
छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्यवाही से अफरातफरी का माहौल है. छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रोमोशन सोसायटी (चिप्स) के प्रमुख समीर बिश्नोई आईएएस की पत्नी प्रीति विश्नोई ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर ईडी छापे का ब्यौरा साझा किया है. इस ब्यौरे को सुनने के बाद प्रथम दृष्टया ऐसा लग सकता है कि ईडी की कार्रवाई बेतुकी और लोगों के संवैधानिक अधिकारों के हनन करने वाला है. कानून के जानकार ईडी को मिले इन अधिकारों पर सवाल उठाते हुए पूछते हैं कि क्या भारत एक पुलिसिया राज्य है? क्या सरकारें अपनी एजेंसियों के माध्यम से मनमानी कर सकती हैं? इसके जवाब पर हम बाद में आते हैं, पहले देख लें कि हुआ क्या है.
यह प्रदेश का पहला ऐसा मामला है, जब किसी आईएएस अफसर को ईडी ने इस तरह से पकड़ा है. बताया जाता है कि ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग के कुछ इनपुट मिले थे. प्रीति बिश्नोई ने गुरुवार 13 अक्टूबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की. प्रीति ने ईडी की कार्रवाई को गलत बताकर सुरक्षा देने की मांग की है. प्रीति ने बताया कि 11 अक्टूबर की सुबह लगभग 5:30 बजे उनके घर की डोर बेल बजी. जब उन्होंने दरवाजा खोला तो 15-20 लोग घर में घुस गए. उन लोगों ने किसी सवाल का जवाब नहीं दिया. वे घर का सामान उलट-पुलट करने लगे. समीर विश्नोई के पूछने पर एक ने अपना नाम ऋषि वर्मा बताया. साथ ही यह भी बताया कि यह ईडी की कार्रवाई है. समीर इससे पहले कोंडागांव जिले के कलेक्टर और खनिज विभाग के पूर्व संचालक रह चुके हैं.
इन लोगों ने समीर या प्रीति की किसी सवाल का जवाब नहीं दिया, उल्टे बदसलूकी की. समीर का मोबाइल फोन उन्होंने अपने कब्जे में कर लिया. प्राथमिक सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) या इनफोर्समेंट केस इंफर्मेशन रिपोर्ट (ईसीआईआर) की कॉपी मांगने पर उन्होंने कहा कि वे इसके लिए बाध्य नहीं हैं. 12 अक्टूबर को ऋषि वर्मा द्वारा उन्हें तथा उनके पति को अपने साथ गाड़ी में बैठा कर पचपेड़ी नाका स्थित ईडी के दफ्तर ले जाया गया. पीछे दो छोटे बच्चे घर पर अकेले रह गए, पर ईडी की टीम ने कोई बात नहीं सुनी.
प्रीति ने कहा कि ईडी दफ्तर में उनपर जबरन कुछ कांग्रेस नेताओं, कारोबारियों और अधिकारियों का नाम लेने को कहा गया. उनके इंकार करने पर उन्हें धमकी दी गई कि अगर बताएं अनुसार बयान नहीं दिया तो उन्हें तथा उनके परिवार वालों को जिंदगी भर जेल में सड़ा दिया जाएगा. इसके बाद ईडी के डिप्टी डायरेक्टर हेमंत ने सरकारी गवाह बनने के लिए दबाव बनाया अन्यथा करियर बर्बाद करने की धमकी दी. इसके बाद दोनों से जबरदस्ती कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए गए.
छह शहर, सोलह ठिकाने
मनी लांड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रदेश के छह शहरों में 16 कारोबारियों और अधिकारियों के ठिकाने पर दबिश दी. रायपुर, दुर्ग-भिलाई, महासमुंद, बिलासपुर, रायगढ़ और कोरबा में कोयला कारोबारी, रियल एस्टेट कारोबारी, सीए और सरकारी अधिकारियों के ठिकानों पर छापे मारे गए. इनमें मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ एक अधिकारी के अलावा प्रदेश के तीन आइएएस अधिकारी रानू साहू, जयप्रकाश मौर्या और समीर बिश्नोई, महासमुंद के पूर्व विधायक अग्नि चंद्राकर, उनके दामाद कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, एलके तिवारी, नवनीत तिवारी, लक्ष्मी तिवारी, रजनी तिवारी, बादल मक्कड़, सन्नी लूनिया, अजय नायडू, रायपुर के देवेंद्र नगर में सीए अजय मालू, कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल, शराब कारोबारी प्रिंस भाटिया के यहां छापे मारे गए. खनिज विभाग के डिप्टी डायरेक्टर शिव शंकर नाग से पूछताछ की गई. रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू और खनिज विभाग के संचालक जयप्रकाश मौर्या पति पत्नी हैं.
ईडी का ब्रह्मास्त्र : मनी लांड्रिंग
धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ईडी को मिली असीमित शक्तियों को इस निदेशालय का ब्रह्मास्त्र माना जाता है. इसमें वह बिना कोई आरोप लगाए किसी के भी घर, दफ्तर या अन्य ठिकानों पर छापे मार सकता है. चार्जशीट दाखिल करने से पहले भी धन और संपत्तियों को जब्त कर सकता है, गिरफ्तारियां कर सकता है. छापे से पहले या छापे के दौरान आरोपी को प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) की कापी देना जरूरी नहीं है. इसलिए आरोपी कानूनी उपचार से महरूम हो जाता है. इतनी शक्तियां होने के बावजूद पिछले 17 सालों में ईडी ने मनी लांड्रिंग के जो 5,400 से ज्यादा मामले दर्ज किए उनमें से सिर्फ 23 में ही दोष सिद्ध हो पाया है. यह जवाब खुद केन्द्र सरकार ने लोकसभा में दी है.
ईडी को पीएमएलए के तहत मिले असीमित अधिकारों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. 242 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के अधिकारों को बरकरार रखा. शीर्ष अदालत ने कहा कि पीएमएलए कानून में बदलाव सही है और ईडी की गिरफ्तारी की शक्ति भी सही है. जस्टिन एएम खानविलकर, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने पीएमएलए कानून के तहत अपराध से बनाई गई आय/संपत्ति, उसकी तलाशी और जब्ती, आरोपी की गिरफ्तारी की शक्ति और संपत्तियों की कुर्की जैसे कड़े प्रावधानों को सही ठहाराया. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि आरोपी को ईसीआईआर की कॉपी देना जरूरी नहीं है. गिरफ्तारी के समय कारण बता देना पर्याप्त होगा. धारा 50 के तहत बयान लेने और आरोपी को बुलाने की शक्ति का अधिकार भी सही है. मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है. धारा 5, धारा 18, धारा 19, धारा 24 और धारा 44 में जोड़ी गई उपधारा भी सही है. ईडी एक पुलिस एजेंसी नहीं है, इसलिए जांच के दौरान आरोपी द्वारा ईडी को दिए गए बयानों का इस्तेमाल आरोपी के खिलाफ न्यायिक कार्यवाही में किया जा सकता है. चूंकि ईडी पुलिस नहीं है, इसलिए उसे सीआरपीसी को मानने की भी जरूरत नहीं है.
अदालत ने अधिनियम की धारा 24 के तहत सबूत के उल्टे बोझ एवं धारा 45 में जमानत के लिए “जुड़वां शर्तों’ को भी बरकरार रखा. कोर्ट ने कहा कि ईडी अधिकारी “पुलिस अधिकारी” नहीं हैं और इसलिए अधिनियम की धारा 50 के तहत उनके द्वारा दर्ज किए गए बयान संविधान के अनुच्छेद 20 (3) से प्रभावित नहीं हैं, जो आत्म-अपराध के खिलाफ मौलिक अधिकार की गारंटी देता है. प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) एफआईआर नहीं बल्कि ईडी का एक आंतरिक दस्तावेज है. इसलिए, एफआईआर से संबंधित सीआरपीसी प्रावधान ईसीआईआर पर लागू नहीं होते.
मेरे पति बीमार हैं : प्रीति बिश्नोई
आईएएस समीर की पत्नी ने ईडी के अधिकारियों पर धमकियां देने और मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं. प्रीति ने बताया कि समीर बिश्नोई लिवर सिरोसिस, माइग्रेन और बीपी से ग्रसित हैं उन्हें दवाइयां चाहिए होती हैं, मगर उन्हें दवाइयां उपलब्ध नहीं करवाई गई और उन्हें परेशान किया गया.
इस सवाल को खुला छोड़ा
कोर्ट ने इस सवाल को खुला छोड़ दिया है कि क्या पीएमएलए में 2018 के संशोधन वित्त अधिनियम के माध्यम से लाए जा सकते हैं? इन मुद्दों को 7 जजों की पीठ द्वारा तय किया जाना है. वित्त अधिनियम के जरिए अपराध से अर्जित आय में अनुसूचित अपराध से प्राप्त संपत्ति के साथ ही किसी भी आपराधिक गतिविधि से संबंधित या अनुसूचित अपराध के समान किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल होकर प्राप्त की गई कोई अन्य संपत्ति को भी शामिल किया गया है. इसके तहत मनी लॉन्ड्रिंग को एक स्वतंत्र अपराध माना गया है.
1700 छापे, 1569 विशेष जांच और सिर्फ 9 दोषी
याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि ईडी के अधिकारियों ने 2011 के बाद से 1700 छापे और 1569 विशेष जांच करने के बाद केवल 9 दोष सिद्ध किए हैं. पीएमएलए अपीलीय न्यायाधिकरण में स्टाफ नहीं है. पांच सदस्यीय समिति में 16.02.2022 तक केवल एक सदस्य था. इसके कारण अनुचित कुर्की के खिलाफ आरोपी को कोई कानूनी उपचार नहीं मिल रहा. ईसीआईआर की कॉपी नहीं मिलने के कारण आरोपी को इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं होती कि उसकी गिरफ्तारी क्यों की गई. यह भी कानूनी उपचार प्राप्त करने में बाधक है. धारा 45 में जुड़वां जमानत की शर्त है. पीएमएलए के तहत जमानत के लिए, कोर्ट को प्रथम दृष्टया संतुष्ट होना चाहिए कि आरोपी दोषी नहीं है. लेकिन, शिकायत से पहले और शिकायत के बाद, आरोपी व्यक्तियों के पास प्रथम दृष्टया यह साबित करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं कि वे दोषी नहीं हैं.
सर्वोच्च न्यायालय की महत्वपूर्ण टिप्पणी
सर्वोच्च न्यायालय ने तूफ़ान सिंह बनाम तमिलनाडु राज्य में टिप्पणी की थी कि पीएमएलए दंड विधान होने के कारण इसमें संदर्भित अधिकारी पुलिस अधिकारी होते हैं. इसलिए, इन अधिकारियों के समक्ष स्वीकारोक्ति को सबूत के रूप में अस्वीकार्य माना जाना चाहिए.
प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) का इतिहास
1998 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित प्रस्ताव, पीएमएलए का आधार है. भारत में मनी लॉन्ड्रिंग कानून, 2002 में अधिनियमित किया गया. इसमें 3 बार (2005, 2009 और 2012) संशोधन किया जा चुका है. 2012 के आखिरी संशोधन को 3 जनवरी, 2013 को राष्ट्रपति की अनुमति मिली थी और यह कानून 15 फरवरी से ही लागू हो गया था. पीएमएलए (संशोधन) अधिनियम, 2012 ने अपराधों की सूची में धन को छुपाना, अधिग्रहण, कब्ज़ा और धन का क्रिमिनल कामों में उपयोग इत्यादि को शामिल किया है.
चुनाव तक बार-बार आएगा ईडी : सीएम बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उत्तर प्रदेश रवाना होने से पहले एयरपोर्ट पर मीडिया से चर्चा में कहा कि यह आखिरी छापा नहीं है. चुनाव तक ये बार-बार आएंगे. भाजपा सीधे लड़ नहीं पा रही है, तो ईडी, आइटी, डीआरआइ के माध्यम से लड़ने की कोशिश कर रही है।. जनता जान चुकी है कि भाजपा सेंट्रल एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. यह डराने-धमकाने का ही काम है, उसके अलावा कुछ नहीं है. मैं पहले ही कह चुका हूं कि साढ़े छह हजार करोड़ का चिटफंड कंपनियों में लोगों का पैसा डूबा है. उसे संज्ञान में लें, लेकिन ये उसमें कुछ नहीं करेंगे.
शर्मसार हुआ छत्तीसगढ़ : डॉ. रमन
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि प्रदेश के 40 अधिकारियों के ठिकानों पर ईडी की कार्रवाई हुई है. इससे छत्तीगसढ़ शर्मसार हो गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले से ही ईडी की कार्रवाई का इंतजार कर रहे थे. उनकी काली कमाई का पर्दाफाश हुआ है. कोरबा में चाय ठेले से लेकर पान ठेले वाले भी जानते हैं कि कोयले में 25 स्र्पये प्रति टन की वसूली की जा रही है. कलेक्टरों को कलेक्टिंग एजेंट बना दिया गया है.