डीके सिंह-
मोदी के ऊपर देश चलाने की जिम्मेदारी है. उन्हें भाजपा के लिए वोट भी जीतने हैं. और अब उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे आंतरिक कलह से परेशान अपने कुनबे को एकजुट भी रखें.
ऐसा शायद ही होता है कि किसी विधानसभा का चुनाव लड़ रहे किसी निर्दलीय उम्मीदवार को देश के प्रधानमंत्री का फोन आए और वह भी कहने के लिए कि वह चुनाव से हट जाए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश की फतेहपुर सीट से भाजपा के बागी उम्मीदवार कृपाल परमार को फोन पर भावुक अपील की कि ‘मेरा तुम पर पूरा हक है. मैं कुछ नहीं सुनूंगा… मेरा कृपाल ऐसा नहीं हो सकता.’
भाजपा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष परमार ने जवाब दिया कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने 15 साल तक ‘ज़लील किया’. जब परमार ने मोदी से कहा कि उनका फोन दो दिन पहले आना चाहिए था और अब तो नामांकन का पर्चा वापस लेने की तारीख निकल चुकी है, तो मोदी ने कुछ नाराजगी के साथ यह कहते हुए फोन रख दिया कि ‘अच्छा भैया, अच्छा जी’. एक सामान्य भाजपा कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी के साथ बहस कर रहा था. अगले दिन भाजपा ने परमार के साथ चार बागियों को पार्टी से निकाल दिया.
इस बातचीत के ऑडिओ-वीडियो क्लिप शनिवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. इसका खंडन न अब तक प्रधानमंत्री कार्यालय ने किया है और न भाजपा ने. विपक्षी कांग्रेस पार्टी गदगद है. भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने ट्वीटर पर कटाक्ष किया- ‘काश प्रधानमंत्री ने शी जिनपिंग को भी इसी हनक के साथ फोन किया होता कि वे भारतीय जमीन पर कब्जा छोड़ कर वापस चले जाएं.’ उनकी कांग्रेस पार्टी के दूसरे साथी भी बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं.
पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने ट्वीट किया- ‘नड्डा जी तो हार गए, तो अब साहब खुद बागियों को फोन कर रहे हैं. आसन्न हार साहब की नींद खराब कर रही है.’ लेकिन विपक्षी नेताओं को ध्यान देना चाहिए कि आर्थिक स्थिति, राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के मोर्चों पर चुनौतियों के ऊपर ध्यान देने की जगह भाजपा के बागियों को मोदी का फोन करना जनता को चिढ़ा सकता है.
लेकिन उन्हें मोदी को इस तरह जवाब देने के लिए नहीं जाना जाता है. मज़ाक उनका नहीं उड़ाया गया. भाजपा इसे भी उनके गुण के रूप में पेश करेगी— देखिए, प्रधानमंत्री पार्टी के प्रति कितने प्रतिबद्ध हैं. उनके लिए भाजपा का हित सर्वोपरि है. मोदी की यात्राएं, खासकर घरेलू यात्राएं भाजपा की खातिर कर रहे हैं जबकि कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ राहुल गांधी की छवि चमकाने के लिए है. कांग्रेस ने शरद पवार और उद्धव ठाकरे को भी इस यात्रा में शामिल होने का निमंत्रण दिया है और यह महाराष्ट्र में यात्रा को सफल बनाने के लिए एनसीपी तथा शिवसेना के कार्यकर्ताओं की मदद लेने की कोशिश ही है.
शनिवार को सोलन में एक रैली में मोदी ने कहा, ‘आपको किसी उम्मीदवार का नाम याद रखने की जरूरत नहीं है… मोदी आपके पास आया है… मगर आपका एक-एक वोट आशीर्वाद के रूप में सीधे मोदी के खाते में जाएगा.’ भाजपा की खातिर मोदी अपने ब्रांड को भी दांव पर लगा रहे हैं. देश के प्रधानमंत्री पर वैसे ही भारी जिम्मेदारी होती है लेकिन वे भाजपा के बागियों को फोन करने का समय भी निकाल रहे हैं, जबकि राहुल को गुजरात और हिमाचल में कांग्रेस का क्या होगा इससे बेफिक्र हैं. लेकिन हम सब जो जानते हैं उसके अनुसार मोदी अगर बागी उम्मीदवार को फोन कर रहे हैं तो यह भाजपा के कार्यकर्ताओं को पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के पीछे खड़ा कर देगा. लेकिन ऑडिओ क्लिप एक बड़ी समस्या को रेखांकित करता है— काडर वाली पार्टी में अनुशासनहीनता और गुटबाजी बढ़ रही है और शीर्ष नेतृत्व लाचार होकर देख रहा है. नड्डा के गढ़ हिमाचल में भाजपा के बागी 68 यानी करीब एक चौथाई सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. यह मोदी और पार्टी के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह के लिए निश्चित ही खतरे की घंटी है.
नड्डा अपने ही राज्य में अचानक कमजोर दिखने लगे हैं क्योंकि खुद उनके जिले बिलासपुर की चार में से दो सीटों पर भाजपा के बागी चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा का नारा ‘नया रिवाज बनाएंगे’ (सत्ता में बने रहने का) नया अर्थ ले रहा है. अगर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के घर में ही लगी आग को बुझाने के लिए मोदी को आगे आना पड़ रहा है तो यह पार्टी के नेतृत्व के बारे में कुछ उजागर कर रहा है.