था. वे भाजपा प्रत्याशी विद्यारतन भसीन से 18 हजार से अधिक मतों से पराजित हो गए थे. जबकि इस सीट पर कुल 15 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे थे.
2008 में इस सीट के सृजन के बाद पहला चुनाव भाजपा की उभरती महिला नेता सरोज पाण्डेय ने जीता. इसके बाद वे लोकसभा में चली गईं. 2009 में हुए उपचुनाव में यह सीट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भजन सिंह निरंकारी ने जीत ली. 2013 के चुनाव में भाजपा के विद्यारतन भसीन ने निरंकारी को परास्त कर यह सीट कांग्रेस से वापस छीन ली. 2018 में भी भसीन खराब स्वास्थ्य के बावजूद इस सीट से विजयी हुए. इसलिए माना जाता है कि यह भाजपा का गढ़ है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में वैशालीनगर विधानसभा के
लिए भले ही दर्जनों दावेदार हों पर इनमें से जीतने वाला प्रत्याशी तय करना बेहद कठिन हो सकता है. ऐसे में इंद्रजीत सिंह की दावेदारी के अलग मायने हैं. ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़ा होने के कारण उनका इस अंचल के सैकड़ों परिवारों से सीधा सम्पर्क है. वैशालीनगर विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले लोग बड़ी संख्या में हेवी इंडस्ट्रियल एरिया, लाइट इंडस्ट्रियल एरिया और हथखोज इंडस्ट्रियल एरिया से जुड़े हुए हैं. इंद्रजीत के पिता बीरा सिंह एक बड़े ट्रांसपोर्टर थे और समाज सेवा के लिए जाने जाते थे. पिता के निधन के बाद इंद्रजीत ने न केवल अपने पिता की
विरासत को आगे बढ़ाया बल्कि उनकी स्मृति में कई बड़े काम किये. ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े सभी परिवारों, जिनमें ट्रक मालिक, चालक एवं परिचालक शामिल हैं, को एक मानते हुए उन्होंने कई योजनाएं शुरु कीं. हैवी ट्रांसपोर्ट एवं भिलाई स्टील ट्रेलर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के संयुक्त प्रयास से एसोसिएशन में जुड़े वाहन चालकों, हेल्परों तथा कर्मचारियों के परिवार में कन्या विवाह के अवसर पर 25 हजार रुपए की विशेष आर्थिक सहायता देने का कार्य इनके माध्यम से पिछले 2 वर्षों से किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त गंभीर बीमारी एवं मृत्यु की स्थिति में भी आर्थिक मदद दी जाती है. पिता की स्मृति में इंद्रजीत ने पावर हाउस में एसबीएस अस्पताल की स्थापना की. 2021 में स्थापित इस अस्पताल को ‘नो प्रॉफिट नो लॉस’ के आधार पर संचालित किया जाता है. यहां आयुष्मान भारत योजना एवं राशन कार्ड से भी निःशुल्क चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध है. 25 बिस्तर और 5 आईसीयू बेड की सुविधा से युक्त इस अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा भी न्यूनतम शुल्क पर उपलब्ध है. अंचल के अनेक ख्यातिनाम वरिष्ठ चिकित्सक इस अस्पताल में अपनी सेवाएं देते हैं.
वैशाली की जीत इंद्रजीत
कांग्रेस की ओर से इंद्रजीत सिंह की दावेदारी सामने आने से दोनों दलों के कई दावेदार उनके साथ हो गए हैं. वे वैशाली की जीत, इंद्रजीत का नारा लगाते हुए इंद्रजीत के समर्थन में दिखाई देने लगे हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस यदि इंद्रजीत को टिकट देती है तो वे वैशालीनगर की सीट भाजपा से छीन सकते हैं. प्रदेश की भूपेश बघेल की अपार लोकप्रियता का भी उन्हें लाभ मिलेगा. 40 वर्षीय इंद्रजीत सिंह केवल भिलाई ही नहीं बल्कि पूरे दुर्ग संभाग में छोटू भैया के नाम से जाने जाते है. युवा वर्ग में लोकप्रिय इंद्रजीत सिंह कई खेल संगठनों से भी जुड़े हैं. उनके परिवार की सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में विशेष सहयोग और सक्रियता रहती है. सर्वसमाज में उनकी मजबूत पकड़ है. समाजसेवी पिता के सपनों को अमली जामा पहनाने के उनके जज्बे को सभी वर्ग के लोग सलाम करते हैं. यही कारण है वैशाली नगर विधानसभा क्षेत्र की जनता और सभी दलों के राजनीतिक कार्यकर्ताओं का उन्हें खुला समर्थन मिल रहा है.